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Dussehra 2022: जानिए क्या है दशहरे पर रावण दहन का महत्व

शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra 2021) के अंतिम दिन दशमी को दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस दिन रावण का वध भगवान राम ने किया था. इसलिए इस दिन रावण दहन भी किया जाता है. इस दिन शस्त्र पूजा का अपना अलग ही महत्व है. जो लोग आत्मरक्षा के लिए घर में शस्त्र या हथियार रखते हैं, वो नियमानुसार इसी दिन शस्त्र पूजा कर आत्मरक्षा की कामना ईश्वर से करते हैं.

Dussehra 2022
दशहरा 2022
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Published : Jul 16, 2022, 6:06 PM IST

रायपुरः शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra 2022) के दसवें दिन दशमी को विजया दशमी मनाया जाता है. दरअसल इस दिन भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त किया था. इस दिन को अन्याय पर न्याय की, अधर्म पर धर्म की और अहंकार पर स्वाभिमान की विजय हासिल का दिन माना जाता है. इसी दिन रावण का वध भगवान श्री राम ने किया था. यही कारण है कि आज भी लोग दशहरे के दिन रावण दहन करते हैं.

वहीं, इस दिन शस्त्र पूजा का एक अलग ही महत्व है. दशहरे में शासकीय शस्त्रागारों के साथ आमजन भी आत्मरक्षार्थ के लिए रखे जाने वाले शस्त्रों का पूजन सर्वत्र विजय की कामना के साथ करते हैं. कहा जाता है कि रावण के पुतले का दहन कर अपने आंतरिक अहंकाररूपी रावण को जलाकर मन में बसे स्वाभिमानी राम के विजय की जय-जयकार करने का ये दिन है.

ये है शस्त्र पूजा का इतिहास: कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी हरसिद्धि की आराधना की थी. छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करके भवानी तलवार प्राप्त की थी. कहा जाता है कि 9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करना चाहिए. विजयादशमी के शुभ अवसर पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है. कहते हैं कि इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं और शस्त्रों की पूजा आत्मरक्षा के लिए की जाती है. दशहरा पर्व के कारण हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन हथियारधारी अपने-अपने हथियारों का पूजन करते हैं.

यह भी पढ़ें: gajanana sankashti chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी में ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी !

शस्त्र पूजा से पहले बरतें ये सावधानियां: जितना महत्व दशहरे में शस्त्र पूजा की होती है, उतना ही जरूरी शस्त्र पूजा से पहले सावधानियां बरतने की भी होती है. इस दिन अगर कोई लापरवाही हो जाए तो आप अनहोनी को खुद न्यौता देते हो. इसलिए इस दिन शस्त्र को पूजने से पहले सावधानी बरतना न भूलें. हथियार के प्रति जरा-सी लापरवाही बड़ी भूल साबित हो सकती है.

बच्चों की नजर से रखें दूर:घर में रखे अस्त्र-शस्त्र को अपने बच्चों और नाबालिगों की पहुंच से दूर रखें. घर में हथियार तक उनकी पहुंच किसी भी स्थिति में न हो. हथियार को खिलौना समझने की भूल करने वालों के दुर्घटना के शिकार होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. सबसे अहम यही है कि पूजा के दौरान बच्चों को हथियार न छूने दें और किसी भी तरह का प्रोत्साहन बच्चों को न मिले. हथियार खतरनाक होते हैं इसलिए इनकी साफ-सफाई में बेहद सावधानी की जरूरत होती है.

रायपुरः शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra 2022) के दसवें दिन दशमी को विजया दशमी मनाया जाता है. दरअसल इस दिन भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त किया था. इस दिन को अन्याय पर न्याय की, अधर्म पर धर्म की और अहंकार पर स्वाभिमान की विजय हासिल का दिन माना जाता है. इसी दिन रावण का वध भगवान श्री राम ने किया था. यही कारण है कि आज भी लोग दशहरे के दिन रावण दहन करते हैं.

वहीं, इस दिन शस्त्र पूजा का एक अलग ही महत्व है. दशहरे में शासकीय शस्त्रागारों के साथ आमजन भी आत्मरक्षार्थ के लिए रखे जाने वाले शस्त्रों का पूजन सर्वत्र विजय की कामना के साथ करते हैं. कहा जाता है कि रावण के पुतले का दहन कर अपने आंतरिक अहंकाररूपी रावण को जलाकर मन में बसे स्वाभिमानी राम के विजय की जय-जयकार करने का ये दिन है.

ये है शस्त्र पूजा का इतिहास: कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी हरसिद्धि की आराधना की थी. छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करके भवानी तलवार प्राप्त की थी. कहा जाता है कि 9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करना चाहिए. विजयादशमी के शुभ अवसर पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है. कहते हैं कि इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं और शस्त्रों की पूजा आत्मरक्षा के लिए की जाती है. दशहरा पर्व के कारण हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन हथियारधारी अपने-अपने हथियारों का पूजन करते हैं.

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शस्त्र पूजा से पहले बरतें ये सावधानियां: जितना महत्व दशहरे में शस्त्र पूजा की होती है, उतना ही जरूरी शस्त्र पूजा से पहले सावधानियां बरतने की भी होती है. इस दिन अगर कोई लापरवाही हो जाए तो आप अनहोनी को खुद न्यौता देते हो. इसलिए इस दिन शस्त्र को पूजने से पहले सावधानी बरतना न भूलें. हथियार के प्रति जरा-सी लापरवाही बड़ी भूल साबित हो सकती है.

बच्चों की नजर से रखें दूर:घर में रखे अस्त्र-शस्त्र को अपने बच्चों और नाबालिगों की पहुंच से दूर रखें. घर में हथियार तक उनकी पहुंच किसी भी स्थिति में न हो. हथियार को खिलौना समझने की भूल करने वालों के दुर्घटना के शिकार होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. सबसे अहम यही है कि पूजा के दौरान बच्चों को हथियार न छूने दें और किसी भी तरह का प्रोत्साहन बच्चों को न मिले. हथियार खतरनाक होते हैं इसलिए इनकी साफ-सफाई में बेहद सावधानी की जरूरत होती है.

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