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महंगाई के दौर में ई व्हीकल पॉलिसी से जनता को होगा फायदा: दीपांशु काबरा

छत्तीसगढ़ के लोगों को जल्द ही पेट्रोल डीजल की महंगाई के बीच सस्ता परिवहन का साधन उपलब्ध हो (Special talk with Dipanshu Kabra on e vehicle policy ) पाएगा. छत्तीसगढ़ में जल्द ही ई व्हीकल पॉलिसी लागू होने जा रही (Dipanshu Kabra Chhattisgarh Public Relations Commissioner) है. इसका स्वरुप कैसा होगा. कैसे ई व्हीकल को प्रमोट करने के लिए छत्तीसगढ़ में काम होगा. इन सब विषयों पर ईटीवी भारत ने फेस टू फेस में छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क और परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा से खास (Chhattisgarh Transport Commissioner Dipanshu Kabra) बात की है.

Conversation with Chhattisgarh Public Relations Commissioner
दीपांशु काबरा से खास बातचीत
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Published : Jul 15, 2022, 10:21 PM IST

रायपुर : पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से आम आदमी परेशान है. सरकारें भी इसे लेकर चिंतित (Special talk with Dipanshu Kabra on e vehicle policy ) हैं. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. देश के कई राज्य सरकारों ने ई व्हीकल को अपने राज्य में प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी तैयार कर ली (Dipanshu Kabra Chhattisgarh Public Relations Commissioner) है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इस दिशा में पहल की है. बघेल कैबिनेट ने ई व्हीकल पॉलिसी को हरी झंडी दे दी है. क्या प्रावधान किए गए हैं, इस पॉलिसी में ? इससे आम जनता को कितना फायदा होगा ? कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की है प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा से. इनके पास परिवहन आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार भी है. आइये जानते हैं, उन्होंने क्या कहा (Chhattisgarh Transport Commissioner Dipanshu Kabra) ?

दीपांशु काबरा से खास बातचीत
सवाल :
इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रमोट करने का फैसला राज्य सरकार की कैबिनेट ने लिया है. इसका ब्लूप्रिंट तैयार करने में परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा जी, आपकी भी भूमिका अहम रही है. क्या खास है इस पॉलिसी में ? जवाब : ई व्हीकल पॉलिसी देश के 11 राज्यों ने बना ली है. छत्तीसगढ़ 12वां राज्य है. हमने सभी राज्यों की पॉलिसीज का अध्ययन किया. सभी जानकारों से बातचीत कर हमने पालिसी बनाई है. जो अन्य राज्यों से बहुत ही अलग और अच्छी पॉलिसी है. इन वाहनों को लेकर आम आदमी के मन में कई सवाल हैं. जैसे इनकी बैट्री चलने और चार्ज करने की सुविधा को लेकर दुविधा रहती है. हमने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जोर दिया है. हमने लचीली पॉलिसी बनाई है. जिसमें बदलाव की गुंजाइश भी रहेगी. इसके लिए सरकार ने तीन समितियों का गठन किया है. जो लोगों की सहूलियत के हिसाब से बदलाव पर फैसला लेने में सक्षम रहेंगी. ज्यादातर राज्यों में यह पार्ट बड़ा सख्त बनाया गया है. छोटे छोटे बदलाव के लिए भी कैबिनेट के फैसले पर निर्भर रहना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ का विकास मॉडल फेल, असम और बिहार के बाद अब यूपी की जनता भी इसे नकारेगी: धरमलाल कौशिक

सवाल : ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमी चाहते हैं कि सरकार ऐसा प्रावधान करें, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल के पार्ट्स प्रदेश में ही बनाए और इंस्टॉल किए जा सके. क्या प्रावधान है पॉलिसी में ?
जवाब : हम चाहते हैं कि मैन्युफैक्चर क्षेत्र से जुड़े उद्यमी राज्य में आएं और यहीं पर इलेक्ट्रिक व्हीकल के पार्ट्स का निर्माण कार्य करें. इसके लिए नया रायपुर में जगह देने की बात भी की गई है. प्रदेश की इंडस्ट्रियल पॉलिसी के तहत इन्हें सब्सिडी देने का भी प्रावधान है. पॉलिसी में उद्यमियों को मदद करने का भी प्रावधान है. ताकि वे अपना यूनिट लगाएं और लोगों को रोजगार दें.



