रायपुर: अंग्रेजों के क्रूर शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, शिवराम हरि राजगुरु और सुखदेव थापर की शहादत को देश कभी नहीं भुला सकता. 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में तीनों वीरों को फांसी दी गई थी. इन्हीं वीरों के बलिदान को याद करने को लिए 'शहीद दिवस' मनाया जाता है. तीनों ही क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों ने मात्र 23 साल की उम्र में अंग्रेजों से लोहा लिया था.
इसलिए हुई फांसी: 28 दिसंबर 1928 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए योजना बनाई. उन्होंने लाहौर में पुलिस अधिकारी जेम्स स्कॉट को गोली मारने का प्लान बनाया. लेकिन गलती से उन्होंने जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी. जिसके बाद गिरफ्तार होने से बचने के लिए तीनों ही कलकत्ता भाग गए. ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह का प्रयास करने वाले तीनों वीरों की खोज में अंग्रेजों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी
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दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में फेंका था बम: बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंका और "इंकलाब जिंदाबाद" के नारे लगाए. इस दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 23 मार्च, 1931 को स्वतंत्रता आंदोलन के तीन नायकों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई. तीनों वीरों की याद में देशभर में आज के दिन शहीद दिवस मनाया जाता है.