रायपुर: एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय कृषि बिल के विरोध में मोर्चा खोले बैठी है, वहीं दूसरी तरफ एनसीआरबी का डाटा कहता है कि प्रदेश किसान आत्महत्या के मामले में टॉप फाइव में है. छत्तीसगढ़ से पहले आने वाले राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं. कृषि प्रधान राज्यों में शामिल पंजाब, हरियाणा, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश की स्थिति छत्तीसगढ़ से कहीं बेहतर हैं. किसान-किसान करने वाली सरकार के मुंह पर ये तमाचे से कम नहीं है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने महीने भर पहले 2019 की रिपोर्ट जारी की है. पिछले साल देश के 29 राज्यों में किसान और कृषि से जुड़े कुल 20538 लोगों ने आत्महत्या की है, इसमें कृषि श्रमिक भी शामिल हैं. सबसे ज्यादा 7854 मामले अकेले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं. कर्नाटक में यह आंकड़ा 3928 रहा है, आंध्र प्रदेश में 2058, मध्यप्रदेश में 1082 और छत्तीसगढ़ में 998 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं. 2018 में छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 934 था.
किसानों को दिए जा चुके हैं प्रोत्साहन राशि के रूप में 10 हजार करोड़ रुपए
सत्ता में आने के बाद शपथ लेने के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों की कर्ज माफी और बोनस देने का वादा निभाया है. लेकिन हाल ही में दुर्ग में किसान की आत्महत्या के बाद फिर प्रदेश में नकली खाद-बीज, कीटनाशक और बोनस को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. छत्तीसगढ़ में बीते 22 महीने की कांग्रेस सरकार ने किसानों का 11 हजार करोड़ रुपए कर्ज माफ किया है. धान उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 10 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं.
जितना का काम नहीं उससे ज्यादा डिंडोरा - भाजपा
किसानों की बदहाली को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने छत्तीसगढ़ सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार भले ही किसानों के हमदर्द वाली सरकार का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन हालात कुछ और हैं. भाजपा सरकार में छत्तीसगढ़ देश में दूसरा राज्य था जहां कृषि बजट अलग से लाया गया था. किसानों के लिए तमाम तरह की योजनाएं पहले भी बनाई जा चुकी हैं. अब कांग्रेस सरकार जितना काम नहीं कर रही उससे ज्यादा ढिंढोरा पीटा जा रहा है.
![किसान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-rpr-04-kishan-suicide-on-chhattisgarh-spl-7203517_09102020193007_0910f_02919_1012.jpg)
पूर्व कृषि मंत्री ने लगाए भूपेश सरकार पर आरोप
पूर्व कृषि मंत्री ने आरोप लगाया कि किसान न्याय योजना, रोका-छेका, नरवा गरवा घुरवा बाड़ी जैसे नाम से छत्तीसगढ़ी अलंकरण जरूर दिया जा रहा है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जमीनी स्तर पर यह सारी योजनाएं पूरी तरह से फ्लॉप नजर आ रही हैं. गौठानों में गायों की मौत हो रही है. किसान आत्महत्या करने मजबूर हो रहे हैं, प्रदेश भर में नकली खाद बीज का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के गृह जिले के लिहाज से प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण जिला माने जाने वाले दुर्ग में भी किसानों को आत्महत्या करना पड़ रहा है इससे दुखद हालात नहीं हो सकते.
शराब और कर्ज है छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की मुख्य वजह
छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की मुख्य वजह शराब और कर्ज है. राज्य में 2019 से अब तक किसानों की आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में मौत की वजह कर्ज बताई गई है. वहीं पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में सरकार ने विधानसभा में कुछ मामलों में आत्महत्या की वजह ही शराब सेवन बताई थी, हालांकि इस को लेकर सदन ने भी काफी हंगामा हुआ था.
ETV भारत ने कृषि विशेषज्ञों से की बात
छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे किसानों की दुर्दशा को लेकर ETV भारत ने कृषि विशेषज्ञों से बात की. कृषि विशेषज्ञ साजन मल्होत्रा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ या फिर केंद्र सरकार की ओर से जितनी योजनाएं बनाई जा रही हैं, वह किसानों के हित की ही हैं. उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को समिति बनाकर जवाबदारी सौंपनी चाहिए.
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आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं
मनोवैज्ञानिक डॉ जेसी आजवानी कहते हैं कि आत्महत्या समाज के लिए बड़े अभिशाप का विषय है, चाहे किसान हो या मजदूर हो वह आत्महत्या कर के अपने बहुमूल्य जीवन को खत्म ना करें. वे कहते हैं कि किसानों की तमाम समस्याओं और तकलीफों को लेकर वे कहते हैं कि किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती है वह अत्यधिक बारिश या कम बारिश जैसे प्राकृतिक हालातों पर भी निर्भर होते हैं. प्राकृतिक उतार- चढ़ाव का किसानों पर बड़ा असर होता है. किसान अपने खेत में तमाम जमा पूंजी लगा देते हैं, ऐसे में उन लको लाभ नहीं मिलने से वे टूट जाते हैं. वे कहते हैं कि किसानों के लिए मिनिमम इंकम निश्चित करना चाहिए. हर किसान इतना समृद्ध नहीं होता कि वह अपने आपको और अपने खेतों को अत्याधुनिक तकनीकों से विकसित कर सकें.
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कृषि मंत्री रविंद्र चौबे कहते हैं कि किसान की आत्महत्या जैसी घटना बेहद दुखद है सरकार की पूरी संवेदना किसान और किसान परिवार के साथ है. प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री ताम्रध्वज साहू खुद किसान परिवार से मिलने पहुंचे और उनके परिजनों को हर जरूरत मदद का वादा भी किया है. इसके साथ ही किसान ने जिस दुकानों से नकली कीटनाशक खरीदी थी उन तमाम दुकानों पर भी छापेमारी और सील बंदी के कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा की गई है. साथ ही प्रदेश भर में खाद बीज के लिए कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.
किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के दर से धान की खरीदी
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए पूरी तरह समर्पित है. किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के दर से धान की खरीदी की जा रही है. बोनस राशि दी जा रही है साथ ही कर्ज माफी की गई है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों किसानों से साथ होने का दावा किया लेकिन उनके साथ छल किया. वर्तमान सरकार उनका साथ दे रही है. फिलहाल सरकारी दावों की हकीकत एनसीआरबी की रिपोर्ट खोल रही है.