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EXCLUSIVE: AIIMS के अधीक्षक ने कहा- 'हमने कोरोना को चैलेंज की तरह लिया' - डॉक्टर करण पीपरे से खास बातचीत

छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां 10 में से 9 कोरोना के मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग और रायपुर एम्स के डॉक्टरों ने सराहनीय काम किया है. एम्स के डॉक्टरों की इस उपलब्धि की चर्चा विदेश में भी हो रही है. ETV भारत ने AIIMS के अधीक्षक से बात की, उनके अनुभव के साथ उनकी तैयारियों के बारे में भी चर्चा की.

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रायपुर AIIMS के अधीक्षक
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Published : Apr 6, 2020, 7:43 PM IST

Updated : Apr 6, 2020, 8:26 PM IST

रायपुर: कोरोना वायरस जहां पूरी दुनिया में तेजी के साथ पैर पसार रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां 10 में से 9 मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. इसमें स्वास्थ्य विभाग और रायपुर एम्स के डॉक्टरों ने सराहनीय काम किया है. एम्स के डॉक्टरों की इस उपलब्धि की चर्चा चारों तरफ हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के प्रमुखों के साथ कोरोना से बचाव को लेकर वार्ता का प्रस्ताव रखा था. इसमें पीएम के प्रस्ताव पर दिल्ली एम्स के साथ रायपुर एम्स को भी शामिल किया गया है. ये सभी डॉक्टर कोरोना से बचाव का तरीका अन्य देशों के डॉक्टर और वैज्ञानिकों के साथ साझा करेंगे.

एम्स के अधीक्षक से खास बातचीत

एम्स के अधीक्षक डॉक्टर करण पीपरे से ETV भारत ने एम्स की तैयारियों को लेकर खास बातचीत की.

प्रश्न- जब सबसे पहले कोरोना का मरीज आया तो आपकी क्या तैयारियां थी ?

जब सबसे पहला मरीज आया था, उसके पहले ही हमने तैयारियां कर ली थी. रात में उसे भर्ती कराया गया था. समय-समय में मॉनिटिरिंग कर रहे थे. हम जानते थे कि इसकी कोई दवाई नहीं है फिर भी हमने हिम्मत के साथ मरीज को बराबर निगरानी में रखा. हमारी कोशिश थी की जल्द से जल्द उसे ठीक कर घर वापस भेज सकें.

प्रश्न- स्टाफ को तैयार करने में किन- किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा?

कोरोना के नाम से तो सभी डरे हुए थे फिर भी स्टॉफ का हर व्यक्ति ड्यूटी के लिए तैयार था, किसी ने भी मना नहीं किया. हमने शुरू में सिर्फ 6 बिस्तर का ही रूम तैयार किया. हमें लगा कि अभी इतने मरीज नहीं आएंगे, लेकिन अचानक से संख्या बढ़ने लगी. इसके बाद हमने अपने आयुष भवन को एक ही दिन में खाली कराकर 500 बिस्तर का वेंटिलेटर तैयार किया. सभी तरह के उपकरण वहां रखे. कोरोना के टेस्ट के लिए आवश्यक सभी चीजों का इंतजाम किया.

स्टॉफ की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया. 3 शिफ्ट में उनकी ड्यूटी लगती थी. जिसके बाद उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था यहीं की गई थी. ड्यूटी खत्म होने के 1 हफ्ते तक वे वहीं रहते थे, उसके बाद अपने घर जाते थे.

प्रश्न- बीमारी का इलाज करते समय कोई हिचक थी?

बिल्कुल कोई भी हिचक नहीं थी. हमने पहले भी कई बीमारियां देखी हैं. पोलियो मुक्त किया है भारत को. हमने कहा नया कोई कीटाणु है और ये आतंक मचाया हुआ है. किसी को भी कोई डर महसूस नहीं हुआ.

प्रश्न- जो दवाईयां उपयोग की जा रही हैं, इसका कोई रिएक्शन आगे चलकर नजर आ सकता है?

