रायपुर: सुपेबेड़ा में लगातार हो रही मौतों को लेकर सरकार ने चिंता जाहिर की है. सोमवार को सरकार ने सुपेबेड़ा मामले पर अपना पक्ष रखा है. जिसमे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव और एम्स के डॉक्टर सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे. गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव में 15 दिन के अंदर दो मौतों के बाद लोग दर्द और दहशत में हैं. इन दोनों मौतों के बाद जहां एक तरफ हड़कंप मचा हुआ है, वहीं राज्यपाल भी दौरे पर जा रही हैं.
'सुधार नहीं हुआ तो दूसरी स्थिति आ सकती है'
आपात स्थिति या विशेष दर्जे के तहत कार्य योजना बनाकर काम किए जाने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि फिलहाल उस परिस्थिति में ध्यान दिया जा रहा है. इसमें अगर सुधार नहीं दिखता तो दूसरी स्थिति आ सकती है. मंत्री ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में नहीं होती है तो आगे दूसरी बातों पर भी विचार किया जा सकता है.
RO इस्तेमाल करने जागरूक किया जा रहा है: सिंहदेव
मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि सुपेबेड़ा में पानी के फ्लोराइड और दूसरे तत्वों की वजह से बीमारी हो रही है. वहां पीने के साफ पानी की व्यवस्था की गई है. लेकिन अभी देखने वाली बात है कि वहां पर लोग RO का उपयोग करने के बजाय अपने पारंपरिक पेयजल स्त्रोत का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहां के लोगों को RO इस्तेमाल करने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है.
'स्वास्थ्य सुधारने सरकार कर रही प्रयास'
टीएस सिंहदेव ने कहा कि सुपेबेड़ा में हो रही मौतों को रोकने सरकार गंभीर है. सरकार का मकसद सुपेबेड़ा और आस-पास के गांव में लोगों की उचित स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराना है. इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. डायलिसिस के पहले दवाओं से भी गांव वालो के स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. जो लोग किडनी की बीमारी से ग्रस्त हो गए हैं, उनके लिए सामान्य से हटकर ध्यान दिया जा रहा है. वहां के हर नागरिक के स्वास्थ्य के लिए भी सरकार पर्याप्त ध्यान दे रही है.
पुल बनाने के लिए राशि स्वीकृत हो गई है: सिंहदेव
मंत्री ने कहा कि लोगों की मांग पर वहां पर पुल निर्माण के लिए भी स्वीकृति दे दी गई है. लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से वहां पर पुल निर्माण कराया जाएगा.
'अब भी दो से ढाई सौ लोग बीमारी की चपेट में'
सिंहदेव ने बताया कि वर्तमान में लगभग 200 से 250 लोग किडनी की बीमारी से ग्रसित हैं. इस क्षेत्र में हफ्ते में दो या तीन कैंप लगाए जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि जानकारी आ रही है कि उड़ीसा से भी इन क्षेत्रों में शराब आती है. वहां की शराब में यूरिया का कंटेंट ज्यादा होता है जिसकी वजह से भी लोग बीमार हो रहे हैं. इसको लेकर भी सरकार नजर बनाए हुए हैं.
अब तक क्या हुआ-
- 29 सितंबर को पूरनधर पुरैना की मौत हुई, वो 3 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था.
- 15 अक्टूबर को फिर 5 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे अकालु मुसरा ने दम तोड़ दिया.
- 2 लोगों की मौत के बाद एम्स से डॉक्टर्स की टीम गांव पहुंची और 25 लोगों का चेकअप किया गया.
- इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जितने भी केस हैं, वो इतने पुराने हैं कि उनका इलाज मुश्किल हो जाता है. डॉक्टर्स ने भी कहा कि अभी नए केस कम हैं.
- राज्यपाल अनुसइया उइके ने कहा था कि उन्हें हेलीकॉप्टर नहीं भी मिला तो वे रोड से सुपेबेड़ा जाएंगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके इस बयान पर कहा था कि राज्यपाल की चिंता वाजिब है.
- गरियाबंद जिले के इस गांव में किडनी की बीमारी ने 71 जिंदगियां लील ली हैं लेकिन अभी तक कोई हल नहीं मिल पाया है.