रायपुर: दिल्ली में देशभर के किसान अपने अधिकार को लेकर कृषि कानून का विरोध करने में डटे हुए हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में सैकड़ों आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए नारायणपुर में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. गांव के 6 लोगों को नक्सली मामले में फंसाने का आरोप लगाकर उन्हें तत्काल छोड़ने की मांग आदिवासी कर रहे हैं. इसके साथ ही आदिवासी अब आमादई खदान को लीज में देने का भी जोरदार विरोध कर रहे हैं.
आदिवासियों की लड़ाई अब राजधानी रायपुर तक पहुंच चुकी है. पिछले कुछ दिनों से नारायणपुर में हजारों आदिवासी सड़क पर बैठकर अपने अधिकारों के लिए डटे हुए हैं. बावजूद उसके उनकी मांगों पर विचार नहीं किए जाने को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने नाराजगी जताई है. आदिवासी समाज अब नारायणपुर में आंदोलन कर रहे आदिवासी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का ऐलान कर दिया है. आने वाले समय में प्रदेशभर से आदिवासी नारायणपुर कूच करने की तैयारी भी कर रहे हैं.
नारायणपुर कूच भी तैयारी
सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने कहा है कि 10 दिसंबर को शहीद वीर नारायण सिंह जी के शहादत दिवस पर राजा राव पठार में बड़ा आयोजन होने जा रहा है. पोटाई ने बताया कि इस आयोजन में ही नारायणपुर आंदोलन को लेकर रणनीति तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि नारायणपुर के आदिवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा आदिवासी समाज खड़ा है. संघर्ष के लिए पूरा समाज उनके साथ है. इतना बड़ा मामला है जब प्रदेश भर से आदिवासी समाज आक्रोशित हैं, इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन और सरकार ध्यान नहीं दे रही है. आदिवासी सड़क पर धरने में पूरे परिवार के साथ बैठे हैं. शासन प्रशासन को चाहिए कि उनकी समस्या का निराकरण जल्द से जल्द करें. पोटाई ने कहा कि आने वाले समय में प्रदेश भर के आदिवासी भी उनके साथ लड़ेंगे और जीतेंगे.
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आदिवासियों को उनके अधिकारों से किया जा रहा वंचित
आदिवासी समाज के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष विकास कुमार नागवंशी ने आदिवासियों के साथ हो रहे अनदेखी को लेकर जमकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि यह दुखद घटना है, मूल छत्तीसगढ़िया आदिवासी बेहद शांत स्वभाव के होते हैं. वह परिवार के साथ कई दिनों से सड़क पर बैठकर धरना दे रहे हैं. अपने साथियों की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं. खदान लीज निरस्त की मांग कर रहे हैं. इस मामले को सरकार को जल्द सुलझाना चाहिए. किसी भी तरह की घटना हुई है उसमें गांव वालों को आरोपित बनाकर जबरदस्ती जेल में डाल दिया गया है. इस तरह की कार्रवाई शासन की असंवेदनशीलता दिखाती है. नागवंशी ने कहा कि छत्तीसगढ़ 32% आदिवासी बाहुल्य राज्य है. हमेशा से उन्हें ठगा जा रहा है. अपने अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है. इस पर तत्काल निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेश भर की जो भी स्थिति बनेगी उसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी. हम चेतावनी देते हैं कि शांतिपूर्ण वार्ता करके समस्या का समाधान किया जाए.
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बीजेपी ने सरकार पर साधा निशाना
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार केवल बयानबाजी यों में आदिवासियों से हमदर्दी दिखाती है. सरकार की नीतियों से ही नाखुश होकर आदिवासी नारायणपुर में हजारों की संख्या में सड़क पर बैठे हैं. बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेसी सरकार आने के साथ ही यह दावा करते रहे हैं कि आदिवासियों की जेल से रिहाई कराएंगे, लेकिन हजारों निर्दोष आदिवासी जेलों में बंद है. उनकी रिहाई में किसी तरह की कोई काम नहीं हुआ है और उल्टे भोले भाले आदिवासियों को झूठे आरोपों में गिरफ्तार कर जेल में भेजा जा रहा है. इसके विरोध में जब पूरे आदिवासी समाज के लोग सड़क पर बैठकर विरोध कर रहे हैं. बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है उनकी अनदेखी की जा रही है.
ऐसे में राज्य सरकार की ओर से अब तक आदिवासियों के रिहाई को लेकर कोई वार्ता ना हो पाना और बड़ी संख्या में आदिवासियों का एकजुट होकर सड़कों पर बैठकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कहीं सरकार पर भारी न पड़ जाए. एक तरफ पिछले कई दिनों से आदिवासियों का धरना प्रदर्शन जारी है. वहीं अब सर्व आदिवासी समाज के ऐलान के बाद आंदोलन और भी बड़ा होने जा रह है. ऐसे में यदि प्रदेश भर के आदिवासी एकजुट होकर नारायणपुर पहुंच जाएं तो सरकार के लिए फजीहत की नौबत बन सकती है.