ये जो मुख्य दवाई है जिसका उपयोग किया गया है वह है हाइड्रोक्सी क्लोरो. इस दवाई का उपयोग नार्मल सर्दी-खांसी में किया जाता है. ये आम दवा है. मलेरिया या ठंड का कोई बुखार आता है तो यही दवाई दी जाती है .इसके साथ ही एंटी बायोटिक्स, पैरासिटामॉल, मल्टी विटामिन जैसी दवाईयां ही उपयोग की गई है. इनका अगर कोई रिएक्शन होता तो वह पहले ही नजर आ जाता है.

रायपुर: कोरोना वायरस जहां पूरी दुनिया में तेजी के साथ पैर पसार रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां 10 में से 9 मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. इसमें स्वास्थ्य विभाग और रायपुर एम्स के डॉक्टरों ने सराहनीय काम किया है. एम्स के डॉक्टरों की इस उपलब्धि की चर्चा चारों तरफ हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के प्रमुखों के साथ कोरोना से बचाव को लेकर वार्ता का प्रस्ताव रखा था. इसमें पीएम के प्रस्ताव पर दिल्ली एम्स के साथ रायपुर एम्स को भी शामिल किया गया है. ये सभी डॉक्टर कोरोना से बचाव का तरीका अन्य देशों के डॉक्टर और वैज्ञानिकों के साथ साझा करेंगे.

एम्स के अधीक्षक से खास बातचीत

एम्स के अधीक्षक डॉक्टर करण पीपरे से ETV भारत ने एम्स की तैयारियों को लेकर खास बातचीत की.

प्रश्न- जब सबसे पहले कोरोना का मरीज आया तो आपकी क्या तैयारियां थी ?

जब सबसे पहला मरीज आया था, उसके पहले ही हमने तैयारियां कर ली थी. रात में उसे भर्ती कराया गया था. समय-समय में मॉनिटिरिंग कर रहे थे. हम जानते थे कि इसकी कोई दवाई नहीं है फिर भी हमने हिम्मत के साथ मरीज को बराबर निगरानी में रखा. हमारी कोशिश थी की जल्द से जल्द उसे ठीक कर घर वापस भेज सकें.

प्रश्न- स्टाफ को तैयार करने में किन- किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा?

कोरोना के नाम से तो सभी डरे हुए थे फिर भी स्टॉफ का हर व्यक्ति ड्यूटी के लिए तैयार था, किसी ने भी मना नहीं किया. हमने शुरू में सिर्फ 6 बिस्तर का ही रूम तैयार किया. हमें लगा कि अभी इतने मरीज नहीं आएंगे, लेकिन अचानक से संख्या बढ़ने लगी. इसके बाद हमने अपने आयुष भवन को एक ही दिन में खाली कराकर 500 बिस्तर का वेंटिलेटर तैयार किया. सभी तरह के उपकरण वहां रखे. कोरोना के टेस्ट के लिए आवश्यक सभी चीजों का इंतजाम किया.

स्टॉफ की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया. 3 शिफ्ट में उनकी ड्यूटी लगती थी. जिसके बाद उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था यहीं की गई थी. ड्यूटी खत्म होने के 1 हफ्ते तक वे वहीं रहते थे, उसके बाद अपने घर जाते थे.

प्रश्न- बीमारी का इलाज करते समय कोई हिचक थी?

बिल्कुल कोई भी हिचक नहीं थी. हमने पहले भी कई बीमारियां देखी हैं. पोलियो मुक्त किया है भारत को. हमने कहा नया कोई कीटाणु है और ये आतंक मचाया हुआ है. किसी को भी कोई डर महसूस नहीं हुआ.

प्रश्न- जो दवाईयां उपयोग की जा रही हैं, इसका कोई रिएक्शन आगे चलकर नजर आ सकता है?

ये जो मुख्य दवाई है जिसका उपयोग किया गया है वह है हाइड्रोक्सी क्लोरो. इस दवाई का उपयोग नार्मल सर्दी-खांसी में किया जाता है. ये आम दवा है. मलेरिया या ठंड का कोई बुखार आता है तो यही दवाई दी जाती है .इसके साथ ही एंटी बायोटिक्स, पैरासिटामॉल, मल्टी विटामिन जैसी दवाईयां ही उपयोग की गई है. इनका अगर कोई रिएक्शन होता तो वह पहले ही नजर आ जाता है.

Last Updated : Apr 6, 2020, 8:26 PM IST
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