रायपुर: भारत के एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक, राजनेता स्वामी अग्निवेश अब हमारे बीच नहीं रहे. शुक्रवार को 80 साल की उम्र में उनका निधन का हो गया. उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में शाम 6.30 बजे अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे. बता दें कि स्वामी अग्निवेश का छत्तीसगढ़ से गहरा जुड़ाव रहा है.
अग्निवेश का छत्तीसगढ़ से है गहरा नाता
सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने बताया कि अग्निवेश लगातार सामाजिक मुद्दों को उठाते रहे हैं फिर वह बधुआ मजदूरों की बात हो या फिर फर्जी मुठभेड़. अग्निवेश आदिवासियों के हक के लिए लगातार लड़ते रहे. शुक्ला ने बताया कि इस लड़ाई में कई बार उन्हें लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. छत्तीसगढ़ में भी ताड़मेटला कांड के बाद उनके ऊपर हमला हुआ था, बावजूद इसके अग्निवेश लगातार सामाजिक मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ते रहे.
जन्म और शिक्षा
स्वामी अग्निवेश का जन्म 21 सितंबर 1939 को छत्तीसगढ़ के जाँजगीर-चाँपा स्थित सक्ति रियासत में हुआ था. जांजगीर चांपा के सक्ति में ही वे पले,बढ़े और पढ़े. स्वामी अग्निवेश ने कोलकाता में कानून और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद आर्य समाज में संन्यास ग्रहण किया.
सामाजिक मुद्दों को उठाते रहे अग्निवेश
देश-दुनिया में स्वामी अग्निवेश की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर ही ज्यादा रही. इसके बहुत कारण भी हैं, क्योंकि वे देश भर में कई बड़े सामाजिक मुद्दों को उठाने, उसके लिए लड़ने और समाधान तक पहुंचाने वाले प्रमुख व्यक्ति रहे.
बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने की थी पहल
सन् 1981 में उन्होंने बंधुवा मुक्ति मोर्चा के नाम से एक संगठन की स्थापना की. इस संगठन के जरिए उन्होंने बंधुआ मजदूरी के मोर्चे पर खूब काम किया. छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जहां मजदूरों का खूब पलायन होता रहा है, यहां के मजदूर अक्सर दूसरे राज्यों में बंधुआ मजदूरी के शिकार होते रहे. ऐसे मजदूरों को छुड़ाने का प्रयास भी अग्निवेश ने किया था.
दोरनापाल में स्वामी पर हुआ था हमला
स्वामी अग्निवेश का छत्तीसगढ़ में आना-जाना लगा रहता था. इसका एक बड़ा कारण यहां के आदिवासी क्षेत्रों में होने वाला संघर्ष रहा. नक्सल प्रभावित इलाकों में वे कई बार गए. लेकिन सन् 2011 में जब वे छत्तीसगढ़ पहुँचे तो सुकमा के दोरनापाल में उन पर हमला भी हुआ था. दरअसल स्वामी अग्निवेश 2010 में हुए ताड़मेटला कांड के प्रभावित लोगों से मिलने जा रहे थे. लेकिन उन पर सलवा जुडूम से जुड़े लोगों ने हमला कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह हमला स्थानीय पुलिस के संरक्षण में हुआ. बाद में इस मामले में सीबीआई जाँच भी हुई. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि उन पर हमला करने वालों को स्थानीय पुलिस का संरक्षण मिला हुआ था.
स्वामी पर नक्सली संगठनों के मददगार का भी लगा आरोप
स्वामी अग्निवेश आदिवासी मुद्दों पर प्रमुखता से काम करते रहे. वे अक्सर बस्तर जाते थे, लिहाजा उन पर यह आरोप भी लगते रहे कि वे नक्सली संगठन की मदद करते हैं. इसे लेकर कई बार जमकर विवाद भी हुआ. बस्तर में कुछ संगठनों ने उनका खूब विरोध भी किया था.
भाजपा सरकार ने अग्निवेश पर निगरानी रखने के दिए थे आदेश
साल 2011 में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर निगरानी रखने के आदेश जारी किए थे. गृह मंत्री ननकीराम कंवर के जारी आदेश के अनुसार आरोप था कि बिनायक सेन के साथ-साथ स्वामी अग्निवेश भी नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का हिस्सा हैं.गौरतलब है की नक्सली प्रवक्ता आज़ाद की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर अग्निवेश ने सरकार पर सवाल भी उठाए थे.