सवाल : क्या कोई लक्ष्य निर्धारित किया है. या कोई डाटाबेस तैयार है. जिससे यह पता चल सके कि इलेक्ट्रिक वाहनों के चलने से पेट्रोलियम पदार्थों की कितनी बचत होगी ?
जवाब : आंकड़े तो फिलहाल हमारे पास नहीं हैं, लेकिन सब्सिडी डाटा के आधार पर 5 साल में 2 सौ करोड़ रूपये सब्सिडी के तौर पर लोगों को दिए जाएंगे. सब्सिडी सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर होगी. पेट्रोल की जगह ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल चूज करें. हमारी यही कोशिश है. इलेक्ट्रिक व्हीकल साउंड लेस है और इसमें पॉल्यूशन भी बहुत कम है. इनके चार्जिंग के लिए हम घरों, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स सहित अलग-अलग जगह पर चार्जिंग प्वाइंट्स लगाने के लिए बात कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में, एक किलोमीटर सफर करने में करीब एक रुपया ही खर्च होता है. पेट्रोलियम पदार्थों से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इनमें खर्च 10 गुना कम होता है. इलेक्ट्रिक गाड़ियां थोड़ी महंगी है. इसलिए सरकार ने सब्सिडी देने का फैसला लिया है. ताकि लोग इसे आसानी से खरीद पाएं.



सवाल : हाई वे में भी चार्जिंग प्वाइंट्स रहेंगे क्या ?
जवाब : स्टेट और नेशनल हाईवेज के साथ-साथ जहां भी हमें लगेगा कि उस सड़क पर चार्जिंग प्वाइंट्स होनी चाहिए. हम उन सभी स्थानों पर यह प्वाइंट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगे.


सवाल : पत्रकार सुरक्षा कानून कब तक बनकर तैयार हो जाएगा ?
जवाब : इस विषय में सचिव लेवल की मीटिंग हो चुकी है. बैठक में इस कानून के सभी बिंदुओं पर चर्चा भी की जा चुकी है. कुछ बिंदुओं में बदलाव किए जाने हैं. जिसे हम कर रहे हैं. जल्द ही यह काम भी हो जाएगा.

सवाल : आप सोशल मीडिया में काफी सक्रिय रहते हैं. मुख्यमंत्री ने भी कई बार आपकी तारीफ की है. क्या आपको लगता है कि सोशल मीडिया ऐसा माध्यम है जहां आप लोगों को संदेश देते हुए अपनी बात रख सकते हैं ?
जवाब : पचास से साठ प्रतिशत लोग आज स्मार्टफोन उपयोग कर रहे हैं. सोशल मीडिया से ज्यादातर लोग जुड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ में काफी लोग फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफार्म का उपयोग करने लगे हैं. नई पीढ़ी भी इसका उपयोग कर रही है. ऐसे में यह एक अच्छा और सशक्त माध्यम है. जिसके जरिए हम सरकार की योजनाओं की जानकारी दे सकते हैं. इस माध्यम का हमें बखूबी यूज करना चाहिए. अगर हम किसी को मोटिवेट भी करना चाह रहे हैं तब भी हम इस माध्यम का उपयोग कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: फिल्म नीति को लेकर क्या कहते हैं छालीवुड स्टार अनुज, क्या संस्कृति विभाग के अफसरों के रवैये से कलाकार हैं नाराज!

