रायपुर: पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दामों को लेकर हड़ताल पर बैठे सीमेंट ट्रांसपोर्टर्स को 12% किराया बढ़ाने की रजामंदी मिल गई है. सरकार से मिली सहमति के बाद ट्रांसपोर्टर्स ने हड़ताल खत्म कर दी है, लेकिन इसका असर अब भी देखने को मिल रहा है. ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल ने सीमेंट की सप्लाई को प्रभावित किया. ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म होने के बाद सीमेंट की सप्लाई हो रही है, लेकिन अभी भी बाजार में इसकी शॉर्टेज बनी हुई है. इसका असर निर्माण कार्यों पर भी पड़ा है.
दरअसल सीमेंट कंपनियों में लगे तमाम ट्रांसपोर्टरों ने पिछले 24 दिनों से काम बंद कर दिया था. कंपनियों की सहमति के बाद ट्रांसपोर्टर्स ने सीमेंट में लोडिंग के लिए अपनी गाड़ियां भेजना शुरू कर दी हैं. हालांकि बाजार में अभी तक सीमेंट पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ट्रांसपोर्टर्स की लंबी हड़ताल से बाजार में सीमेंट की जबरदस्त कमी हो गई थी. इस वजह से सीमेंट के दाम अचानक बढ़ गए थे. खुले बाजार में चिल्हर में 240 से 250 वाली सीमेंट 400 रुपए तक मिलने लगी थी. अब हड़ताल खत्म होने से इन सीमेंट की बोरियों का दाम कुछ कम तो हुआ है, लेकिन सप्लाई अभी भी पूरी नहीं हो पाई है.
सीमेंट की कीमतें 300 के पार
सीमेंट व्यापारियों का कहना है कि जैसे-जैसे सीमेंट की सप्लाई सामान्य होगी, वैसे-वैसे इसके दाम भी काम हो जाएंगे. ट्रांसपोर्टर्स, सीमेंट कंपनियों और राज्य सरकार के बीच जो बैठक हुई है, उसके मुताबिक 12 फीसदी मालभाड़ा बढ़ाए जाने के लिए रियायत दी गई है. हड़ताल खत्म करने के निर्णय के बाद अब सीमेंट की कीमतें बढ़ाने को लेकर कंपनियों ने अपनी शर्त रखी है. कंपनियां अब सीमेंट के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाने का काम कर रही हैं. सीमेंट की कीमतें हड़ताल के बाद भी 300 रुपए प्रति बोरी के पार हो चुकी हैं.
ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से छत्तीसगढ़ में सीमेंट की किल्लत
डिमांड और सप्लाई का कंपनियां उठा रहीं फायदा
सीमेंट कारोबारी सोनल अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसपोर्टर्स की स्ट्राइक की वजह से डिमांड और सप्लाई में गैप आया है. इसका फायदा कंपनियां उठा रही हैं. जो सप्लाई रेगुलर हो रही थी, वह अब नहीं हो पा रही है. सप्लाई कम होने की वजह से सीमेंट के डिमांड में काफी तेजी आई है. इस कमी को कम करने के लिए ही कंपनियां सीमेंट के दामों में वृद्धि कर रही हैं. सोनल अग्रवाल ने कहा कि सरकार को इस पर अंकुश लगाना चाहिए. आम आदमी को राहत देने के लिए इस पर नियंत्रण करना जरूरी है.
हड़ताल खत्म होने से फिर से कारोबार शुरू
सीमेंट के चिल्हर कारोबारी अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि सीमेंट के दाम 300 प्रति बोरी तक पहुंच गए हैं. सीमेंट नहीं मिलने से मार्केट में काम बंद हो चुका था, लेकिन अब हड़ताल खत्म होने से कम से कम कारोबार शुरू तो हो सका है. मालभाड़ा बढ़ाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि लंबे समय से मालभाड़े में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद मालभाड़ा बढ़ाना जरूरी हो गया था.
SPECIAL: सीमेंट की किल्लत से निर्माण कार्यों पर पड़ा असर
छत्तीसगढ़ बड़ा सीमेंट हब, इसलिए इफेक्ट ज्यादा
छत्तीसगढ़ को स्टील आयरन ओर के अलावा देशभर में सीमेंट हब के रूप में भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ सीमेंट का सबसे बड़ा हब है. यहां 11 बड़े सीमेंट प्लांट हैं. जिनमें लगभग 29 लाख टन तक का प्रोडक्शन होता है. बलौदाबाजार की पहचान देश के उन जिलों में है, जहां सबसे ज्यादा सीमेंट की सप्लाई की जाती है. इसी जिले के हिरमी रावन गांव में 9 बड़े सीमेंट प्लांट हैं. यहां का बना सीमेंट देश के लगभग सभी राज्यों में भेजा जाता है. हर प्लांट में दो-दो यूनिट हैं, जिनमें 10 हजार टन सीमेंट का प्रोडक्शन और इसकी सप्लाई की जाती है. इसमें केवल अल्ट्राटेक सीमेंट के पास ही खुद का रेलवे ट्रैक है, इसलिए वह दूसरे राज्यों में रेलवे द्वारा भी सीमेंट भेज सकती है. इसे छोड़कर बाकी सभी सीमेंट फैक्ट्रियों से सप्लाई ट्रकों से ही होती है. भाड़ा बढ़ने की वजह से ट्रकों के पहिए थम गए थे. इस वजह से छत्तीसगढ़ में रायपुर समेत सभी जिलों में और दूसरे राज्यों में भी सप्लाई पूरी तरह से ठप हो गई थी. इतनी बड़ी सप्लाई को शुरू करने में कुछ समय लग सकता है.