रायपुर: छत्तीसगढ़ की पहली छॉलीवुड फिल्म साल 1965 में 'कहिबे देबे संदेश' मनु नायक के निर्देशन में आई थी, लेकिन छॉलीवुड को असली पहचान 27 अक्टूबर 2000 में मिली और छॉलीवुड को पहचान देने वाली फिल्म थी 'मोर छंइया भुंइया' इस फिल्म को आज 20 साल पूरे हो गए. इस फिल्म की रिलीज होने के बाद प्रदेश के प्रमुख शहरों के सिनेमा घरों में जगह मिली और दर्शकों का भी भरपूर प्यार मिला. इस फिल्म के 20 साल पूरे होने के मौके पर फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले पद्मश्री अनुज शर्मा ने ETV BHARAT से खास बातचीत की और फिल्म से जुड़ी कई रोचक किस्से साझा की.
सवाल- फिल्म में हिस्सा बनने का मौका कैसे मिला ?
जवाब: किरदार के लिए ऑडिशन देने की जरूरत नहीं पड़ी थी. डायरेक्टर लंबे समय से मुख्य किरदार के लिए कलाकार खोज रहे थे. किसी ने उन्हें मेरे बारे में बताया और जब मेरे पास आए तो उन्हें मुझमें मुख्य किरदार नजर आया. उसके बाद उन्होंने मुझे फाइनल कर लिया. डायरेक्टर ने एक बार में ही पसंद कर लिया था.
सवाल- क्या शुरु से ही अभिनेता बनने चाहते थे ?
जवाब: मैं डिफेंस में जाना चाहता था. मैंने तीन बार कोशिश की. तीनों बार नाकामयाब रहा. फिर इसमें मौका मिला. मुझे लगा कि नियति को भी यही मंजूर है कि मैं अभिनेता बनूं. उसके बाद से लेकर मैंने अब तक इसे अपना फैशन और प्रोफेशन दोनों बना लिया है और मुझे इसमें कामयाबी भी मिली.
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सवाल- बड़ी-बड़ी फिल्मों के साथ लगी थी, फिल्म में कैसी चुनौती थी ?
जवाब: हमने तो शुरुआत की थी. हमें बहुत ज्यादा सफलता की उम्मीद नहीं थी. संजय दत्त की फिल्म लगी थी. मोहब्बतें जैसी सुपरहिट फिल्म लगी थी. हमें तो बस यही लग रहा था कि हमारी फिल्म के लिए टॉकीज मिल जाए. वही बहुत बड़ी बात है, लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि जब लोग मोहब्बतें जैसी बड़ी फिल्म छोड़कर हमारी फिल्म देख रहे थे और हमारी फिल्म की ही चर्चा हो रही थी.
सवाल- छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्मों के लिए क्या बदलाव देखने को मिला ?
जवाब: इस बीच एक तकनीक का बहुत बड़ा परिवर्तन आया और तकनीक का जो परिवर्तन आया, उसमें छत्तीसगढ़ सिनेमा ने लगातार नए-नए तरह के एक्सपेरिमेंट किए, लेकिन आज के समय में हम लोग आत्मनिर्भर हो गए हैं. सारे स्टूडियो यहां हैं. गाने यहां रिकार्ड हो जाते हैं. यहां टेक्नीशियन हैं. यहां फिल्म एडिट हो जाती है. हम सिर्फ सेंसर के लिए बाहर जाते हैं.