रायपुर: स्वर्णप्राशन में स्वर्ण भस्म को जड़ी बूटियों के अर्क और शहद में मिलकर बच्चों के पिलाया जाता है. स्वर्णप्राशन कब और किस उम्र के बच्चों को कराना चाहिए और इससे क्या हैं फायदे, इस विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने शासकीय आयुर्वेद काॅलेज हाॅस्पिटल रायपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लवकेश चंद्रवंशी से बातचीत की.
जानिए, क्या है स्वर्णप्राशन: बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लवकेश चंद्रवंशी ने बताया कि "स्वर्णप्राशन कुछ दवाइयों का मिश्रण होता है. इसे स्वर्ण भस्म, शहद, घी और कुछ इम्यूनिटी बूस्टर दवाओं को मिलाकर तैयार किया जाता है. ये बच्चों में इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है. जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं, उनके लिए ये रामबाण है. जन्म से लेकर 16 वर्ष तक की आयु के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जा सकती है. जन्म के तुरंत बाद भी नवजात का स्वर्णप्राशन करा सकते हैं. इससे बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ती है."
कब दी जाती है स्वर्णप्राशन की खुराक: डॉ लवकेश चंद्रवंशी ने बताया कि "आचार्यों के अनुसार इसे पुष्य नक्षत्र में देना चाहिए. क्योंकि पुष्य नक्षत्र के दौरान जो सूर्य की किरणें निकलती हैं, वह स्वर्ण की गुणवत्ता को बढ़ा देती हैं. इसलिए पुष्य नक्षत्र इसके लिए सबसे उत्तम माना गया है. यदि इसका अच्छा रिजल्ट देखना है तो बच्चों को खाली पेट इसे पिलाएं."
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छह माह तक लगातार देनी चाहिए डोज: यदि आप बच्चों का स्वर्णप्राशन करा रहे हैं तो कम से कम 6 माह तक लगातार खुराक पिलाएं. यदि कोई बच्चा लगातार छह महीने बिना किसी गैप के इसका सेवन करता है, तो बच्चे की स्मरण शक्ति बढ़ती है. स्वर्णप्राशन बच्चों की बुद्धि बढ़ाने में लाभदायक होता है. इसके सेवन से बच्चे बीमारियों से लड़ सकते हैं. ये पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है. डॉ लवकेश चंद्रवंशी ने बताया कि "काॅलेज में पिछले 6 माह से स्वर्णप्राशन कराया जा रहा है. इसके लिए कई स्कूलों में जागरूकता शिविर भी लगाए गए हैं. फ्लेक्स और विज्ञापन के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जा रही है."