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Shardiya navratri 2021: जानिए मां के नौ रूपों के अवतरण और पूजा का विधान

नवरात्र (Navratra) में मां के नौ रूपों के पूजा-अर्चना (Pooja archna) का विधान है. मां के नौ अवतार मनुष्य के हर संकट को दूर करते हैं. इस साल शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra) 07 अक्टूबर से शुरु होकर 15 अक्टूबर तक रहेगा. इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की आराधना (Nou rupo ki aaradhna) की जाती है.

Shardiya navratri 2021
मां के नौ रूपों के अवतरण
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Published : Sep 26, 2021, 9:40 AM IST

रायपुरः नवरात्र (Navratra) यानी कि देवी मां की आराधना(Maa ki aaradhna). नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों (Devi ke nou roop) की पूजा की जाती है. ये नौ दिन नौ माता को समर्पित होता है. शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra) पितर पक्ष (Pitar paksh) की समाप्ति के बाद शुरू हो जाता है.

शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra) का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (Pratipada tithi) से शुरू होती है. जो कि नवमी तिथि तक चलती रहती है. दशमी को विजयादशमी (Bijyadashmi) की पूजा के बाद मां का विसर्जन (Maa ka bisharjan) कर दिया जाता है. इस साल शारदीय नवरात्र 07 अक्टूबर से शुरु होकर 15 अक्टूबर तक रहेगी. इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की आराधना (Nou rupo ki aaradhna) की जाती है. कई घरों में चंडी पाठ (Chandi paath) के साथ दुर्गासप्तसती (Durga saptshati) का पाठ (Path) भी किया जाता है.

Navratri 2021:अबकी डोली पर सवार हो आएंगी मां दुर्गा और गजवाहन पर होंगी विदा

इसके साथ ही जो लोग सिद्धि प्राप्त (siddhi prapt) करने की इच्छा से मां की आराधना करते हैं उनके लिए नवरात्र से उचित समय कुछ नहीं होता. इन नौ दिनों में मां की गुप्त पूजा के साथ सिद्धि पूजा (Siddi pooja) का भी विधान है.

आइए जानते हैं कि मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं और पूजा का विधान क्या है...

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्म्रणव महात्मना।।

  • शैलपुत्रीः नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा का पहला रूप यानी कि शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है. ये माता पार्वती का ही एक रूप हैं. हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप का पूजन होता है.
  • ब्रह्मचारिणीः नवरात्र के दूसरे दिन देवी का दूसरा यानी कि ब्रह्मचारिणी देवी का पूजन होता है. माता पार्वती नें घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. इसी कारण इनका नाम ब्रह्म यानि तपस्या का आचरण करने वाली, ब्रह्मचारिणी या तपसचारिणी देवी पड़ा है. ये हाथों में कमण्डल और माला धारण करती हैं. नवरात्र के दूसरे दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • चंद्रघंटाः नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. भगवान शिव का अद्धचंद्र इनके मस्तक पर घण्टे के रूप में सुशोभित है. इसी कारण इनका नाम चंद्रघण्टा पड़ा. ये अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के नाश के लिए सदैव उद्यत रहती हैं.नवरात्र के तीसरे दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • कूष्मांडाः नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. ये जगत की जन्मद्धात्री हैं, इसलिए इन्हें जगत जननी भी कहा जाता है. इनका पूजन नवरात्रि के चौथे दिन करने का विधान है.
  • स्कंदमाताः नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इनका ये नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तीकेय या स्कंद को जन्म देने के कारण पड़ा है. ये अपनी गोद में षढानन कार्तीकेय को धारण किए रहती हैं. मां का ये रूप सुख प्रदान करने वाला है. पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है.
  • कात्यायनीः नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने के कारण इन्हें कात्यायनी जाता है. कात्यायनी देवी शोध और पराविद्या की देवी हैं. इनकी उपासना से सात जन्मों के पापों का नाश होता है. नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी माता के पूजा का विधान है.
  • कालरात्रिः नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है. इनके पूजन से सभी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं. कालरात्रि माता दैत्यों के नाश के लिए और भक्तों को अभय देने के लिए विकराल रूप धारण करती हैं. ये अपने हाथ में खडग और नरमुण्ड धारण करती है. नवरात्र के सातवें दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • महागौरीः नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है. महागौरी मां दुर्गा का आठवां रूप हैं. कठोर तप करने के कारण माता पार्वती का वर्ण काला पड़ गया था. तब शिव जी ने प्रसन्न होकर इनके शरीर पर गंगा जल छिड़क कर पुनः गौर वर्ण प्रदान किया. इस कारण ही इनका नाम महागौरी पड़ा. नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी के पूजा का विधान है.
  • सिद्धिदात्रीः नवरात्र के नौवे दिन मां का नौवा रूप यानी कि मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इनका पूजन करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है. इसलिए ही इनका सिद्धिदात्री देवी पड़ा है. नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धिदात्री देवी का पूजन कर भक्त सभी प्रकार के सुख, सौभाग्य की प्राप्ति करते हैं. नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के पूजा का विधान है.

