रायपुर: कोरोना संक्रमण से जंग जारी है. ज्यादातर लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद बहुत ज्यादा कमजोरी देखने को मिल रही है. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि संक्रमण से लोगों की किडनी और लंग्स पर भी काफी असर पड़ रहा है. शार्क देशों में अपना लोहा मनवा चुके रायपुर एम्स का योगदान छत्तीसगढ़ में कोरोना से जंग में सबसे अहम रहा है. ईटीवी भारत ने एम्स रायपुर के डायरेक्टर डॉ. एम नितिन नागरकर से खास बातचीत की है.
डॉ. नागरकर ने बताया कि एम्स रायपुर पिछले 7 महीनों से कोरोना पेसेंट का इलाज कर रहा है. इनमें कुछ नई फाइंडिंग भी सामने आ रही है. कोरोना के कारण लोगों को किडनी और लंग्स में दिक्कत हो रही है. कुछ लोगों को स्ट्रोक्स तक आ रहे हैं.
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डॉ. नागरकर के अनुसार सितंबर तक कोरोना का पीक समय आकर निकल जाने की उम्मीद लगाई गई थी. ऐसा हुआ भी है, अब केसेस कम हो रहे हैं. लेकिन अभी भी सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम सभी सावधान रहें. कोरोना के प्रति लापरवाही नहीं बरती जा सकती है.
ठंड में बढ़ सकता है कोरोना का संक्रमण?
इन दिनों एक चर्चा आम है कि कोरोना का दूसरा बड़ा प्रकोप हमें ठंड के दिनों में देखने को मिल सकता है. इसे लेकर डॉ. नागरकर ने कहा कि यह बिल्कुल साइंटिफिक है. क्योंकि जहां पर ठंड होती है वहां पर वायरस बढ़ता है और ज्यादा फैलता है. ऐसे में यह संभावना जरूर है, लेकिन हमने यह भी देखा है कि गर्मियों में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला है.
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वैक्सीन को लेकर चल रहा है ट्रायल
डॉ. नागरकर ने बताया कि पूरे विश्व में वैक्सीन को लेकर ट्रायल चल रहा है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2021 के शुरुआती दौर में वैक्सीन मिल जाएगी. वैक्सीन को रखने के लिए भी सतर्कता बरतनी होगी. वैक्सीन का सावधानी से रखा जाना भी उतना ही जरूरी है जितना कोरोना से बचे रहना.
बाजार खुले तो खतरा भी बढ़ा
अनलॉक शुरू हो गया है, ऐसे में लोग घरों से निकल रहे हैं. बाजारों में भीड़ जुट रही है. इसपर डॉक्टर नागरकर ने कहा कि लॉकडाउन कोई परमानेंट विकल्प नहीं है. हां, यह जरूर है कि इससे पहले राजधानी में जो लॉकडाउन लगाया गया था. उसका असर यह रहा कि केसेस कम हुए, लेकिन हमेशा के लिए लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता. इसलिए जरूरी है कि हम सभी सावधान रहें. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. फेस्टिव सीजन है, लोग बाहर जाएंगे, शॉपिंग करेंगे और भीड़ होगी. लेकिन लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि कम से कम लोगों के संपर्क में आए.