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रायपुर: छत्तीसगढ़ में राइट टू एजुकेशन कानून की हालत, देखिए क्या कहते हैं आंकड़े

शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) की बात करें, तो छत्तीसगढ़ में 6 हजार 529 स्कूल हैं, जिनमें 6 हजार 30 स्कूलों पर राइट टू एजुकेशन कानून लागू होता है.

system related to RTE in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में RTE की व्यवस्था
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Published : Aug 17, 2020, 12:52 PM IST

रायपुर: 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने (RTE) 'शिक्षा का अधिकार' कानून पर अपनी मुहर लगाते हुए पूरे देश में इसे लागू करने का आदेश दिया है. इस अधिनियम के पारित होने के बाद से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का संवैधानिक अधिकार मिला. इस कानून के तहत देश में हर 6 साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होगा. हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा हासिल कर सकेगा. सभी बच्चों को अपने आसपास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा.

छत्तीसगढ़ में RTE को लेकर कैसी है व्यवस्था

बच्चों को मिलती हैं सुविधाएं

इस नियम में सबसे बड़ी बात यह है कि यह कानून निजी स्कूलों पर भी लागू किया गया है. शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके राज्य में बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा मिले. बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्कूल में अन्य अनिवार्य सुविधाएं जैसे पेयजल, खेलकूद की सामग्री और खेल का मैदान भी दिया जाएगा.

preparations of rte in chhattisgarh
2019 में RTE कोटे का हाल

पढ़ें- SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान


छत्तीसगढ़ में RTE के दायरे में कितने स्कूल

छत्तीसगढ़ की बात की जाए, तो पूरे प्रदेश में 6 हजार 529 स्कूल हैं, जिसमें RTE 6 हजार 30 स्कूलों पर लागू होता है. नर्सरी के लिए कुल 17,341 सीटें हैं. वहीं केजी वन के लिए 13 हजार 699 सीटें हैं, वहीं पहली क्लास में 8 हजार 44 सीटें हैं. इस साल 82 हजार 19 एप्लीकेशन आए हैं.

preparations of rte in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में RTE को लेकर कैसी है व्यवस्था

2019 में छत्तीसगढ़ में RTE के दायरे में कितने स्कूल

साल 2019 में RTE के तहत 75 हजार 312 सीटें थीं. रायपुर की बात की जाए, तो नर्सरी के लिए कुल 2 हजार 896 सीटें हैं. वहीं केजी वन के लिए 664 सीटें, क्लास वन में 606 सीटें हैं.

preparations of rte in chhattisgarh
2020 में RTE कोटे का हाल


पालक अपने चॉइस के आधार पर कर सकते हैं आवेदन

जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर ने बताया कि रायपुर में RTE के तहत कुल 8 हजार सीटें हैं, जिसके लिए हमें 10 हजार ऑनलाइन आवेदन आए हैं. उसमें 6 हजार बच्चों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है, लेकिन बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी हैं, जिन्हें मनचाहा स्कूल नहीं मिल रहा है. जिस वजह से वो एडमिशन नहीं ले पाए हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी सूची जारी की जाएगी, लेकिन इस लिस्ट से भी सीट नहीं भरेंगी, तो तीसरी सूची जारी होगी. हर स्कूल में एक मानक तय होता है. इसके तहत 25 प्रतिशत सीट रखी जाती है, इसी आधार पर आवेदक अपनी चॉइस के स्कूल में ऑनलाइन आवेदन करते हैं. पालक एक स्कूल से ज्यादा स्कूल की चॉइस भी कर सकते हैं. वह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है.

preparations of rte in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में RTE की स्थिति

पढ़ें- SPECIAL: कांकेर में हांफ रही 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना, बिना नेटवर्क डगमगा रहा बच्चों का भविष्य


सरकारी स्कूल में नहीं होते संसाधन

शिक्षाविद् जवाहर सूरीशेट्टी ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून में कई चैलेंज हैं. उन्होंने बताया कि पहली क्लास तक लॉटरी से एडमिशन ले सकते हैं. उसके बाद मेरिट से बच्चों का एडिमिशन होता है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में संसाधनों की कमी रहती है, जिसके कारण बच्चे की पढ़ाई का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल में जो बच्चे एडमिशन लेते हैं, उनके पास संसाधन होते हैं.

preparations of rte in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में RTE की स्थिति


छत्तीसगढ़ में शिक्षा को लेकर पारदर्शिता

निजी स्कूल के संचालक विजय चोपड़ा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा में पारदर्शिता है. RTE के लिए पहले अभिभावक को चॉइस सेंटर में जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है. उसके बाद अभिभावक के मोबाइल पर मैसेज आता है. कागजातों के वेरिफिकेशन के लिए नोडल कार्यालय में उसे बुलाया जाता है. नोडल के अंदर अगर 10 स्कूल आते हैं, तो सभी स्कूल के RTE प्रतिनिधियों को बुलाकर अधिकारी के सामने उनका वेरिफिकेशन किया जाता है. उन्होंने बताया कि 25 प्रतिशत सीटें सभी प्राइवेट स्कूल में आती हैं. अगर उससे ज्यादा एप्लीकेशंस आते हैं, तो लॉटरी निकाली जाती है और इसके बाद बच्चों को स्कूल अलॉट किया जाता है, जिसके बाद कागजातों का वेरिफिकेशन किया जाता है और इसके बाद बच्चे को एडमिशन दिया जाता है.

