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रायपुर: इस मैदान में गांधी ने की थी सभा, इतिहासकार ने कहा- 'सहेज लीजिए, जिससे अगली पीढ़ी को गर्व हो' - छत्तीसगढ़ न्यूज

रायपुर के बूढ़ा तालाब के बाद अब सप्रे स्कूल मैदान खूब चर्चा में है. नगर निगम सप्रे स्कूल मैदान सौंदर्यीकरण के नाम पर घिरता ही जा रहा है. इस मैदान पर महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सभा की थी. ETV भारत की टीम से इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि इसे सहेजने की जरूरत है.

Historian Ramendranath Mishra
इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र
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Published : Jun 5, 2020, 6:47 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 7:51 PM IST

रायपुर: राजधानी के सप्रे स्कूल मैदान के सौंदर्यीकरण को लेकर विवाद जारी है. ETV भारत ने ऐतिहासिक मैदान के इतिहास को लेकर इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र से बातचीत की. उन्होंने बताया सप्रे स्कूल अंग्रेजों के जमाने में लारी स्कूल के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित माधव राव सप्रे के नाम से उस स्कूल का नाम रखा गया, जो स्कूल का एक बड़ा मैदान हुआ करता था. रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस स्कूल से बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पढ़कर निकल चुके हैं. सप्रे मैदान में बड़ी-बड़ी सभाएं हुई हैं. महात्मा गांधी का उद्बोधन भी इसी मैदान पर हुआ. 1936 में पंडित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय आंदोलन के संबंध में उनका उद्बोधन हुआ था.

इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र

दरअसल बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण की तर्ज पर सप्रे स्कूल मैदान का भी सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. लेकिन इस पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी सप्रे स्कूल मैदान को छोटा करने को लेकर नगर निगम पर हमलावर है. लेकिन नगर निगम ने विवादों के बीच ही सप्रे मैदान को छोटा कर दिया है. स्थानीय और जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया, लेकिन नगर निगम ने मैदान को छोटा कर रातों-रात वहां रेलिंग लगा दी है. इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि इस मैदान को सहेजने की जरूरत है.

रायपुर : सप्रे मैदान पहुंची सांसद छाया वर्मा, निगम के फैसले का किया समर्थन

मैदान को सुरक्षित रखने की जरूरत

रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि पूर्व में सप्रे मैदान का कुछ भाग सड़क चौड़ीकरण के कारण छोटा किया गया था और कुछ भाग पर राज्य बनने के बाद मेडिकल इंस्टिट्यूट और बिजली ऑफिस बनाया गया. वे कहते हैं कि देखते-देखते सप्रे मैदान सिमटता जा रहा है. उस ऐतिहासिक मैदान को सुरक्षित और संवर्धित करके रखना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी उस मैदान को देखकर गौरवान्वित महसूस कर सके.

Madhav Rao Sapre school
माधव राव सप्रे स्कूल

सप्रे स्कूल का मैदान ऐतिहासिक बना रहे
उन्होंने कहा कि सप्रे मैदान में जिस तरीके से आजादी के आंदोलन और बड़े-बड़े नेताओं की सभाएं हुई हैं. खेल के दृष्टिकोण से भी यह मैदान ऐतिहासिक है. इस गौरवशाली मैदान का कण-कण महत्वपूर्ण है. उस पर सभी लोगों को मिलकर चिंतन कर कोई सकारात्मक काम किया जाए, जिससे एक ओर बूढ़ा तालाब ऐतिहासिक है, तो वहीं दूसरी तरफ सप्रे स्कूल का मैदान भी ऐतिहासिक बना रहे.

बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण और सप्रे स्कूल मैदान को छोटा करने पर बिफरी बीजेपी


मैदान को लेकर भाजपा का विरोध
सप्रे मैदान को छोटा किए जाने के मामले में रायपुर सांसद सुनील सोनी और पूर्व मंत्री विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी विरोध करने मैदान पहुंचे थे. बीजेपी पार्षद मृत्युंजय दुबे ने कहा कि भाजपा सप्रे मैदान और दानी स्कूल के मैदान को छोड़कर सुंदरीकरण का स्वागत करती है. लेकिन ये ऐतिहासिक मैदान स्वतंत्रता के आंदोलन जुड़ा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि सार्वजनिक स्थान के मूल रूप बिना परिवर्तित किए कोई भी योजना लाई जा सकती है, लेकिन यहां तालाब सुंदरीकरण के नाम पर मैदान को ही खत्म किया जा रहा है. तालाब को बचाने के चक्कर में मैदान को छोटा करना सही है.

Sapre School Ground
सप्रे स्कूल मैदान

रायपुर: नगर निगम के खिलाफ स्थानीय लोगों ने खोला मोर्चा, लगाए कई आरोप

फुटबॉल ग्राउंड नहीं होगा प्रभावित

नगर निगम आयुक्त सौरभ कुमार ने बताया कि सप्रे मैदान में 6 से 7 मीटर ग्रिल अंदर शिफ्ट की जा रही है, लेकिन इससे फुटबॉल का ग्राउंड किसी प्रकार प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो क्षेत्र प्रभावित हो रहा है वह ओपन जिम है. जो जमीन ली जा रही है, वहां किसी प्रकार का दुकान नहीं बननी है. आयुक्त ने कहा कि जो पहले आउटडोर एरिया मैदान का हुआ करता था, अब तालाब का पार्ट हो जाएगा. साथ ही दानिश स्कूल के मैदान में भी साढ़े छह करोड़ की लागत से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है, सप्रे स्कूल खेल मैदान में किसी प्रकार से परिवर्तन नहीं किया जाएगा.

तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए ली जा रही जमीन
निगम आयुक्त ने बताया कि बूढ़ा तालाब के स्वरूप में परिवर्तन किया जा रहा है. इसके लिए आवश्यक है कि जब सब लोग आएंगे, तो उनके लिए पार्किंग और टॉयलेट की व्यवस्था भी आवश्यक है. इस समय जगह नहीं है इसलिए बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण में ग्राउंड की जमीन ली जा रही है. इसके अतिरिक्त कोई भी जगह खाली नहीं है.

रायपुर: राजधानी के सप्रे स्कूल मैदान के सौंदर्यीकरण को लेकर विवाद जारी है. ETV भारत ने ऐतिहासिक मैदान के इतिहास को लेकर इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र से बातचीत की. उन्होंने बताया सप्रे स्कूल अंग्रेजों के जमाने में लारी स्कूल के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित माधव राव सप्रे के नाम से उस स्कूल का नाम रखा गया, जो स्कूल का एक बड़ा मैदान हुआ करता था. रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस स्कूल से बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पढ़कर निकल चुके हैं. सप्रे मैदान में बड़ी-बड़ी सभाएं हुई हैं. महात्मा गांधी का उद्बोधन भी इसी मैदान पर हुआ. 1936 में पंडित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय आंदोलन के संबंध में उनका उद्बोधन हुआ था.

इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र

दरअसल बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण की तर्ज पर सप्रे स्कूल मैदान का भी सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. लेकिन इस पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बीजेपी सप्रे स्कूल मैदान को छोटा करने को लेकर नगर निगम पर हमलावर है. लेकिन नगर निगम ने विवादों के बीच ही सप्रे मैदान को छोटा कर दिया है. स्थानीय और जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया, लेकिन नगर निगम ने मैदान को छोटा कर रातों-रात वहां रेलिंग लगा दी है. इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि इस मैदान को सहेजने की जरूरत है.

