रायपुर: जिन्होंने कला की रोशनी से रंगमंच को रोशन कर दिया, वक्त गुजरा और हमने उनकी चमक भुला दी, जिनके अभिनय ने हमें मनोरंजन का खजाना दिया, वो इतने गुमनाम हुए कि उनकी मुट्ठी दो रोटी के लिए भी खाली है. विश्व रंगमंच दिवस पर आज हम आपको ऐसी ही एक कलाकार से रू-ब-रू करा रहे हैं, जिनके पति के नाम से कभी छत्तीसगढ़ में आयोजित हर मंच में जान आ जाती थी, लेकिन आज वे अंधेरे में जिंदगी की किरणें तलाशती हैं.
एक दौर था जब हबीब तनवीर के नाटकों में रामनाथ का तबला जान डाल दिया करते थे. उन्होंने ‘चरणदास चोर’ जैसे क्लासिक प्ले में भी तबला बजाया था, लेकिन आज उनका परिवार गुमनामी में जीने को मजबूर है. रामनाथ साहू के निधन के बाद उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई मुश्किल से गुजर-बसर कर रही हैं.
भावुक हो गईं लक्ष्मीबाई
कोई सहारा नहीं मिलने पर दर-दर की ठोकर खा रही लक्ष्मीबाई को गायिका रमा जोशी ने अपने घर में स्थान दिया. आज वो रमा जोशी के साथ ही रहती हैं और उन्हीं के साथ नाटक आदि में काम करती हैं. कई दशकों से छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को पूरे देश में फैलाने वाली लक्ष्मीबाई से जब ETV भारत ने बात की, तो उनकी आंखें भर आईं. लक्ष्मी ने बताया कि पति के गुजरने पर सरकार ने उन्हें 25 हजार रुपए दिए थे, उसके बाद आज तक सरकार की तरफ से न कोई पेंशन मिली और न ही कोई मदद मिली. लक्ष्मीबाई बताती हैं कि उनके पति के पास खेती-बाड़ी, जमीन-जायदाद जैसा कुछ भी नहीं था.
सरकार से नहीं मिली कोई मदद
लक्ष्मीबाई यादों में गुम होती हुई बताती हैं कि जब पति जिंदा थे, तो रात-दिन मेहनत कर किसी तरह घर-गृहस्थी की गाड़ी खींच लेते थे, लेकिन आज गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है. दुःख इस बात का ज्यादा है कि छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया की बात करने वाली सरकार ने आज तक उनकी ओर पलटकर भी नहीं देखा.