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कोयला घोटाला मामले में एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी और संजय अग्रवाल को विशेष अदालत ने किया बरी

दिल्ली की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए कोयला घोटाला मामले में AES छत्तीसगढ़ एनर्जी कंपनी और संजय अग्रवाल को आरोपों से बरी कर दिया है.

Court decision in coal scam case
संजय अग्रवाल को विशेष अदालत ने किया बरी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 19, 2023, 11:03 PM IST

दिल्ली/रायपुर: कोयला घोटाले से संबंधित मामलों की जांच कर रही दिल्ली की विशेष अदालत ने मंगलवार को आरोपी संजय अग्रवाल और सह आरोपी कंपनी AES छत्तीसगढ़ एनर्जी को बरी कर दिया. "अपर सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने इस संबंध में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनाया गया था और इसलिए, दोनों आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए कोर्ट को खुशी हो रही है.

कोर्ट ने सुनाया फैसला: कोर्ट ने कहा कि एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी, इसके निदेशक और कोयला मंत्रालय और स्क्रीनिंग कमेटी के अधिकारियों ने आरोप के आधार पर तथ्य रखा था. एईएस छत्तीसगढ़ ने इस तथ्य को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था कि यह एईएस कॉर्प यूएसए की सहायक कंपनी थी. हालाकि वर्तमान समय में यह इसकी सहायक कंपनी नहीं थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट में दोनों ओर के पक्ष मौजूद रहे.

कंपनी और संजय अग्रवाल आरोपों से बरी: कंपनी और उसके निदेशक के खिलाफ आरोप था कि कंपनी को कोयला ब्लॉक भौतिक तथ्यों को धोखे से छिपाने के आधार पर आवंटित किया गया था. यानी कंपनी एईएस कॉर्प, यूएसए की सहायक कंपनी नहीं थी. कोर्ट में कंपनी और संजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी ने कोई गलत बयानी नहीं की. अधिकारियों को बार-बार सूचित किया है कि उसे अभी तक एईएस कॉर्प यूएसए की सहायक कंपनी नहीं बनना है. वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि जब एक आरोपी एक व्यक्ति है और सह-अभियुक्त एक कंपनी है. ऐसे में 120 बी आईपीसी को आकर्षित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट के फैसले के बाद कंपनी और संजय अग्रवाल ने राहत की सांस ली है.

सोर्स: एएनआई

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दिल्ली/रायपुर: कोयला घोटाले से संबंधित मामलों की जांच कर रही दिल्ली की विशेष अदालत ने मंगलवार को आरोपी संजय अग्रवाल और सह आरोपी कंपनी AES छत्तीसगढ़ एनर्जी को बरी कर दिया. "अपर सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने इस संबंध में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनाया गया था और इसलिए, दोनों आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए कोर्ट को खुशी हो रही है.

कोर्ट ने सुनाया फैसला: कोर्ट ने कहा कि एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी, इसके निदेशक और कोयला मंत्रालय और स्क्रीनिंग कमेटी के अधिकारियों ने आरोप के आधार पर तथ्य रखा था. एईएस छत्तीसगढ़ ने इस तथ्य को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था कि यह एईएस कॉर्प यूएसए की सहायक कंपनी थी. हालाकि वर्तमान समय में यह इसकी सहायक कंपनी नहीं थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट में दोनों ओर के पक्ष मौजूद रहे.

कंपनी और संजय अग्रवाल आरोपों से बरी: कंपनी और उसके निदेशक के खिलाफ आरोप था कि कंपनी को कोयला ब्लॉक भौतिक तथ्यों को धोखे से छिपाने के आधार पर आवंटित किया गया था. यानी कंपनी एईएस कॉर्प, यूएसए की सहायक कंपनी नहीं थी. कोर्ट में कंपनी और संजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि एईएस छत्तीसगढ़ एनर्जी ने कोई गलत बयानी नहीं की. अधिकारियों को बार-बार सूचित किया है कि उसे अभी तक एईएस कॉर्प यूएसए की सहायक कंपनी नहीं बनना है. वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि जब एक आरोपी एक व्यक्ति है और सह-अभियुक्त एक कंपनी है. ऐसे में 120 बी आईपीसी को आकर्षित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट के फैसले के बाद कंपनी और संजय अग्रवाल ने राहत की सांस ली है.

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