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2 बड़ी दुकानों के मालिक ने 15 लोगों का पेट पालने के लिए कार को फलों का 'ठेला' बना दिया

कोरोना संक्रमण की मार से कोई अछूता नहीं रह गया है. कोरोना काल ने सभी आर्थिक स्थिति खराब करके रख दी है. इस बीच सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर पड़ा है. ऐसे ही एक फल व्यापारी हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए राजधानी की सड़कों पर अपनी कार से फल बेच रहे हैं.

trader selling fruits by car in raipur
कार में फल बेचने को मजबूर व्यापारी
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Published : Apr 30, 2021, 10:28 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट के बीच अच्छे-अच्छे लोगों की हालत खराब हो गई है. कुछ लोग इस संक्रमण से जूझ रहे हैं तो कुछ लोग रोटी के लिए मेहनत कर दो पैसे कमाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना ने लोगों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति पैदा कर दी है. मतलब अगर काम नहीं करेंगे तो भूखे मर जाएंगे और अगर सड़क पर निकलेंगे तो कोरोना से मर जाएंगे. यही वजह है कि अब कुछ लोगों ने मजबूरी में पेट पालने के लिए घर से निकल रहे है. खासकर वे लोग जो रोज कमाने खाने वाले हैं. कोरोना ने अच्छे खासे व्यापारियों को भी सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है. ऐसे व्यापारी जिनकी दो-दो चार-चार दुकानें हैं, जिसके यहां 6 से 7 कर्मचारी काम करते हैं. आज वे खुद सड़क पर काम करने को मजबूर हैं.

कार में फल बेचने को मजबूर व्यापारी

हम बात कर रहे हैं फल व्यापारी कमल जैन की. जिनकी रायपुर शहर में फल और जूस की दुकान दो बड़ी दुकानें हैं. एक दुकान शंकर नगर में तो दूसरी दुकान मालवीय रोड पर स्थित है. इनकी दुकान में कई कर्मचारी काम करते थे. लेकिन कोरोना संकटकाल के बीच परिस्थिति ऐसी बदली कि आज वे खुद सड़क पर आकर फल बेचने को मजबूर हैं. व्यापारी के पास ठेला नहीं था, तो व्यापारी ने घर में खड़ी कार को ही अपना ठेला बना लिया. वो फलों को बेचने के लिए सड़क पर खड़ा हो गया. उसे देखकर कुछ लोग हैरान हो रहे हैं, तो कुछ लोग तो कार वाले की परिस्थिति देखकर उसे सहयोग करने के लिए फल खरीद रहे हैं.

कार को ही बनाया ठेला

कमल बताते हैं कि लॉकडाउन में कर्मचारियों का वेतन तो दूर खुद का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. आलम ये था कि लॉकडाउन और आर्थिक तंगी की वजह से इसने अपने कर्मचारियों को छुट्टी दे दी. लेकिन खुद की भूख मिटाने के लिए सड़कों पर फल बेचने निकल पड़ा. मजबूरी यह थी कि व्यापारी के पास ठेला नहीं था तो उसने घर में खड़ी कार को ही अपनी आमदनी का जरिया बना लिया. इस कार में ही व्यापारी अब फल रखकर राजधानी की सड़कों पर बेच रहा है.

trader selling fruits by car in raipur
कार में फल बेचता व्यापारी

SPECIAL: एक बार फिर अपने फैसले पर घिरी छत्तीसगढ़ सरकार

15 सदस्यों की जिम्मेदारी का भार

ETV भारत ने कमल से बात की तो उसने बताया कि वह M.COM किया हुआ है. उसकी फल ओर जूस की दो दुकानें हैं. लेकिन आज लॉकडाउन की वजह से स्थिति ठीक नहीं है. जिस कारण वो पिछले कुछ दिनों से कार में ही फल लेकर बेचने निकल रहा है. उसने कहा कि उसके परिवार में 15 सदस्य हैं. जिनके भरण पोषण का जिम्मा दो भाइयों के कंधों पर है. एक भाई घर में फोन पर फल का ऑर्डर लेता है और उसे ग्राहकों तक पहुंचाता है. लेकिन अब घर पर भी फल के लिए फोन आना बंद हो गया है.

सरकार से मदद की उम्मीद

कमल ने बताया कि उसने अभी शुरुआत की है. खर्चे का आकलन नहीं किया है. आकलन करने के बाद आगे की सोचेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि दूसरों को सरकारी योजनाओं का फायदा जैसे मुफ्त चावल सहित दूसरा फायदा मिलता होगा. लेकिन मुझे अभी तक किसी भी शासकीय योजना का फायदा नहीं मिला है. इतना ही नहीं उसने सरकार से विनती की है कि लॉकडाउन को और आगे न बढ़ाया जाए. लॉकडाउन बढ़ने से परिस्थिति और भी विपरीत हो जाएगी.

trader selling fruits by car in raipur
फल खरीदते ग्राहक

छोटे व्यापारियों के बारे में सोचे सरकार

जब फल दुकान और जूस सेंटर चलाने वाले व्यापारी का ये हाल है, तो जरा सोचिए सड़क पर या फिर ठेले पर घूम-घूम कर फल और सब्जी बेचने वालों का क्या हाल होगा. यही हाल रहा तो आने वाले समय में लोग कोरोना से भले न मरे लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे. ऐसे में सरकार को छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारी के बारे में भी सोचना होगा. उन्हें किस तरह से राहत पहुंचाई जा सकती है, इस पर भी विचार करना होगा. तभी कोरोना संकट के बीच व्यापारी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते हैं.

