रायपुर: छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार अपना 1 साल पूरा करने जा रही है. इस 1 साल में सरकार कितना कामयाब रही. किन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाई है. इन तमाम मुद्दों पर ETV भारत ने प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी से खास बातचीत की.
सवाल : भूपेश सरकार के पहले साल के कामकाज को आप किस तरह आंकते हैं.
जवाब: छत्तीसगढ़ के लिए बीते एक साल हताशा निराशा किसानों की परेशानी बढ़ाने वाला साल साबित हुआ है. भूपेश बघेल हर मोर्चे पर नाकाम रहे हैं. मुख्यमंत्री ऐसा कोई विजन नहीं दिखा जो छत्तीसगढ़ प्रदेश को आगे लेकर जा सके. केवल भंवरा चलाने और सोडा खाने से छत्तीसगढ़ आगे नहीं चला जाएगा. इसके लिए एक खास कार्य योजना और विजन की जरूरत है, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल में दूर-दूर तक नजर नहीं आता. आज जहां इंटरनेट- डिजिटल टेक्नोलॉजी का बोलबाला है. वहीं भूपेश बघेल, नरवा, गरवा, घुरवा, बारी की बात कर रहे हैं. यह बातें तो छत्तीसगढ़ में बाबा आदम के जमाने से लागू है. अब इनके पास क्या नया है, यह कुछ समझ नहीं आता.
सवाल: कांग्रेस ने चुनाव में शराबबंदी को बड़ा मुद्दा बनाया था इस मुद्दे को महिलाओं को खास समर्थन मिला था, लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद भी भूपेश सरकार शराबबंदी को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं कर पाई इसे आप किस तरह से देखते हैं?
जवाब : मैं चुनौती देता हूं कि भूपेश बघेल प्रदेश में शराबबंदी करके दिखाएं. दरअसल शराब से एक नंबर और दो नंबर में इतनी कमाई हो रही है जिससे कि सरकार शराब बंदी का फैसला ले ही नहीं पा रही है. जिस तरह से चर्चित ने कहा था अगर कोई काम नहीं करना हो तो उसके लिए आप कमेटी बना दीजिए भूपेश बघेल ठीक वहीं कर रहे हैं. शराब को लेकर सरकार की उदारवादी नीतियों के चलते आज प्रति व्यक्ति शराब खपत के मामले में छत्तीसगढ़ देश में नंबर वन हो चुका है. हमें खुशी होती प्रदेश शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे पर नंबर वन आता, लेकिन शराब पीने के मामले में नंबर वन आना बेहद दुर्भाग्य जनक है.
सवाल: भूपेश सरकार ने पिछले 1 साल में सरकार को छत्तीसगढ़िया रंग में रंगने की कोशिश की है, इसे आप किस तरह से देखते हैं?
जवाब: मैं पहले ही कह चुका हूं केवल भवरा चला लेने से, या गेड़ी चढ लेने से कोई छत्तीसगढ़िया नहीं हो जाता या छत्तीसगढ़ का विकास इससे नहीं हो जाता, छत्तीसगढ़िया तीज-त्योहारों को मनाने के नाम पर धड़ल्ले से छुट्टियां घोषित की गई है. यह साल काम करने का था ज्यादा से ज्यादा रिजल्ट लाने का था, लेकिन इसके उलट छुट्टियां बढ़ाई गई. इससे प्रदेश का विकास नहीं होता. जहां तक बात नरवा गरवा घुरवा बारी का है तो यह पुरानी परंपरा है. इस में नया क्या लेकर आए हैं.
सवाल: क्या लगता है नरवा, गरवा घुरवा बारी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव लाया जा सकता है? सरकार की यह महती योजना कितनी सफल रही.
जवाब: यह तो पुरानी स्थापित बातें हैं, इसमें नया कुछ नहीं. पिछले 1 साल में इस योजना के हालत की बात करें तो यह पूरी तरह से विफल रहा है. किसी को ठान में गाय नजर नहीं आती ना ही वहां उनके खाने के लिए चारा है न ही कोई चिकित्सा व्यवस्था मुख्यमंत्री ने जिस गठान से इसकी शुरुआत की थी. वह भी ध्वस्त हो चुका है ऐसे में यह पूरी तरह से विफल रहा है. किसानों और ग्रामीणों की आंखों में धूल झोंकने वाली बात है. सरकार अपना वादा पूरा करने में नाकाम रही है. वहीं आप धान खरीदी के मुद्दे को ही देख लीजिए पहले साल भारी भरकम कर्ज लेकर 2500 में धान खरीदी तो कर ली गई, लेकिन इस साल सरकार इसको लेकर अपने वादे से मुकर ते नजर आ रही है. धान बेचने को लेकर किसानों पर नए नए नियम लगाएं जा रहे हैं. किस्तो में धान खरीदी की जा रही है. 25 सौ रुपए एमएसपी के मुद्दे को केंद्र के पाले में डाला जा रहा है. इस तरह किसान को हलकान कर दिया गया है.
सवाल : महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रदेश की सरकार पिछले 1 साल में कितनी सजग नजर आई ?
जवाब: कानून और व्यवस्था के नाम पर यह सरकार पूरी तरह से विफल रही है. महिलाओं की सुरक्षा के साथ ही दूसरे अन्य अपराधों के मामले में भी प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. मुझे याद नहीं आता कि पिछले 1 साल में कब गृह मंत्री ने पुलिस अधिकारियों की बैठक लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर ली है. न ही मुख्यमंत्री ने कभी पुलिस अधिकारियों की कोई बैठक ली. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कितनी चरमराई हुई है. रेप मर्डर चोरी जैसी घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है.
सवाल: विपक्ष ने सरकार पर बदलापुर की राजनीति का आरोप लगाया था कि आप इससे सहमत हैं ?
जवाब : भूपेश सरकार ने अपने शुरुआती दिनों में अपने विरोधियों को तंग करने के लिए कई सच्चे झूठे मुकदमों में फंसाने की कोशिश की अपनी शक्ति का इस्तेमाल लोगों को उलझाने और परेशान करने पर लगा दिया. इसी के चलते देशभर में यह सरकार बदले की भावना से काम करने वाली यानी बदलापुर की राजनीति करने वाली के रूप में जानी गई.
सवाल : कांग्रेस सरकार के 1 साल को आप 10 में से कितना अंक देंगे?
जवाब: देखिए मैंने तो कॉपी जांची नहीं है. कॉपी जांचने का अवसर ही नहीं मिला. सरकार ने कुछ किया हो तो उसमें नंबर दे. कुछ किया ही नहीं है तो क्या नंबर दूं.