सवाल : परिवहन सुविधा केंद्र लोगों के लिए कितना फायदेमंद है ?
जवाब : हमने लोगों को उनके आस-पास ड्राइविंग की लर्निंग लाइसेंस देने के लिए केंद्रों को शुरू किया है. यह काम हमने निजी संस्थाओं को सौप दिया है. जहां वे सभी औपचारिकताएं निभाने के बाद, लोगों को लर्निंग लाइसेंस दे रहे हैं. अब इसके लिए आम लोगों को आरटीओ ऑफिस जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है. परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों को अभी भी शहर के आरटीओ ऑफिस जाना पड़ रहा है. हम प्रयासरत है कि "ई-ट्रैक्स" के माध्यम से इन्हीं सुविधा केंद्रों में दो-तीन माह के बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस भी लोगों को दे पाएं. "ई-ट्रैक्स" में लोग अपनी गाड़ी चला कर परीक्षा देंगे. जिसमें सफल होने के बाद उन्हें सुविधा केंद्रों में ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस दे दिया जाएगा.

रायपुर : पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से आम आदमी परेशान है. सरकारें भी इसे लेकर चिंतित (Special talk with Dipanshu Kabra on e vehicle policy ) हैं. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. देश के कई राज्य सरकारों ने ई व्हीकल को अपने राज्य में प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी तैयार कर ली (Dipanshu Kabra Chhattisgarh Public Relations Commissioner) है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इस दिशा में पहल की है. बघेल कैबिनेट ने ई व्हीकल पॉलिसी को हरी झंडी दे दी है. क्या प्रावधान किए गए हैं, इस पॉलिसी में ? इससे आम जनता को कितना फायदा होगा ? कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की है प्रदेश के जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा से. इनके पास परिवहन आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार भी है. आइये जानते हैं, उन्होंने क्या कहा (Chhattisgarh Transport Commissioner Dipanshu Kabra) ?

दीपांशु काबरा से खास बातचीत
सवाल : इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रमोट करने का फैसला राज्य सरकार की कैबिनेट ने लिया है. इसका ब्लूप्रिंट तैयार करने में परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा जी, आपकी भी भूमिका अहम रही है. क्या खास है इस पॉलिसी में ? जवाब : ई व्हीकल पॉलिसी देश के 11 राज्यों ने बना ली है. छत्तीसगढ़ 12वां राज्य है. हमने सभी राज्यों की पॉलिसीज का अध्ययन किया. सभी जानकारों से बातचीत कर हमने पालिसी बनाई है. जो अन्य राज्यों से बहुत ही अलग और अच्छी पॉलिसी है. इन वाहनों को लेकर आम आदमी के मन में कई सवाल हैं. जैसे इनकी बैट्री चलने और चार्ज करने की सुविधा को लेकर दुविधा रहती है. हमने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जोर दिया है. हमने लचीली पॉलिसी बनाई है. जिसमें बदलाव की गुंजाइश भी रहेगी. इसके लिए सरकार ने तीन समितियों का गठन किया है. जो लोगों की सहूलियत के हिसाब से बदलाव पर फैसला लेने में सक्षम रहेंगी. ज्यादातर राज्यों में यह पार्ट बड़ा सख्त बनाया गया है. छोटे छोटे बदलाव के लिए भी कैबिनेट के फैसले पर निर्भर रहना पड़ता है.

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सवाल : ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़े उद्यमी चाहते हैं कि सरकार ऐसा प्रावधान करें, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल के पार्ट्स प्रदेश में ही बनाए और इंस्टॉल किए जा सके. क्या प्रावधान है पॉलिसी में ?
जवाब : हम चाहते हैं कि मैन्युफैक्चर क्षेत्र से जुड़े उद्यमी राज्य में आएं और यहीं पर इलेक्ट्रिक व्हीकल के पार्ट्स का निर्माण कार्य करें. इसके लिए नया रायपुर में जगह देने की बात भी की गई है. प्रदेश की इंडस्ट्रियल पॉलिसी के तहत इन्हें सब्सिडी देने का भी प्रावधान है. पॉलिसी में उद्यमियों को मदद करने का भी प्रावधान है. ताकि वे अपना यूनिट लगाएं और लोगों को रोजगार दें.



