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SPECIAL: पीड़ित महिलाओं के लिए वरदान बना सखी वन स्टॉप सेंटर

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Published : Dec 9, 2020, 5:56 PM IST

रायपुर जिले का सखी वन स्टॉप सेंटर महिलाओं ने लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां महिलाओं के साथ होने वाली हर तरह की समस्या का समाधान किया जाता है. अब तक 906 महिलाओं को यहां से लाभ मिल चुका है.

sakhi one stop center
सखी वन स्टॉप सेंटर

रायपुर: महिलाओं के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर वरदान साबित हो रहा है. यहां महिलाओं के साथ होने वाली हर तरह की समस्या का समाधान किया जाता है. सखी वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत 19 जुलाई 2015 में की गई थी. इस संस्था ने अब तक 4000 से ज्यादा महिलाओं की मदद की है. यहां महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती है.

पीड़ित महिलाओं के लिए वरदान बनी सखी वन स्टॉप सेंटर

निर्भया शेल्टर होम के तहत प्रदेश भर के जिलों में सखी वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई है. सखी सेंटर के माध्यम से महिलाएं घरेलू हिंसा, पारिवारिक विवाद, दहेज प्रताड़ना, दैहिक शोषण, बाल विवाह, साइबर क्राइम, संपत्ति विवाद, धोखाधड़ी, और छेड़छाड़ सहित महिलाओं के लापता होने के संबंध में प्रकरण दर्ज किए जाते हैं. सखी सेंटर में बेसहारा महिलाओं को आश्रय भी दिया जाता है. साथ ही महिलाओं के रहने और खाने की व्यवस्था भी सखी सेंटर करता है. सखी सेंटर महिला एवं बाल विकास की ओर से संचालित किया जाता है. ये संस्था महिलाओं की सुरक्षा संबंधी काम भी करता है.

पढ़ें: बलात्कार जैसे मामलों पर सियासी बढ़त लेने की कवायद !

सखी वन स्टॉप सेंटर की योजना शुरू होने के बाद से अब तक कुल 4 हजार 469 मामले आए है. इसमें से 3 हजार 841 प्रकरणों का निराकृत कर दिया गया है. वहीं 628 प्रकरण लंबित है. यहां अब तक 1450 महिलाओं को आश्रय भी दिया है.


केंद्र सरकार से आती है फंडिंग
महिला एवं बाल विकास के जिला अधिकारी अशोक पांडे ने बताया कि पीड़ित महिलाों के साथ-साथ मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं को भी यहां लाया जाता है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से लगातार इस संस्थान के लिए फंडिंग आती रहती है. सालाना लगभग 36 लाख तक की फंडिंग संस्था को की जाती है. इस फंड के माध्यम से ही महिलाओं को सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है. उन्होंने बताया कि जो लोग यहां काम करते है उन्हें सैलरी दी जाती है.

इन मामलों की होती है सुनवाई

सखी सेंटर की प्रभारी प्रीति पांडेय ने बताया कि वसेंटर में शिकायत करने वाले पीड़ितों को मेडिकल लीगल परामर्श की सुविधा के साथ ही अस्थाई आश्रय उपलब्ध करवाया जाता है. प्रावधान कहता है कि इस सेंटर में एक साथ पांच महिलाओं की मदद की जा सकती है यानी कि 5 महिलाओं के रुकने की व्यवस्था है. साथ ही किसी भी महिला को यहां 5 दिन के लिए आश्रय देने का भी प्रावधान है. लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया तक भी कई बार महिलाओं को यहां आश्रय दिया जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: बस्तर में बढ़ रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध, पुलिस की तरफ देखती पीड़िताएं


टीम में होती है सभी महिलाएं

वन स्टॉप सेंटर में सारी स्टाफ महिलाएं हैं. सेंटर में प्रभारी से लेकर रसोईया यहां तक कि गार्ड भी महिलाओं को ही रखा गया है. साथ ही जो लीगल परामर्श के लिए आती हैं उसमें भी महिला वकील को ही प्राथमिकता दी जाती है. मेडिकल के लिए भी महिला डॉक्टर ही रखी गई है. महिलाओं को अपनी बात रखने में किसी भी तरीके की दिक्कत न हो इसका खास ख्याल रखते हुए महिला स्टाफ की नियुक्ति की गई है.


