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SPECIAL: कोरोना संकट ने वकीलों को आर्थिक तंगी में डाला, सरकार से लगाई मदद की गुहार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कोर्ट के कामकाज ठप पड़े हैं, जिसकी वजह से वकीलों और विधिक कार्य से जुड़े लोगों पर सीधा असर पड़ा है. उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. इसे लेकर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी ने राज्य सरकार से मदद की मांग की है. वहीं JCCJ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी इस पर चिंता जाहिर की है.

raipur courts in corona pandemic
रायपुर कोर्ट
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Published : Jun 22, 2020, 8:39 AM IST

रायपुर: कोरोना काल में सभी सेक्टर प्रभावित हुए हैं. प्राइवेट सेक्टर हो या सरकारी सभी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कोरोना वायरस ने कई कारोबारों को ठप कर दिया है और लाखों लोगों की नौकरियां भी ले ली हैं. इस विश्वव्यापी महामारी से वकील भी अछूते नहीं हैं. लोगों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कोर्ट नहीं खुलने की वजह से केस लंबित हो रहे हैं, तो वहीं वकीलों और विधिक कार्य से जुड़े लोगों पर सीधा असर पड़ा है. इसके साथ ही जूनियर वकीलों की आजीविका सीधे तौर पर प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन में वकीलों को आर्थिक तंगी

रायपुर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी ने बताया कि कोर्ट 30 जून तक बंद रहेंगे. इसमें हाईकोर्ट ने व्यवस्था की है कि 2 सत्र जज और 2 लोअर कोर्ट के जज वहां बैठ रहे हैं. क्रिमिनल केस की सुनवाई पर ज्यादा इफेक्ट नहीं पड़ रहा है, लेकिन जो नए सिविल केसेज हैं, उन्हें लेकर ज्यादा सुनवाई नहीं हो रही है. रायपुर कोर्ट के अंतर्गत 4 हजार अधिवक्ता हैं. उनमें से 3 हजार अधिवक्ता सिविल केस और क्रिमिनल केस की प्रैक्टिस करते हैं. उनकी प्रैक्टिस नहीं होने की वजह से वे ड्राफ्टिंग, प्लीडिंग और एविडेंस अभी कोर्ट में पेश नहीं कर पा रहे हैं.

raipur courts in corona pandemic
नोटरी हॉल

वकीलों को दी गई सम्मान निधि

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष का कहना है कि इन सब की वजह से आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है. पिछले तीन महीने से कोर्ट में जो वकील, मुंशी, टाइपिस्ट, बार टाइपिस्ट हैं, इन सभी की इनकम का स्रोत बंद हो गया है. उन्होंने बताया कि अधिवक्ता संघ ने 800 अधिवक्ताओं को तीन-तीन हजार रुपए की सम्मान निधि दी है. लॉकडाउन के दौरान ऐसे अधिवक्ताओं से आवेदन मंगवाए गए थे, जिन्हें आर्थिक रूप से परेशानियां हो रही थीं. आवेदन के आधार पर उन्हें यह राशि प्रदान की गई है.

raipur courts in corona pandemic
खाली पड़ी वकीलों की कुर्सियां

'स्टेट बार काउंसिल और सरकार ने नहीं की मदद'

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक स्टेट बार काउंसिल की तरफ से किसी भी तरह की सहायता राशि किसी भी वकील को नहीं दी गई है. इसके अलावा सरकार ने भी किसी भी वकील को कोई सहायता राशि नहीं दी है.

राज्य सरकार से मदद की उम्मीद

अध्यक्ष आशीष सोनी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में वकीलों की संख्या करीब 25 से 30 हजार है. उनमें से जरूरतमंद वकीलों को देखते हुए एक वकील को कम से कम 25 हजार रुपए दिया जाए. इस सहायता राशि से अधिवक्ताओं को मदद मिलेगी.

पढ़ें- कोरोना का असर: वट वृक्ष के नीचे वकीलों ने शुरू किया कामकाज, लोगों को दे रहे कानूनी सलाह

वकीलों की समस्या पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि लगभग सभी कोर्ट बंद पड़े हुए हैं और काम प्रभावित हुआ है. वकीलों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है, ऐसे में बार एसोसिएशन से जितना बन सकता था, जूनियर वकीलों को उतनी मदद दी गई. लेकिन सरकार को अब आगे आना चाहिए और वकीलों की मदद करनी चाहिए, ताकि वह आसानी से अपनी आजीविका चला सकें.

