रायपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद कई सालों से चला आ रहा है. इस बीच अप्रैल में महानदी विवाद पर ट्रिब्यूनल, छत्तीसगढ़ का दौरा कर रही है. ऐसे में ओडिशा की तरफ से छत्तीसगढ़ सरकार पर यह आरोप लगाया गया है कि, अभी महानदी में पानी छोड़ने का काम किया जा रहा है. इन आरोपों पर छत्तीसगढ़ की तरफ से क्लीयर स्टैंड लिया गया है. छत्तीसगढ़ ने साफ किया है. साल के इस समय महानदी नदी में पानी छोड़ना एक सामान्य प्रक्रिया है. यह ओडिशा की तरफ से जानबूझकर महानदी जल विवाद के ट्रिब्यूनल को उलझाने के लिए किया जा रहा है. छत्तीसगढ़, साल के इस समय अपने भंडारण या सामान्य रिलीज के माध्यम से उद्योग के लिए निस्तारी और फसलों की जरूरत को देखते हुए पानी छोड़ता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ट्रिब्यूनल के दूसरे दौरे से ठीक पहले ओडिशा की तरफ से ऐसा कहा गया है.
छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से कहा गया है कि" ऐसा महसूस होता है कि यह बातें जो ओडिशा की तरफ से कही जा रही है. वह ओडिशा के जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ के हवाले से कही गई है. जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच सहमत हुए संयुक्त प्रोटोकॉल के खिलाफ है.
ओडिशा की महानदी बेसिन में जलक्षमता अधिक: छत्तीसगढ़ की तरफ से कहा गया है कि" महानदी पर ओडिशा में स्थित हीराकुंड जलाशय की भंडारण क्षमता अधिक है. यह छत्तीसगढ़ में महानदी बेसिन के सभी जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता से कहीं अधिक है. नतीजतन, ओडिशा के पास पानी की कमी के बारे में शिकायत करने का कोई कारण नहीं है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ अपने जल संरक्षण की मुहिम से जल संचय करने का काम करता है. जहां पानी की हर बूंद को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है.छत्तीसगढ़ चेक डैम और बैराजों के माध्यम से जल संरक्षण का कार्य किया है. इसके अलावा बारिश से मिलने वाले जल को नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के तहत रिचार्ज करने का काम भी किया है. इससे भी जल संचय में इजाफा हुआ है.
छत्तीसगढ़ के जल संचय से ओडिशा को फायदा: छत्तीसगढ़ के जल संरक्षण के उपायों से ओडिशा को बहुत लाभ होता है. क्योंकि महानदी की धाराओं और सहायक नदियों में छोड़ा जाने वाला भूजल आखिर में ओडिशा पहुंचता है.
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तीन सदस्यीय महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 18 अप्रैल से दौरा शुरू किया है. इसके तहत महानदी के डाउनस्ट्रीम जल प्रवाह, पानी की उपलब्धता, गैर-मानसून मौसम में पानी के उपयोग का अध्ययन किया जा रहा है. राज्य में दूसरे दौर का निरीक्षण तीन मई तक पूरा होने की उम्मीद है.
महानदी के जल को लेकर विवाद: महानदी नदी छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर बहती है. दोनों राज्यों के बीच इसके पानी के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है.ओडिशा सरकार ने 2016 में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के पास महानदी जल बंटवारे को लेकर शिकायत की थी. इसके तहत अपस्ट्रीम में औद्योगिक उद्देश्य के लिए छह बैराज के निर्माण और विशेष रूप से डाउनस्ट्रीम में कम प्रवाह पर आपत्ति जताई थी. साल 2018 में, केंद्र ने तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल का गठन किया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे. इसके अलावा पटना हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ रवि रंजन और दिल्ली उच्च न्यायालयों के इंदरमीत कौर कोचर सदस्य के रूप में शामिल किए गए थे. इस ट्रिब्यूनल का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया था.
सोर्स: पीटीआई