रायपुर : मानवता को शर्मसार करने वाली कई ऐसी तस्वीरें सामने आती है, जिसमें लोग नवजात बच्चों को कूड़े के ढेर या नदी-नालों में फेंक देते (person who supported the orphan children of Raipur) हैं. ऐसे ही नवजातों या अनाथों के लिए राजधानी रायपुर का 90 वर्षीय बुजुर्ग मसीहा बनकर सामने आया (Save the life of orphan children in Raipur) है. इस उम्र में भी उनके मन में अनाथ बच्चों का जीवन संवारने की धुन सवार है. उनके अंतर्मन में हमेशा यह फिक्र होती है कि कहीं किसी अनाथ बच्चे का जीवन बर्बाद ना हो जाए. भले ही उनकी आंखों की रोशनी धुंधली हो चुकी है, फिर भी जज्बा बरकरार है. वर्षों पहले उन्होंने जिस मातृ छाया की शुरुआत की, वहां अब भी वे जाते हैं. बच्चों का हाल चाल भी पूछते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं सुधाकर माधव कोंडापुरकर की. आखिर इन्होंने इसकी शुरुआत कैसे की. चलिए सीधे उनसे ही जानने की कोशिश करते (Human service of Sudhakar Madhav Kondapurkar of Raipur) हैं.
जवाब: हमारे यहां 312 बच्चे आ चुके हैं. उसमें से 177 बच्चे गोद ले लिए गए हैं, जबकि 63 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता पिता को हमने वापस किया है. वहीं जिन बच्चों की उम्र अधिक हो गई. ऐसे 37 बच्चों को स्थानांतरित किया है. यदि इन बड़े बच्चों को कोई गोद लेना चाहता है तो उसकी भी प्रक्रिया हम लोग ही पूरी करते हैं.
सवाल: इस पूरे काम के लिए आप लोग शासन से किसी तरह का सहयोग लेते हैं?
जवाब: शासन सहयोग देना चाहती है, लेकिन हम लोग किसी तरह का सहयोग लेना नहीं चाहते. हमारी सोच है कि समाज को जोड़ें. समाज को लगना चाहिए कि ये संस्था हमारी है. उस दृष्टि से हमने यह काम किया. नतीजा यह हुआ कि समाज ने हमको सहयोग दिया.