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मरवाही का महासमर: जोगी परिवार के अभेद्य किले को जीतने के लिए कांग्रेस ने रचा चक्रव्यूह

जिस आक्रामक अंदाज से कांग्रेस मरवाही में चुनाव लड़ने जा रही है. कभी इसी आक्रामक अंदाज में खुद अजीत जोगी चुनावी समीकरण बिठाने के लिए जाने जाते थे. देखना होगा कि मरवाही की जनता जोगी परिवार को समर्थन देती या है या फिर कांग्रेस चुनावी मैनेजमेंट के द्वारा यहां के नतीजे बदलने में कामयाब रहती है.

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मरवाही का महासमर
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Published : Oct 15, 2020, 8:36 PM IST

Updated : Oct 15, 2020, 8:51 PM IST

रायपुर: मरवाही उपचुनाव को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने अपनी नाक और साख का विषय बना लिया है. जोगी परिवार के अभेद्य किले के तौर पर जाने जाने वाली इस सीट पर भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने सेंध मारने की पूरी रणनीति तय कर ली है. कांग्रेस ने डॉक्टर केके ध्रुव को मरवाही उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. डॉक्टर केके ध्रुव पिछले कई सालों से इस क्षेत्र में अपनी चिकित्सकीय सेवा दे रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस क्षेत्र के लोगों में उनकी अच्छी खासी पैठ है. इसके बावजूद कांग्रेस कोई भी दाव खाली नहीं छोड़ना चाहती.

मरवाही का महासमर

सशक्त उम्मीदवार के बावजूद हर मोर्चे पर किलेबंदी की जा रही है. इसलिए पार्टी ने इस चुनाव संचालन के लिए 50 से ज्यादा विधायक और सांसद समेत मंत्रियों की फौज मरवाही के चुनावी मैदान में उतार दी है. इससे पहले राष्ट्रीय राजनीति में जब बनारस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े थे. तब देखने को मिला था कि राज्यों के बड़े-बड़े नेता प्रभारी के तौर पर काम करने के लिए नियुक्त किए गए थे. कुछ इसी तर्ज पर मरवाही में कांग्रेस ने किलेबंदी की है.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि मरवाही सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की रही है और इस उपचुनाव में भी यहां से कांग्रेस का उम्मीदवार जीत हासिल करेगा.

आखिर क्यों कांग्रेस को 50 से ज्यादा विधायक मैदान में उतारने पड़े?

छतीसगढ़ में पिछले 15 सास से रमन सिंह की सरकार रही. साल 2018 में भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी. भले ही सरकार किसी भी पार्टी की बनती रही हो, लेकिन मरवाही की सत्ता की चाबी हमेशा जोगी परिवार के हाथ रही है. अजीत जोगी और अमित जोगी यहां से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतते रहे हैं. कहा जाता है कि जोगी परिवार का कोई सदस्य नामांकन दाखिल कर दे. बाकी का काम वहां के कार्यकर्ता और समर्थक ही करते आए हैं. अमित जोगी का कहना है कि यहां की जनता शुरू से जोगी परिवार के साथ में रही है और यहीं कारण है कि उपचुनाव में भी यहां की जनता जोगी परिवार का ही समर्थन करेगी.

जोगी परिवार का किला भेदने कांग्रेस की रणनीति

भूपेश बघेल ने इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए कमर कस ली है. इसलिए ही इतने बड़े पैमाने पर नेताओं को छोटी से छोटी जिम्मेदारी के लिए मरवाही के महासमर में भेजा जा रहा है. कांग्रेस नेताओं को जो जिम्मेदारी पीसीसी के द्वारा दी गई है, उस पर नजर डालेंगे तो बड़े-बड़े नेता और मंत्रियों के हिस्से एक से 2 गांव या एकाध कस्बा आ रहा है.

पढ़ें-SPECIAL: दो डॉक्टर्स और एक वकील के बीच मरवाही का महासमर

किसे कहां दी गई जिम्मेदारी?

उत्तर मरवाही क्षेत्र प्रभारी- उत्तम वासुदेव, प्रभारी मंत्री रुद्रगुरु कुमार

डॉक्टर विनय जयसवाल-भर्राडांड, इंदर शाह मंडावी-निमधा, डॉ. प्रीतम राम-नरौर, आशीष छाबड़ा-धनपुर, देवती कर्मा-मझगांव ,चंदन कश्यप-डूंगरिया, उत्तरी जांगड़े-अंडी, भानु प्रताप सिंह-सिपलहरी, अंबिका सहदेव-दानीकुंड, गुलाब कमरों-समेरदर्री, छाया वर्मा (राज्यसभा सांसद)-रुमगा, भुवनेश्वर बघेल-शिकवा.