पढ़ें- SPECIAL: लॉकडाउन ने तोड़ी कमर, आर्थिक संकट का सामना कर रहे वकील

कोर्ट में सुनवाई नहीं होने की वजह से पक्षकार नहीं आ रहे हैं और इस वजह से कुछ वकीलों को छोड़कर बाकी वकीलों ने भी कोर्ट आना बंद कर दिया है. इस समय कई तरह के आवेदन लग भी नहीं पा रहे हैं, इससे वकीलों के साथ पक्षकार और आरोपियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

रायपुर: कोरोना काल में सभी सेक्टर प्रभावित हुए हैं. प्राइवेट सेक्टर हो या सरकारी सभी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कोरोना वायरस ने कई कारोबारों को ठप कर दिया है और लाखों लोगों की नौकरियां भी ले ली हैं. इस विश्वव्यापी महामारी से वकील भी अछूते नहीं हैं. लोगों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कोर्ट नहीं खुलने की वजह से केस लंबित हो रहे हैं, तो वहीं वकीलों और विधिक कार्य से जुड़े लोगों पर सीधा असर पड़ा है. इसके साथ ही जूनियर वकीलों की आजीविका सीधे तौर पर प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन में वकीलों को आर्थिक तंगी

रायपुर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी ने बताया कि कोर्ट 30 जून तक बंद रहेंगे. इसमें हाईकोर्ट ने व्यवस्था की है कि 2 सत्र जज और 2 लोअर कोर्ट के जज वहां बैठ रहे हैं. क्रिमिनल केस की सुनवाई पर ज्यादा इफेक्ट नहीं पड़ रहा है, लेकिन जो नए सिविल केसेज हैं, उन्हें लेकर ज्यादा सुनवाई नहीं हो रही है. रायपुर कोर्ट के अंतर्गत 4 हजार अधिवक्ता हैं. उनमें से 3 हजार अधिवक्ता सिविल केस और क्रिमिनल केस की प्रैक्टिस करते हैं. उनकी प्रैक्टिस नहीं होने की वजह से वे ड्राफ्टिंग, प्लीडिंग और एविडेंस अभी कोर्ट में पेश नहीं कर पा रहे हैं.

raipur courts in corona pandemic
नोटरी हॉल

वकीलों को दी गई सम्मान निधि

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष का कहना है कि इन सब की वजह से आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है. पिछले तीन महीने से कोर्ट में जो वकील, मुंशी, टाइपिस्ट, बार टाइपिस्ट हैं, इन सभी की इनकम का स्रोत बंद हो गया है. उन्होंने बताया कि अधिवक्ता संघ ने 800 अधिवक्ताओं को तीन-तीन हजार रुपए की सम्मान निधि दी है. लॉकडाउन के दौरान ऐसे अधिवक्ताओं से आवेदन मंगवाए गए थे, जिन्हें आर्थिक रूप से परेशानियां हो रही थीं. आवेदन के आधार पर उन्हें यह राशि प्रदान की गई है.

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खाली पड़ी वकीलों की कुर्सियां

'स्टेट बार काउंसिल और सरकार ने नहीं की मदद'

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक स्टेट बार काउंसिल की तरफ से किसी भी तरह की सहायता राशि किसी भी वकील को नहीं दी गई है. इसके अलावा सरकार ने भी किसी भी वकील को कोई सहायता राशि नहीं दी है.

राज्य सरकार से मदद की उम्मीद

अध्यक्ष आशीष सोनी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में वकीलों की संख्या करीब 25 से 30 हजार है. उनमें से जरूरतमंद वकीलों को देखते हुए एक वकील को कम से कम 25 हजार रुपए दिया जाए. इस सहायता राशि से अधिवक्ताओं को मदद मिलेगी.

पढ़ें- कोरोना का असर: वट वृक्ष के नीचे वकीलों ने शुरू किया कामकाज, लोगों को दे रहे कानूनी सलाह

वकीलों की समस्या पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि लगभग सभी कोर्ट बंद पड़े हुए हैं और काम प्रभावित हुआ है. वकीलों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है, ऐसे में बार एसोसिएशन से जितना बन सकता था, जूनियर वकीलों को उतनी मदद दी गई. लेकिन सरकार को अब आगे आना चाहिए और वकीलों की मदद करनी चाहिए, ताकि वह आसानी से अपनी आजीविका चला सकें.

पढ़ें- SPECIAL: लॉकडाउन ने तोड़ी कमर, आर्थिक संकट का सामना कर रहे वकील

कोर्ट में सुनवाई नहीं होने की वजह से पक्षकार नहीं आ रहे हैं और इस वजह से कुछ वकीलों को छोड़कर बाकी वकीलों ने भी कोर्ट आना बंद कर दिया है. इस समय कई तरह के आवेदन लग भी नहीं पा रहे हैं, इससे वकीलों के साथ पक्षकार और आरोपियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं.

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