रायपुर: कोरोना संकट के बीच अच्छे-अच्छे लोगों की हालत खराब हो गई है. कुछ लोग इस संक्रमण से जूझ रहे हैं तो कुछ लोग रोटी के लिए मेहनत कर दो पैसे कमाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना ने लोगों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति पैदा कर दी है. मतलब अगर काम नहीं करेंगे तो भूखे मर जाएंगे और अगर सड़क पर निकलेंगे तो कोरोना से मर जाएंगे. यही वजह है कि अब कुछ लोगों ने मजबूरी में पेट पालने के लिए घर से निकल रहे है. खासकर वे लोग जो रोज कमाने खाने वाले हैं. कोरोना ने अच्छे खासे व्यापारियों को भी सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है. ऐसे व्यापारी जिनकी दो-दो चार-चार दुकानें हैं, जिसके यहां 6 से 7 कर्मचारी काम करते हैं. आज वे खुद सड़क पर काम करने को मजबूर हैं.

कार में फल बेचने को मजबूर व्यापारी

हम बात कर रहे हैं फल व्यापारी कमल जैन की. जिनकी रायपुर शहर में फल और जूस की दुकान दो बड़ी दुकानें हैं. एक दुकान शंकर नगर में तो दूसरी दुकान मालवीय रोड पर स्थित है. इनकी दुकान में कई कर्मचारी काम करते थे. लेकिन कोरोना संकटकाल के बीच परिस्थिति ऐसी बदली कि आज वे खुद सड़क पर आकर फल बेचने को मजबूर हैं. व्यापारी के पास ठेला नहीं था, तो व्यापारी ने घर में खड़ी कार को ही अपना ठेला बना लिया. वो फलों को बेचने के लिए सड़क पर खड़ा हो गया. उसे देखकर कुछ लोग हैरान हो रहे हैं, तो कुछ लोग तो कार वाले की परिस्थिति देखकर उसे सहयोग करने के लिए फल खरीद रहे हैं.

कार को ही बनाया ठेला

कमल बताते हैं कि लॉकडाउन में कर्मचारियों का वेतन तो दूर खुद का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. आलम ये था कि लॉकडाउन और आर्थिक तंगी की वजह से इसने अपने कर्मचारियों को छुट्टी दे दी. लेकिन खुद की भूख मिटाने के लिए सड़कों पर फल बेचने निकल पड़ा. मजबूरी यह थी कि व्यापारी के पास ठेला नहीं था तो उसने घर में खड़ी कार को ही अपनी आमदनी का जरिया बना लिया. इस कार में ही व्यापारी अब फल रखकर राजधानी की सड़कों पर बेच रहा है.

trader selling fruits by car in raipur
कार में फल बेचता व्यापारी

SPECIAL: एक बार फिर अपने फैसले पर घिरी छत्तीसगढ़ सरकार

15 सदस्यों की जिम्मेदारी का भार

ETV भारत ने कमल से बात की तो उसने बताया कि वह M.COM किया हुआ है. उसकी फल ओर जूस की दो दुकानें हैं. लेकिन आज लॉकडाउन की वजह से स्थिति ठीक नहीं है. जिस कारण वो पिछले कुछ दिनों से कार में ही फल लेकर बेचने निकल रहा है. उसने कहा कि उसके परिवार में 15 सदस्य हैं. जिनके भरण पोषण का जिम्मा दो भाइयों के कंधों पर है. एक भाई घर में फोन पर फल का ऑर्डर लेता है और उसे ग्राहकों तक पहुंचाता है. लेकिन अब घर पर भी फल के लिए फोन आना बंद हो गया है.

सरकार से मदद की उम्मीद

कमल ने बताया कि उसने अभी शुरुआत की है. खर्चे का आकलन नहीं किया है. आकलन करने के बाद आगे की सोचेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि दूसरों को सरकारी योजनाओं का फायदा जैसे मुफ्त चावल सहित दूसरा फायदा मिलता होगा. लेकिन मुझे अभी तक किसी भी शासकीय योजना का फायदा नहीं मिला है. इतना ही नहीं उसने सरकार से विनती की है कि लॉकडाउन को और आगे न बढ़ाया जाए. लॉकडाउन बढ़ने से परिस्थिति और भी विपरीत हो जाएगी.

trader selling fruits by car in raipur
फल खरीदते ग्राहक

छोटे व्यापारियों के बारे में सोचे सरकार

जब फल दुकान और जूस सेंटर चलाने वाले व्यापारी का ये हाल है, तो जरा सोचिए सड़क पर या फिर ठेले पर घूम-घूम कर फल और सब्जी बेचने वालों का क्या हाल होगा. यही हाल रहा तो आने वाले समय में लोग कोरोना से भले न मरे लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे. ऐसे में सरकार को छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारी के बारे में भी सोचना होगा. उन्हें किस तरह से राहत पहुंचाई जा सकती है, इस पर भी विचार करना होगा. तभी कोरोना संकट के बीच व्यापारी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते हैं.

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