रायपुर : सप्रे मैदान पहुंची सांसद छाया वर्मा, निगम के फैसले का किया समर्थन

मैदान को सुरक्षित रखने की जरूरत

रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि पूर्व में सप्रे मैदान का कुछ भाग सड़क चौड़ीकरण के कारण छोटा किया गया था और कुछ भाग पर राज्य बनने के बाद मेडिकल इंस्टिट्यूट और बिजली ऑफिस बनाया गया. वे कहते हैं कि देखते-देखते सप्रे मैदान सिमटता जा रहा है. उस ऐतिहासिक मैदान को सुरक्षित और संवर्धित करके रखना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी उस मैदान को देखकर गौरवान्वित महसूस कर सके.

Madhav Rao Sapre school
माधव राव सप्रे स्कूल

सप्रे स्कूल का मैदान ऐतिहासिक बना रहे
उन्होंने कहा कि सप्रे मैदान में जिस तरीके से आजादी के आंदोलन और बड़े-बड़े नेताओं की सभाएं हुई हैं. खेल के दृष्टिकोण से भी यह मैदान ऐतिहासिक है. इस गौरवशाली मैदान का कण-कण महत्वपूर्ण है. उस पर सभी लोगों को मिलकर चिंतन कर कोई सकारात्मक काम किया जाए, जिससे एक ओर बूढ़ा तालाब ऐतिहासिक है, तो वहीं दूसरी तरफ सप्रे स्कूल का मैदान भी ऐतिहासिक बना रहे.

बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण और सप्रे स्कूल मैदान को छोटा करने पर बिफरी बीजेपी


मैदान को लेकर भाजपा का विरोध
सप्रे मैदान को छोटा किए जाने के मामले में रायपुर सांसद सुनील सोनी और पूर्व मंत्री विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी विरोध करने मैदान पहुंचे थे. बीजेपी पार्षद मृत्युंजय दुबे ने कहा कि भाजपा सप्रे मैदान और दानी स्कूल के मैदान को छोड़कर सुंदरीकरण का स्वागत करती है. लेकिन ये ऐतिहासिक मैदान स्वतंत्रता के आंदोलन जुड़ा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि सार्वजनिक स्थान के मूल रूप बिना परिवर्तित किए कोई भी योजना लाई जा सकती है, लेकिन यहां तालाब सुंदरीकरण के नाम पर मैदान को ही खत्म किया जा रहा है. तालाब को बचाने के चक्कर में मैदान को छोटा करना सही है.

Sapre School Ground
सप्रे स्कूल मैदान

रायपुर: नगर निगम के खिलाफ स्थानीय लोगों ने खोला मोर्चा, लगाए कई आरोप

फुटबॉल ग्राउंड नहीं होगा प्रभावित

नगर निगम आयुक्त सौरभ कुमार ने बताया कि सप्रे मैदान में 6 से 7 मीटर ग्रिल अंदर शिफ्ट की जा रही है, लेकिन इससे फुटबॉल का ग्राउंड किसी प्रकार प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो क्षेत्र प्रभावित हो रहा है वह ओपन जिम है. जो जमीन ली जा रही है, वहां किसी प्रकार का दुकान नहीं बननी है. आयुक्त ने कहा कि जो पहले आउटडोर एरिया मैदान का हुआ करता था, अब तालाब का पार्ट हो जाएगा. साथ ही दानिश स्कूल के मैदान में भी साढ़े छह करोड़ की लागत से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है, सप्रे स्कूल खेल मैदान में किसी प्रकार से परिवर्तन नहीं किया जाएगा.

तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए ली जा रही जमीन
निगम आयुक्त ने बताया कि बूढ़ा तालाब के स्वरूप में परिवर्तन किया जा रहा है. इसके लिए आवश्यक है कि जब सब लोग आएंगे, तो उनके लिए पार्किंग और टॉयलेट की व्यवस्था भी आवश्यक है. इस समय जगह नहीं है इसलिए बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण में ग्राउंड की जमीन ली जा रही है. इसके अतिरिक्त कोई भी जगह खाली नहीं है.

Last Updated : Jun 5, 2020, 7:51 PM IST
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