रायपुर: फाल्गुन शुक्ल पक्ष यानी 4 मार्च को शनि प्रदोष का व्रत मनाया जाएगा. इस शुभ दिन गोविंद द्वादशी का भी सुंदर योग है. शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र की बेला में सुबह 11.43 बजे से प्रदोष त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी. इस दिन शोभन मित्र योग और बालव करण का शुभ योग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करना फलदायी माना जाता है. सुबह उठने के बाद योग ध्यान से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
जानिए क्या है शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "शिव चालीसा, रुद्राष्टकम, शिवाष्टकम, शिव तांडव, महामृत्युंजय मंत्र आदि का पाठ करना शुभ होता है. आज के दिन सृष्टि सहार के देवता भगवान भोलेनाथ जी की अंतःकरण से व्रत, पूजा और उपासना करने पर मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं. भक्त वत्सल अनादि शंकर भगवान शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं. आज के दिन गोपी चंदन, अष्ट चंदन, श्वेत चंदन और माल्याचल के चंदन से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. जल गंगाजल, दूध, पंचामृत, खीर, गन्ने के रस एवं विभिन्न नदियों के पवित्र जल से भगवान शंकर का अभिषेक करना बहुत शुभ माना गया है."
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हनुमान जी भी इस दिन बरसाते हैं अपनी कृपा: पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "शनिवार के दिन शनि प्रदोष का व्रत करने पर रुद्र के ग्यारहवें अवतार श्री हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं. आज के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए भगवान रुद्र का अभिषेक करना चाहिए. घर में बैठकर श्रद्धा भावना से महामृत्युंजय मंत्र का पाठ विभिन्न बाधाओं पर विजय दिलाता है और समस्त कामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन शिव चालीसा का पाठ करने पर कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती है."
बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल करें अर्पित: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि " इस शुभ दिन सभी तरह की भौतिक कामनाएं पूर्ण होती हैं. इसलिए शिवालय में जाकर भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और बेल का भोग लगाना चाहिए. श्वेत और पीले चावल से भी भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. अबीर, चंदन, गुलाल, परिमल आदि से अभिषेक करने पर महादेव प्रसन्न होते हैं. शनि प्रदोष होने की वजह से आज के शुभ दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, बालकांड, हनुमान बाहुक का पाठ करना भी मनोकामना को पूर्ण करने वाला होता है."