रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब में स्वामी विवेकानंद और उनका परिवार रहा करते थे. यहां स्थित डे भवन में स्वामी विवेकानंद का घर हुआ करता था. इस घर से थोड़ी ही दूरी पर स्वामी विवेकानंद के पिता के परिचित व्यक्ति का घर था, जिसके सामने एक नीम का पेड़ था. जिससे ठंडी ठंडी हवा आती थी. इसी नीम के पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद का बसेरा हुआ करता था. नीम के पेड़ वाले घर में स्वामी विवेकानंद ने कई साल गुजारे. वर्तमान में ये घर डॉक्टर गुप्ता का है.
घर के पिछले हिस्से में रहा करते थे स्वामी विवेकानंद: स्वामी विवेकानंद इसी नीम के पेड़ वाले घर के पिछले हिस्से में रहा करते थे. पिछले हिस्से का कुछ भाग अभी भी मौजूद है. लेकिन आधे से ज्यादा हिस्से को तोड़कर नया बना दिया गया है. पहले इस हिस्से में वृद्धाश्रम हुआ करता था. वर्तमान में इसमें एसओएस का यूथ हाउस संचालित किया जा रहा है. वैसे तो यह घर अब पूरी तरह से नया बन चुका है, लेकिन घर के कोनों में कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जो पुराने दौर के घरों की तरह दिखाई देते हैं.
नीम के पेड़ के नीचे था विवेकानंद का बसेरा: रायपुर के डे भवन के सामने के नीम पेड़ का उल्लेख कई लेखकों ने अपनी किताबों में किया है. डे भवन में निवास करने के अलावा स्वामी विवेकानंद जी इस नीम पेड़ वाले घर में भी रहते थे. बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं, लेकिन इतिहास के पन्नों में कई लेखकों ने इस जानकारी का उल्लेख किया है. इतिहासकार भी इस बात को स्वीकार करते हैं. डे भवन में स्वामी विवेकानंद के निवास के दौरान इस्तेमाल की गई वस्तुएं अभी भी मौजूद है. लेकिन इस नीम पेड़ वाले घर में अब ऐसी कोई भी वस्तु दिखाई नहीं पड़ती, जो कि स्वामी विवेकानंद ने इस्तेमाल की हो. क्योंकि समय के साथ इस भवन का पिछला हिस्सा जर्जर हो गया.
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युग नायक पुस्तक में मिली कई जानकारियां: स्वामी विवेकानंद के रायपुर आवास के बारे में इतिहासकार किशोर कुमार अग्रवाल ने बताया कि "स्वामी विवेकानंद के रायपुर आने की जानकारी युग नायक पुस्तक के प्रथम खंड में मिलती है. 1877 में स्वामी विवेकानंद रायपुर आए थे. उनके पिता विश्वनाथ दत्त हाईकोर्ट में वकील थे. एक मुकदमे के सिलसिले में रायपुर आए थे. यह जानकारी इस किताब में मिलती है.
किताब में बताया गया है कि स्वामी विवेकानंद के पिता, माता भुवनेश्वरी, उनकी बहन, उनका भाई महेंद्र करीब 2 साल रायपुर में रह चुके हैं. इन 2 वर्षों के कुछ महीने वे पिता विश्वनाथ दत्त के मित्र डे के घर में रहे थे. जिसके बाद माधव राव सप्रे शाला के ठीक सामने गली के नीम पेड़ वाले मकान में बाकी समय रुके हुए थे. स्वामी गंभीरानंद की पुस्तक से पता चलता है कि स्वामी विवेकानंद जी को अध्यात्म के प्रति आकर्षण रायपुर में रहते हुए ही आया. वे अक्सर रायपुर निवास के दौरान ही ध्यान लगाया करते थे. बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद कोलकाता से जबलपुर तक गाड़ी से आते थे. वहां से नागपुर पहुंचे. नागपुर से रायपुर आने के लिए कोई साधन नहीं था इसलिए बैलगाड़ी से रायपुर पहुंचे."