रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक गंभीर समस्या है. कोविड 19 महामारी और लॉकडाउन के बीच भी प्रदेश में नक्सली गतिविधियां कम नहीं हुई हैं. हाल ही में राजनांगदगांव और बीजापुर में हुई मुठभेड़ के अलावा बस्तर में लगातार नक्सल एक्टिविटी देखी जा रही है. कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनियाभर के चरमपंथी संगठनों, सरकार से शांति से रहने और कोरोवा वायरस से लड़ने की अपील की थी. जिसके बाद फिलीपींस में सक्रिय माओवादी संगठनों और वहां की सरकार के बीच एक समझौता भी हो गया.
इस समझौते के बाद भारत में नक्सल समस्या को करीब से देखने वाले जानकारों ने भी अपील की थी कि क्यों न हमारे देश में भी इस तरह का कोई कदम उठाया जाए. साथ ही इससे भविष्य के लिए भी एक रोड मैप तैयार किया जाए, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि इस अवसर को आदिवासियों के कथित हितैषी बनने वाले नक्सलियों ने न तो कोई पहल की और न ही सरकार की ओर से इस तरह के कोई संकेत दिए गए.
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नक्सलियों ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया
छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान भी नक्सली और जवानों के बीच झड़प और मुठभेड़ की खबरें आती रही हैं. नक्सलियों ने इस दौरान अपनी जन अदालत लगाकर कई बेकसूर ग्रामीणों को सजा भी सुनााई. इनमें से कुछ को मौत के घाट भी उतार दिया. वहीं सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, सड़क को काटना, पुलिया उड़ा देना, छोटी मोटी घटना वे लगातार अंजाम देते रहे हैं.
पुलिस मुख्यालय से मिले 24 मार्च से 8 मई तक के आंकड़े-
- 7 मुठभेड़
- 3 ब्लास्ट
- 5 नक्सली मारे गए
- 43 नक्सली गिरफ्तार
- 3 आत्मसमर्पित नक्सली
- 1 सहायक आरक्षक शहीद
- 3 पुलिस जवान घायल
- 10 हथियार जब्त
- 13 लैंडमाइंस जब्त
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान भी लगातार नक्सली क्षेत्रों में नक्सलियों और जवानों के बीच मुठभेड़ जारी है. नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है.
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नक्सलियों से बातचीत करने की आवश्यकता नहीं: बीजेपी
फिलीपींस की तर्ज पर देश और प्रदेश में सरकार और नक्सलियों के बीच समझौते को लेकर बीजेपी से सवाल किया गया, तो बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना था कि फिलीपींस और दूसरे देशों में नक्सलियों और सरकारों के बीच क्या बातचीत हुई इस पर हमें जाने की जरूरत नहीं है. भाजपा का मानना है कि ऐसे लोग जो समाज के विनाश के लिए सामने रहते हैं. उनसे कभी कोई बातचीत करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि ऐसे समय में उनके खिलाफ और कड़ी से कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, क्योंकि वे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उनके साथ बातचीत करने का कोई आवश्यकता नहीं है.
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नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा: कांग्रेस
वहीं कांग्रेस का कहना है कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार राज्य सरकार काम करती है. वर्तमान में भी लगातार नक्सली हमले कर रहे हैं, जिसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. साथ ही सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ कठोर नीति लाई है, जिसके तहत नक्सलियों को मात दी जा रही है.
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बुरे वक्त पर खून की होली खेलने वाले लोग कहां है ?
फिलीपींस में माओवादी संघर्ष में अब तक लगभग 40 हजार लोग मारे जा चुके हैं. वहीं भारत में भी सरकारी आंकड़े के मुताबिक 20 साल में 12 हजार जानें जा चुकी हैं. लेकिन अब भी इस परेशानी का हल होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. आम आदिवासी अपने जीवन में छोटी-मोटी सुविधाओं के लिए आज भी संघर्ष कर रहा है. नक्सली खौफ के कारण कई सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर उतर नहीं पाती हैं और कागजों में ही दम तोड़ देती हैं. नक्सलियों और सरकारों को सोचना चाहिए कि ये बेहद कठिन वक्त हिंसा का है या फिर मानवता दिखाने का है.