सवाल : क्या कोई लक्ष्य निर्धारित किया है. या कोई डाटाबेस तैयार है. जिससे यह पता चल सके कि इलेक्ट्रिक वाहनों के चलने से पेट्रोलियम पदार्थों की कितनी बचत होगी ?
जवाब : आंकड़े तो फिलहाल हमारे पास नहीं हैं, लेकिन सब्सिडी डाटा के आधार पर 5 साल में 2 सौ करोड़ रूपये सब्सिडी के तौर पर लोगों को दिए जाएंगे. सब्सिडी सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर होगी. पेट्रोल की जगह ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल चूज करें. हमारी यही कोशिश है. इलेक्ट्रिक व्हीकल साउंड लेस है और इसमें पॉल्यूशन भी बहुत कम है. इनके चार्जिंग के लिए हम घरों, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स सहित अलग-अलग जगह पर चार्जिंग प्वाइंट्स लगाने के लिए बात कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में, एक किलोमीटर सफर करने में करीब एक रुपया ही खर्च होता है. पेट्रोलियम पदार्थों से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इनमें खर्च 10 गुना कम होता है. इलेक्ट्रिक गाड़ियां थोड़ी महंगी है. इसलिए सरकार ने सब्सिडी देने का फैसला लिया है. ताकि लोग इसे आसानी से खरीद पाएं.



सवाल : हाई वे में भी चार्जिंग प्वाइंट्स रहेंगे क्या ?
जवाब : स्टेट और नेशनल हाईवेज के साथ-साथ जहां भी हमें लगेगा कि उस सड़क पर चार्जिंग प्वाइंट्स होनी चाहिए. हम उन सभी स्थानों पर यह प्वाइंट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगे.


सवाल : पत्रकार सुरक्षा कानून कब तक बनकर तैयार हो जाएगा ?
जवाब : इस विषय में सचिव लेवल की मीटिंग हो चुकी है. बैठक में इस कानून के सभी बिंदुओं पर चर्चा भी की जा चुकी है. कुछ बिंदुओं में बदलाव किए जाने हैं. जिसे हम कर रहे हैं. जल्द ही यह काम भी हो जाएगा.

सवाल : आप सोशल मीडिया में काफी सक्रिय रहते हैं. मुख्यमंत्री ने भी कई बार आपकी तारीफ की है. क्या आपको लगता है कि सोशल मीडिया ऐसा माध्यम है जहां आप लोगों को संदेश देते हुए अपनी बात रख सकते हैं ?
जवाब : पचास से साठ प्रतिशत लोग आज स्मार्टफोन उपयोग कर रहे हैं. सोशल मीडिया से ज्यादातर लोग जुड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ में काफी लोग फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफार्म का उपयोग करने लगे हैं. नई पीढ़ी भी इसका उपयोग कर रही है. ऐसे में यह एक अच्छा और सशक्त माध्यम है. जिसके जरिए हम सरकार की योजनाओं की जानकारी दे सकते हैं. इस माध्यम का हमें बखूबी यूज करना चाहिए. अगर हम किसी को मोटिवेट भी करना चाह रहे हैं तब भी हम इस माध्यम का उपयोग कर सकते हैं.

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सवाल : परिवहन सुविधा केंद्र लोगों के लिए कितना फायदेमंद है ?
जवाब : हमने लोगों को उनके आस-पास ड्राइविंग की लर्निंग लाइसेंस देने के लिए केंद्रों को शुरू किया है. यह काम हमने निजी संस्थाओं को सौप दिया है. जहां वे सभी औपचारिकताएं निभाने के बाद, लोगों को लर्निंग लाइसेंस दे रहे हैं. अब इसके लिए आम लोगों को आरटीओ ऑफिस जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है. परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों को अभी भी शहर के आरटीओ ऑफिस जाना पड़ रहा है. हम प्रयासरत है कि "ई-ट्रैक्स" के माध्यम से इन्हीं सुविधा केंद्रों में दो-तीन माह के बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस भी लोगों को दे पाएं. "ई-ट्रैक्स" में लोग अपनी गाड़ी चला कर परीक्षा देंगे. जिसमें सफल होने के बाद उन्हें सुविधा केंद्रों में ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस दे दिया जाएगा.

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