रायपुर: छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत शुरू किए गए काम से लॉकडाउन के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होते दिख रहा है. लॉकडाउन के बाद अकेले अप्रैल महीने में ही नए और पुराने कामों को मिलाकर कुल 548 करोड़ 41 लाख रुपये का मजदूरी भुगतान किया गया है. राज्य शासन द्वारा सामग्री मद में भुगतान के लिए भी 210 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा 50 दिनों के अतिरिक्त रोजगार के लिए 76 करोड़ 94 लाख रुपये जारी करने की बात कही जा रही है.
कोविड-19 के चलते विपरीत परिस्थितियों में श्रमिकों के हाथों में राशि पहुंचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ा है. मनरेगा ने रोजगार की चिंता से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीणों की क्रय-क्षमता भी बढ़ाई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए मनरेगा के तहत काम शुरू करने के निर्देश दिए थे.
अप्रैल में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान
नए वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले दिन 1 अप्रैल को प्रदेश में मनरेगा श्रमिकों की संख्या केवल 57 हजार 536 थी. लॉकडाउन के मौजूदा दौर में गांवों में काम की जरूरत को देखते हुए सरकार द्वारा जोर-शोर से मनरेगा कार्य शुरू कराए गए. मैदानी अमले और सरपंचों की सक्रियता से महीने के आखिर में 30 अप्रैल को यह संख्या 19 लाख 85 हजार 166 जा पहुंची. इस दौरान मनरेगा जॉब कॉर्डधारी 10 लाख 24 हजार परिवारों को एक करोड़ 23 लाख से अधिक मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया. मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया को तेजी से पूर्ण कर श्रमिकों को त्वरित भुगतान भी किया गया. अप्रैल माह में काम करने वालों को 200 करोड़ रुपये से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया है.
काम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन
प्रदेश में अभी संचालित मनरेगा कार्यों में कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के सभी उपायों और केंद्र एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है. मनरेगा टीम और पंचायतों के सहयोग से सभी कार्यस्थलों में सामाजिक एवं शारीरिक दूरी बरतते हुए मास्क या कपड़े से चेहरा ढंकने तथा साबुन से हाथ धुलाई के निर्देशों का गंभीरता से पालन करवाया जा रहा है. अधिकारियों द्वारा कार्यस्थलों का सतत निरीक्षण कर इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है.