रायपुर: 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने (RTE) 'शिक्षा का अधिकार' कानून पर अपनी मुहर लगाते हुए पूरे देश में इसे लागू करने का आदेश दिया है. इस अधिनियम के पारित होने के बाद से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का संवैधानिक अधिकार मिला. इस कानून के तहत देश में हर 6 साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होगा. हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा हासिल कर सकेगा. सभी बच्चों को अपने आसपास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा.

छत्तीसगढ़ में RTE को लेकर कैसी है व्यवस्था

बच्चों को मिलती हैं सुविधाएं

इस नियम में सबसे बड़ी बात यह है कि यह कानून निजी स्कूलों पर भी लागू किया गया है. शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके राज्य में बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा मिले. बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्कूल में अन्य अनिवार्य सुविधाएं जैसे पेयजल, खेलकूद की सामग्री और खेल का मैदान भी दिया जाएगा.

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2019 में RTE कोटे का हाल

पढ़ें- SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान


छत्तीसगढ़ में RTE के दायरे में कितने स्कूल

छत्तीसगढ़ की बात की जाए, तो पूरे प्रदेश में 6 हजार 529 स्कूल हैं, जिसमें RTE 6 हजार 30 स्कूलों पर लागू होता है. नर्सरी के लिए कुल 17,341 सीटें हैं. वहीं केजी वन के लिए 13 हजार 699 सीटें हैं, वहीं पहली क्लास में 8 हजार 44 सीटें हैं. इस साल 82 हजार 19 एप्लीकेशन आए हैं.

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छत्तीसगढ़ में RTE को लेकर कैसी है व्यवस्था

2019 में छत्तीसगढ़ में RTE के दायरे में कितने स्कूल

साल 2019 में RTE के तहत 75 हजार 312 सीटें थीं. रायपुर की बात की जाए, तो नर्सरी के लिए कुल 2 हजार 896 सीटें हैं. वहीं केजी वन के लिए 664 सीटें, क्लास वन में 606 सीटें हैं.

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2020 में RTE कोटे का हाल


पालक अपने चॉइस के आधार पर कर सकते हैं आवेदन

जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर ने बताया कि रायपुर में RTE के तहत कुल 8 हजार सीटें हैं, जिसके लिए हमें 10 हजार ऑनलाइन आवेदन आए हैं. उसमें 6 हजार बच्चों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है, लेकिन बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी हैं, जिन्हें मनचाहा स्कूल नहीं मिल रहा है. जिस वजह से वो एडमिशन नहीं ले पाए हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी सूची जारी की जाएगी, लेकिन इस लिस्ट से भी सीट नहीं भरेंगी, तो तीसरी सूची जारी होगी. हर स्कूल में एक मानक तय होता है. इसके तहत 25 प्रतिशत सीट रखी जाती है, इसी आधार पर आवेदक अपनी चॉइस के स्कूल में ऑनलाइन आवेदन करते हैं. पालक एक स्कूल से ज्यादा स्कूल की चॉइस भी कर सकते हैं. वह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है.

preparations of rte in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में RTE की स्थिति

पढ़ें- SPECIAL: कांकेर में हांफ रही 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना, बिना नेटवर्क डगमगा रहा बच्चों का भविष्य


सरकारी स्कूल में नहीं होते संसाधन

शिक्षाविद् जवाहर सूरीशेट्टी ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून में कई चैलेंज हैं. उन्होंने बताया कि पहली क्लास तक लॉटरी से एडमिशन ले सकते हैं. उसके बाद मेरिट से बच्चों का एडिमिशन होता है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में संसाधनों की कमी रहती है, जिसके कारण बच्चे की पढ़ाई का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल में जो बच्चे एडमिशन लेते हैं, उनके पास संसाधन होते हैं.

preparations of rte in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में RTE की स्थिति


छत्तीसगढ़ में शिक्षा को लेकर पारदर्शिता

निजी स्कूल के संचालक विजय चोपड़ा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा में पारदर्शिता है. RTE के लिए पहले अभिभावक को चॉइस सेंटर में जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है. उसके बाद अभिभावक के मोबाइल पर मैसेज आता है. कागजातों के वेरिफिकेशन के लिए नोडल कार्यालय में उसे बुलाया जाता है. नोडल के अंदर अगर 10 स्कूल आते हैं, तो सभी स्कूल के RTE प्रतिनिधियों को बुलाकर अधिकारी के सामने उनका वेरिफिकेशन किया जाता है. उन्होंने बताया कि 25 प्रतिशत सीटें सभी प्राइवेट स्कूल में आती हैं. अगर उससे ज्यादा एप्लीकेशंस आते हैं, तो लॉटरी निकाली जाती है और इसके बाद बच्चों को स्कूल अलॉट किया जाता है, जिसके बाद कागजातों का वेरिफिकेशन किया जाता है और इसके बाद बच्चे को एडमिशन दिया जाता है.

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