दक्षिण मरवाही क्षेत्र प्रभारी- विधायक शैलेश पांडे , प्रभारी मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह

देवेंद्र यादव- मरवाही , प्रकाश नायक-लोहारी , शिशुपाल सोरी-घुसिया, विनोद चंद्राकर-मंडवाही, कुंवर सिंह निषाद-परासी, संत कुमार नेताम-कटरा अनूप नाथ-चनाडोंगरी, दिलीप लहरिया-बगरार, शैलेश पांडे-सिवनी ,पारसनाथ राजवाड़े-मालाडांड़ , विक्रम शाह मंडावी-पंडरी, लखेश्वर बघेल-करगीकला, राजमल बंजारे-बरौर

गौरेला क्षेत्र प्रभारी- अर्जुन तिवारी, प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर

द्वारकाधीश यादव-नेवासा, देवेंद्र बहादुर सिंह-गोरखपुर किस्मत लाल नंद -धनौली , चंद्र देव राय -कोरजा, बृहस्पति सिंह- लालपुर , डॉ प्रीतम राम -अंधियारखोह, चिंतामणि कंवर - ख़्महीकला , ममता चंद्राकर -हर्राटोला, अनीता शर्मा- मेंढऊका, गुरमुख सिंह होरा- भास्कुरा, यूडी मिंज - सेमरा, हर्षद मेहता (पूर्व विधायक)- नेवरी नवापारा, गुरुदयाल बंजारे -जोगीसार, कवासी लखमा-उमरखोही , लालजीत सिंह राठिया - आमगांव

पेंड्रा क्षेत्र प्रभारी-मोहित केरकेट्टा, प्रभारी मंत्री कवासी लखमा

दिलेश्वर साहू-कोटमी , विनय भगत-दमदम , लक्ष्मी ध्रुव- भांडी, रश्मि सिंह-कुदरी, अरुण बोरा- पतगांव, कुलदीप जुनेजा -बचरवार, छन्नी साहू- कुड़कई, अमितेश शुक्ला - अमरपुर, संगीता सिन्हा- नवागांव, शकुंतला साहू-बसंतपुर, पुरुषोत्तम कंवर-कोडगार, सियाराम कौशिक (पूर्व विधायक)- बम्हनी, चुन्नीलाल साहू- मुरमुर, चंद्रभान बारमते-लाटा, मोहित केरकेट्टा-देवरिकला, रामकुमार यादव- अमारू, सांसद दीपक बैज और जनक राम वर्मा- टंगियामार, लालजीत सिंह राठिया-आमाडांड.

वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव की माने तो यहां से कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई में सीधे तौर पर भाजपा को ही फायदा मिलेगा. भाजपा का उम्मीदवार ही यहां से जीत हासिल करेगा. श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस इस सीट पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है. चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस लगातार एक के बाद एक षड्यंत्र रचने से भी बाज नहीं आ रही है.

'मरवाही की जनता जोगी कांग्रेस के साथ'

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इकबाल अहमद रिजवी का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी ने जिन लोगों को मरवाही से उम्मीदवार बनाया है वह स्थानीय नहीं है. यहीं वजह है कि वहां की जनता जोगी परिवार को समर्थन देगी. रिजवी का यह भी कहना है कि पिछले दिनों कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे. इस दौरान वे कोरोना संक्रमित थे और कांग्रेस के नेता, मंत्री और विधायक उनके संपर्क में रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को मरवाही जाने से रोकना चाहिए. नहीं तो मरवाही में भी कोरोना फैल सकता है. जिससे मतदाता प्रभावित हो सकते हैं.

पढ़ें-मरवाही का महासमर: ऋचा जोगी मेरा विकल्प- अमित जोगी

वहीं जब मरवाही उपचुनाव को लेकर की गई किलेबंदी पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा, कांग्रेस के द्वारा पहली बार इस तरीके से चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है. इसके पहले भी प्रदेश में 2 विधानसभा उपचुनाव हुए हैं. जिसमें कांग्रेस ने इसी रणनीति के तहत काम किया है और जीत हासिल की. इस चुनाव में भी कांग्रेस का उम्मीदवार ही जीत हासिल करेगा.

मरवाही में त्रिकोणीय मुकाबला

जिस आक्रामक अंदाज से कांग्रेस मरवाही में चुनाव लड़ने जा रही है. कभी इसी आक्रामक अंदाज में खुद अजीत जोगी चुनावी समीकरण बैठाने के लिए जाने जाते थे. देखना होगा कि मरवाही की जनता जोगी परिवार को समर्थन देती या है या फिर कांग्रेस चुनावी मैनेजमेंट के द्वारा यहां के नतीजे बदलने में कामयाब रहती है. वहीं बीजेपी भी मरवाही की चुनावी दौड़ में बनी हुई है. ऐसे में मरवाही की जनता सत्ता किसे सौंपती है ये तो वक्त ही बताएगा.

