रायपुर/हैदराबाद : सत्यनारायण पूजा के लिए पूर्णिमा के दिन सुबह और शाम दोनों ही समय शुभ माने जाते satyanarayan vrat date 2023 हैं. लेकिन शाम के समय पूजा करना सबसे उत्तम होता है. इसका कारण ये है कि कई बार सुबह के समय ही पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाती satyanarayan vrat January 2023 है. ऐसे में शाम में श्री सत्यनारायण पूजा को करना फल देने वाला माना गया है.सत्यनारायण का पूजन करने का दिन और तिथि पंचांग देखकर निर्धारित की जा सकती है. आप किसी ज्योतिषी या फिर पंडित से भी सत्यनारायण पूजन के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. लेकिन सत्यनारायण देव का पूजन सिर्फ शुक्ल पक्ष में ही उत्तम माना गया है.
कैसे करें सत्यनारायण की पूजा :इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद एक चौकी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर सत्यनारायण भगवान की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. चौकी के चारों ओर केले के पत्ते बांध दें.केले के पत्ते के आभाव में मोली बांधे. अब पूजा के लिए पंचामृत तैयार करें. पंचामृत में दूध, घी, दही, गुड़, पंचमेवा, तुलसी पत्ता डालकर द्रव्य बनाएं. पूजा की चौकी में एक जल से भरा कलश रखें. कलश के समीप घी का दीपक जलाएं. भगवान का चंदन से तिलक करें. इसके बाद जनेऊ, फूल-माला, इत्र, नवैद्य और फल को सत्यनारायण भगवान को अर्पण करें. इसके बाद सत्यनारायण व्रत की कथा सुने और सत्यनारायण भगवान की आरती करें. आरती के बाद पंचामृत का प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत satyanarayan puja vidhi खोलें.
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सत्यनारायण पूजन का महत्व : पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा करने से व्रतधारियों की मनोकामनाएं पूरी होती satyanarayan puja significance है.आपको बता दें कि कई लोग सत्यनारायण व्रत कथा के साथ-साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ satyanarayan puja mantra भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि सत्यनारायण पूजा व्यक्ति को सभी आपदाओं से बचाती है. इसके अलावा जो भक्त या श्रद्धालु सत्यनारायण कथा को विस्तार से सुनते हैं, उन्हें भी इसका शुभ फल मिलता है. इस पौराणिक कथा में स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसके समस्त दुख दूर होते हैं और व्यक्ति खुशहाल जीवन जीता है.अंत में मृत्यु को प्राप्त हो बैकुंठ धाम को चला जाता है.