रायपुरः नवरात्र (Navratra) यानी कि देवी मां की आराधना(Maa ki aaradhna). नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों (Devi ke nou roop) की पूजा की जाती है. ये नौ दिन नौ माता को समर्पित होता है. शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra) पितर पक्ष (Pitar paksh) की समाप्ति के बाद शुरू हो जाता है.

शारदीय नवरात्र (Shardiya navratra) का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (Pratipada tithi) से शुरू होती है. जो कि नवमी तिथि तक चलती रहती है. दशमी को विजयादशमी (Bijyadashmi) की पूजा के बाद मां का विसर्जन (Maa ka bisharjan) कर दिया जाता है. इस साल शारदीय नवरात्र 07 अक्टूबर से शुरु होकर 15 अक्टूबर तक रहेगी. इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की आराधना (Nou rupo ki aaradhna) की जाती है. कई घरों में चंडी पाठ (Chandi paath) के साथ दुर्गासप्तसती (Durga saptshati) का पाठ (Path) भी किया जाता है.

Navratri 2021:अबकी डोली पर सवार हो आएंगी मां दुर्गा और गजवाहन पर होंगी विदा

इसके साथ ही जो लोग सिद्धि प्राप्त (siddhi prapt) करने की इच्छा से मां की आराधना करते हैं उनके लिए नवरात्र से उचित समय कुछ नहीं होता. इन नौ दिनों में मां की गुप्त पूजा के साथ सिद्धि पूजा (Siddi pooja) का भी विधान है.

आइए जानते हैं कि मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं और पूजा का विधान क्या है...

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्म्रणव महात्मना।।

  • शैलपुत्रीः नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा का पहला रूप यानी कि शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है. ये माता पार्वती का ही एक रूप हैं. हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप का पूजन होता है.
  • ब्रह्मचारिणीः नवरात्र के दूसरे दिन देवी का दूसरा यानी कि ब्रह्मचारिणी देवी का पूजन होता है. माता पार्वती नें घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. इसी कारण इनका नाम ब्रह्म यानि तपस्या का आचरण करने वाली, ब्रह्मचारिणी या तपसचारिणी देवी पड़ा है. ये हाथों में कमण्डल और माला धारण करती हैं. नवरात्र के दूसरे दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • चंद्रघंटाः नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. भगवान शिव का अद्धचंद्र इनके मस्तक पर घण्टे के रूप में सुशोभित है. इसी कारण इनका नाम चंद्रघण्टा पड़ा. ये अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के नाश के लिए सदैव उद्यत रहती हैं.नवरात्र के तीसरे दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • कूष्मांडाः नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. ये जगत की जन्मद्धात्री हैं, इसलिए इन्हें जगत जननी भी कहा जाता है. इनका पूजन नवरात्रि के चौथे दिन करने का विधान है.
  • स्कंदमाताः नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इनका ये नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तीकेय या स्कंद को जन्म देने के कारण पड़ा है. ये अपनी गोद में षढानन कार्तीकेय को धारण किए रहती हैं. मां का ये रूप सुख प्रदान करने वाला है. पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है.
  • कात्यायनीः नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने के कारण इन्हें कात्यायनी जाता है. कात्यायनी देवी शोध और पराविद्या की देवी हैं. इनकी उपासना से सात जन्मों के पापों का नाश होता है. नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी माता के पूजा का विधान है.
  • कालरात्रिः नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है. इनके पूजन से सभी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं. कालरात्रि माता दैत्यों के नाश के लिए और भक्तों को अभय देने के लिए विकराल रूप धारण करती हैं. ये अपने हाथ में खडग और नरमुण्ड धारण करती है. नवरात्र के सातवें दिन इनकी पूजा का विधान है.
  • महागौरीः नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है. महागौरी मां दुर्गा का आठवां रूप हैं. कठोर तप करने के कारण माता पार्वती का वर्ण काला पड़ गया था. तब शिव जी ने प्रसन्न होकर इनके शरीर पर गंगा जल छिड़क कर पुनः गौर वर्ण प्रदान किया. इस कारण ही इनका नाम महागौरी पड़ा. नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी के पूजा का विधान है.
  • सिद्धिदात्रीः नवरात्र के नौवे दिन मां का नौवा रूप यानी कि मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इनका पूजन करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है. इसलिए ही इनका सिद्धिदात्री देवी पड़ा है. नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धिदात्री देवी का पूजन कर भक्त सभी प्रकार के सुख, सौभाग्य की प्राप्ति करते हैं. नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के पूजा का विधान है.
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