रायपुर: मरवाही उपचुनाव को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने अपनी नाक और साख का विषय बना लिया है. जोगी परिवार के अभेद्य किले के तौर पर जाने जाने वाली इस सीट पर भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने सेंध मारने की पूरी रणनीति तय कर ली है. कांग्रेस ने डॉक्टर केके ध्रुव को मरवाही उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. डॉक्टर केके ध्रुव पिछले कई सालों से इस क्षेत्र में अपनी चिकित्सकीय सेवा दे रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस क्षेत्र के लोगों में उनकी अच्छी खासी पैठ है. इसके बावजूद कांग्रेस कोई भी दाव खाली नहीं छोड़ना चाहती.

मरवाही का महासमर

सशक्त उम्मीदवार के बावजूद हर मोर्चे पर किलेबंदी की जा रही है. इसलिए पार्टी ने इस चुनाव संचालन के लिए 50 से ज्यादा विधायक और सांसद समेत मंत्रियों की फौज मरवाही के चुनावी मैदान में उतार दी है. इससे पहले राष्ट्रीय राजनीति में जब बनारस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़े थे. तब देखने को मिला था कि राज्यों के बड़े-बड़े नेता प्रभारी के तौर पर काम करने के लिए नियुक्त किए गए थे. कुछ इसी तर्ज पर मरवाही में कांग्रेस ने किलेबंदी की है.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि मरवाही सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की रही है और इस उपचुनाव में भी यहां से कांग्रेस का उम्मीदवार जीत हासिल करेगा.

आखिर क्यों कांग्रेस को 50 से ज्यादा विधायक मैदान में उतारने पड़े?

छतीसगढ़ में पिछले 15 सास से रमन सिंह की सरकार रही. साल 2018 में भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी. भले ही सरकार किसी भी पार्टी की बनती रही हो, लेकिन मरवाही की सत्ता की चाबी हमेशा जोगी परिवार के हाथ रही है. अजीत जोगी और अमित जोगी यहां से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतते रहे हैं. कहा जाता है कि जोगी परिवार का कोई सदस्य नामांकन दाखिल कर दे. बाकी का काम वहां के कार्यकर्ता और समर्थक ही करते आए हैं. अमित जोगी का कहना है कि यहां की जनता शुरू से जोगी परिवार के साथ में रही है और यहीं कारण है कि उपचुनाव में भी यहां की जनता जोगी परिवार का ही समर्थन करेगी.

जोगी परिवार का किला भेदने कांग्रेस की रणनीति

भूपेश बघेल ने इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए कमर कस ली है. इसलिए ही इतने बड़े पैमाने पर नेताओं को छोटी से छोटी जिम्मेदारी के लिए मरवाही के महासमर में भेजा जा रहा है. कांग्रेस नेताओं को जो जिम्मेदारी पीसीसी के द्वारा दी गई है, उस पर नजर डालेंगे तो बड़े-बड़े नेता और मंत्रियों के हिस्से एक से 2 गांव या एकाध कस्बा आ रहा है.

पढ़ें-SPECIAL: दो डॉक्टर्स और एक वकील के बीच मरवाही का महासमर

किसे कहां दी गई जिम्मेदारी?

उत्तर मरवाही क्षेत्र प्रभारी- उत्तम वासुदेव, प्रभारी मंत्री रुद्रगुरु कुमार

डॉक्टर विनय जयसवाल-भर्राडांड, इंदर शाह मंडावी-निमधा, डॉ. प्रीतम राम-नरौर, आशीष छाबड़ा-धनपुर, देवती कर्मा-मझगांव ,चंदन कश्यप-डूंगरिया, उत्तरी जांगड़े-अंडी, भानु प्रताप सिंह-सिपलहरी, अंबिका सहदेव-दानीकुंड, गुलाब कमरों-समेरदर्री, छाया वर्मा (राज्यसभा सांसद)-रुमगा, भुवनेश्वर बघेल-शिकवा.

