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शरद पूर्णिमा में इस धातु के बर्तन में ही रखें खीर, तभी बरसेगा 'अमृत'

13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है. मान्यता है कि आज की रात को चंद्रमा से अमृत बरसता है.

शरद पूर्णिमा : बरसता है चांद से अमृत
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Published : Oct 13, 2019, 3:07 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 4:05 PM IST

रायपुर : शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर यानी रविवार को मनाई जा रही है. इस दिन पूर्णिमा और उत्तराभाद्र पद नक्षत्र के संयोग विशेष फलदायी होंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था. यही वजह है कि हिन्दू धर्म में यह दिन का खास महत्व रखता है. इस दिन भक्त भगवान सत्यनारायण की कथा करके खीर का प्रसाद बनाते हैं. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को चंद्रमा से अमृत बरसता है.

13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है

साल में कुल 12 पूर्णिमा होती है, जिसमें आज का दिन यानी शरद पूर्णिमा का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं पूरा दिन उपवास रहती हैं और माता की पूजा करती हैं, जिसमें वह सत्यनारायण भगवान की कथा करती है और उसके बाद खीर बनाकर रात में छत पर रख देती हैं. मान्यता यह है कि आज के दिन रात को चांद से अमृत बरसता है जो खीर में मिल जाता है. अगली सुबह महिलाएं घर के सभी लोगों को खीर प्रसाद के रूप में देती है.

पढ़ें :बस्तर दशहरा: पूजा-अर्चना के बाद मावली मां को दी गई नम आंखों से विदाई

आज के दिन क्या करती हैं महिलाएं-

  • रात के समय स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनाए
  • खीर को भगवान को अर्पित करके विधिवत भगवान कृष्ण और लक्ष्मी माता की पूजा करती हैं
  • मध्य रात्रि में जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तब चंद्रदेव की उपासना करती हैं
  • खीर बनाने के बाद खीर को चन्द्रमा की रोशनी में रख दें
  • खीर को कांच, मिटटी या चांदी के पात्र में ही रखें, अन्य धातुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए

रायपुर : शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर यानी रविवार को मनाई जा रही है. इस दिन पूर्णिमा और उत्तराभाद्र पद नक्षत्र के संयोग विशेष फलदायी होंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था. यही वजह है कि हिन्दू धर्म में यह दिन का खास महत्व रखता है. इस दिन भक्त भगवान सत्यनारायण की कथा करके खीर का प्रसाद बनाते हैं. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को चंद्रमा से अमृत बरसता है.

13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है

साल में कुल 12 पूर्णिमा होती है, जिसमें आज का दिन यानी शरद पूर्णिमा का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं पूरा दिन उपवास रहती हैं और माता की पूजा करती हैं, जिसमें वह सत्यनारायण भगवान की कथा करती है और उसके बाद खीर बनाकर रात में छत पर रख देती हैं. मान्यता यह है कि आज के दिन रात को चांद से अमृत बरसता है जो खीर में मिल जाता है. अगली सुबह महिलाएं घर के सभी लोगों को खीर प्रसाद के रूप में देती है.

पढ़ें :बस्तर दशहरा: पूजा-अर्चना के बाद मावली मां को दी गई नम आंखों से विदाई

आज के दिन क्या करती हैं महिलाएं-

  • रात के समय स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनाए
  • खीर को भगवान को अर्पित करके विधिवत भगवान कृष्ण और लक्ष्मी माता की पूजा करती हैं
  • मध्य रात्रि में जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तब चंद्रदेव की उपासना करती हैं
  • खीर बनाने के बाद खीर को चन्द्रमा की रोशनी में रख दें
  • खीर को कांच, मिटटी या चांदी के पात्र में ही रखें, अन्य धातुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए
Intro:इस साल शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर यानी आज रविवार को मनाया जा रही है। आज के दिन पूर्णिमा और उत्तराभाद्र पद नक्षत्र के संयोग विशेष फलदायी होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था। यही वजह है कि यह दिन का खास महत्व रखता है। इस दिन भक्त भगवान सत्यनारायण की कथा करके खीर का प्रसाद बनाते हैं। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को चंद्रमा से अमृत बरसता है।


Body:साल में कुछ 12 पूर्णिमा होता है जिसमें आज का दिन यानी शरद पूर्णिमा का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है आज के दिन महिलाएं पूरा दिन उपवास रहती हैं वह माता की पूजा करती हैं आज के दिन महिलाएं पूरा दिन उपवास रहकर शाम को पूजा करती हैं जिसमें वह सत्यनारायण भगवान की कथा करती है और उसके बाद खीर बनाकर रात भर छत पर रख देती हैं मान्यता यह है कि आज के दिन रात को चांद से अमृत बरसता है जो की खीर में मिल जाता है उसके बाद अगली सुबह महिलाएं अपने घर के सभी लोगों को वह खीर प्रसाद के रूप में देती है।


Conclusion:आज के दिन क्या करती हैं महिलाएं

रात्री के समय स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनायें
- खीर को भगवान् को अर्पित करके विधिवत भगवान् कृष्ण और लक्ष्मी माता की पूजा करती है
- मध्य रात्री में जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तब चंद्रदेव की उपासना करती है
- खीर बनाने के बाद खीर को चन्द्रमा की रौशनी में रख दें
- खीर को कांच,मिटटी या चांदी के पात्र में ही रखें , अन्य धातुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए

बाइट :- पंडित दीपक दुबे ( सफेद कुर्ता)
बाइट :- पंडित आचार्य संजय द्विवेदी (हरा कुर्ता)
बाइट :- उर्मिला तिवारी (स्थानीय निवासी)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर

Last Updated : Oct 13, 2019, 4:05 PM IST
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