रायपुर: महिलाओं के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर वरदान साबित हो रहा है. यहां महिलाओं के साथ होने वाली हर तरह की समस्या का समाधान किया जाता है. सखी वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत 19 जुलाई 2015 में की गई थी. इस संस्था ने अब तक 4000 से ज्यादा महिलाओं की मदद की है. यहां महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती है.

पीड़ित महिलाओं के लिए वरदान बनी सखी वन स्टॉप सेंटर

निर्भया शेल्टर होम के तहत प्रदेश भर के जिलों में सखी वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई है. सखी सेंटर के माध्यम से महिलाएं घरेलू हिंसा, पारिवारिक विवाद, दहेज प्रताड़ना, दैहिक शोषण, बाल विवाह, साइबर क्राइम, संपत्ति विवाद, धोखाधड़ी, और छेड़छाड़ सहित महिलाओं के लापता होने के संबंध में प्रकरण दर्ज किए जाते हैं. सखी सेंटर में बेसहारा महिलाओं को आश्रय भी दिया जाता है. साथ ही महिलाओं के रहने और खाने की व्यवस्था भी सखी सेंटर करता है. सखी सेंटर महिला एवं बाल विकास की ओर से संचालित किया जाता है. ये संस्था महिलाओं की सुरक्षा संबंधी काम भी करता है.

पढ़ें: बलात्कार जैसे मामलों पर सियासी बढ़त लेने की कवायद !

सखी वन स्टॉप सेंटर की योजना शुरू होने के बाद से अब तक कुल 4 हजार 469 मामले आए है. इसमें से 3 हजार 841 प्रकरणों का निराकृत कर दिया गया है. वहीं 628 प्रकरण लंबित है. यहां अब तक 1450 महिलाओं को आश्रय भी दिया है.


केंद्र सरकार से आती है फंडिंग
महिला एवं बाल विकास के जिला अधिकारी अशोक पांडे ने बताया कि पीड़ित महिलाों के साथ-साथ मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं को भी यहां लाया जाता है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से लगातार इस संस्थान के लिए फंडिंग आती रहती है. सालाना लगभग 36 लाख तक की फंडिंग संस्था को की जाती है. इस फंड के माध्यम से ही महिलाओं को सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है. उन्होंने बताया कि जो लोग यहां काम करते है उन्हें सैलरी दी जाती है.

इन मामलों की होती है सुनवाई

सखी सेंटर की प्रभारी प्रीति पांडेय ने बताया कि वसेंटर में शिकायत करने वाले पीड़ितों को मेडिकल लीगल परामर्श की सुविधा के साथ ही अस्थाई आश्रय उपलब्ध करवाया जाता है. प्रावधान कहता है कि इस सेंटर में एक साथ पांच महिलाओं की मदद की जा सकती है यानी कि 5 महिलाओं के रुकने की व्यवस्था है. साथ ही किसी भी महिला को यहां 5 दिन के लिए आश्रय देने का भी प्रावधान है. लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया तक भी कई बार महिलाओं को यहां आश्रय दिया जाता है.

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टीम में होती है सभी महिलाएं

वन स्टॉप सेंटर में सारी स्टाफ महिलाएं हैं. सेंटर में प्रभारी से लेकर रसोईया यहां तक कि गार्ड भी महिलाओं को ही रखा गया है. साथ ही जो लीगल परामर्श के लिए आती हैं उसमें भी महिला वकील को ही प्राथमिकता दी जाती है. मेडिकल के लिए भी महिला डॉक्टर ही रखी गई है. महिलाओं को अपनी बात रखने में किसी भी तरीके की दिक्कत न हो इसका खास ख्याल रखते हुए महिला स्टाफ की नियुक्ति की गई है.


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