दक्षिण मरवाही क्षेत्र प्रभारी- विधायक शैलेश पांडे , प्रभारी मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह

देवेंद्र यादव- मरवाही , प्रकाश नायक-लोहारी , शिशुपाल सोरी-घुसिया, विनोद चंद्राकर-मंडवाही, कुंवर सिंह निषाद-परासी, संत कुमार नेताम-कटरा अनूप नाथ-चनाडोंगरी, दिलीप लहरिया-बगरार, शैलेश पांडे-सिवनी ,पारसनाथ राजवाड़े-मालाडांड़ , विक्रम शाह मंडावी-पंडरी, लखेश्वर बघेल-करगीकला, राजमल बंजारे-बरौर

गौरेला क्षेत्र प्रभारी- अर्जुन तिवारी, प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर

द्वारकाधीश यादव-नेवासा, देवेंद्र बहादुर सिंह-गोरखपुर किस्मत लाल नंद -धनौली , चंद्र देव राय -कोरजा, बृहस्पति सिंह- लालपुर , डॉ प्रीतम राम -अंधियारखोह, चिंतामणि कंवर - ख़्महीकला , ममता चंद्राकर -हर्राटोला, अनीता शर्मा- मेंढऊका, गुरमुख सिंह होरा- भास्कुरा, यूडी मिंज - सेमरा, हर्षद मेहता (पूर्व विधायक)- नेवरी नवापारा, गुरुदयाल बंजारे -जोगीसार, कवासी लखमा-उमरखोही , लालजीत सिंह राठिया - आमगांव

पेंड्रा क्षेत्र प्रभारी-मोहित केरकेट्टा, प्रभारी मंत्री कवासी लखमा

दिलेश्वर साहू-कोटमी , विनय भगत-दमदम , लक्ष्मी ध्रुव- भांडी, रश्मि सिंह-कुदरी, अरुण बोरा- पतगांव, कुलदीप जुनेजा -बचरवार, छन्नी साहू- कुड़कई, अमितेश शुक्ला - अमरपुर, संगीता सिन्हा- नवागांव, शकुंतला साहू-बसंतपुर, पुरुषोत्तम कंवर-कोडगार, सियाराम कौशिक (पूर्व विधायक)- बम्हनी, चुन्नीलाल साहू- मुरमुर, चंद्रभान बारमते-लाटा, मोहित केरकेट्टा-देवरिकला, रामकुमार यादव- अमारू, सांसद दीपक बैज और जनक राम वर्मा- टंगियामार, लालजीत सिंह राठिया-आमाडांड.

वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव की माने तो यहां से कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई में सीधे तौर पर भाजपा को ही फायदा मिलेगा. भाजपा का उम्मीदवार ही यहां से जीत हासिल करेगा. श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस इस सीट पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है. चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस लगातार एक के बाद एक षड्यंत्र रचने से भी बाज नहीं आ रही है.

'मरवाही की जनता जोगी कांग्रेस के साथ'

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इकबाल अहमद रिजवी का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी ने जिन लोगों को मरवाही से उम्मीदवार बनाया है वह स्थानीय नहीं है. यहीं वजह है कि वहां की जनता जोगी परिवार को समर्थन देगी. रिजवी का यह भी कहना है कि पिछले दिनों कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे. इस दौरान वे कोरोना संक्रमित थे और कांग्रेस के नेता, मंत्री और विधायक उनके संपर्क में रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को मरवाही जाने से रोकना चाहिए. नहीं तो मरवाही में भी कोरोना फैल सकता है. जिससे मतदाता प्रभावित हो सकते हैं.

पढ़ें-मरवाही का महासमर: ऋचा जोगी मेरा विकल्प- अमित जोगी

वहीं जब मरवाही उपचुनाव को लेकर की गई किलेबंदी पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा, कांग्रेस के द्वारा पहली बार इस तरीके से चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है. इसके पहले भी प्रदेश में 2 विधानसभा उपचुनाव हुए हैं. जिसमें कांग्रेस ने इसी रणनीति के तहत काम किया है और जीत हासिल की. इस चुनाव में भी कांग्रेस का उम्मीदवार ही जीत हासिल करेगा.

मरवाही में त्रिकोणीय मुकाबला

जिस आक्रामक अंदाज से कांग्रेस मरवाही में चुनाव लड़ने जा रही है. कभी इसी आक्रामक अंदाज में खुद अजीत जोगी चुनावी समीकरण बैठाने के लिए जाने जाते थे. देखना होगा कि मरवाही की जनता जोगी परिवार को समर्थन देती या है या फिर कांग्रेस चुनावी मैनेजमेंट के द्वारा यहां के नतीजे बदलने में कामयाब रहती है. वहीं बीजेपी भी मरवाही की चुनावी दौड़ में बनी हुई है. ऐसे में मरवाही की जनता सत्ता किसे सौंपती है ये तो वक्त ही बताएगा.

Last Updated : Oct 15, 2020, 8:51 PM IST
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