बीजापुर: नक्सलियों से रिहा हुए जवान राकेश्वर सिंह मनहास को आज बीजापुर से रायपुर लाया जाएगा. हेलीकॉप्टर से जवान को रायपुर लाया जा रहा है. सरकार की ओर से गठित 2 सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने गुरुवार शाम को जवान को रिहा किया था.
6 अप्रैल को नक्सलियों ने जारी किया था प्रेस नोट
3 अप्रैल को तर्रेम के जंगलों में हुई नक्सली मुठभेड़ के बाद से राकेश्वर लापता थे. 6 अप्रैल को प्रेस नोट जारी करके नक्सलियों ने लापता जवान के कब्जे में होने की बात कही थी. राकेश्वर सिंह मनहास कोबरा बटालियन के जवान हैं. वे जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. उनका परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहा था कि उसे सुरक्षित वापस लाया जाए.
जम्मू-कश्मीर में रहता है परिवार
राकेश्वर सिंह मनहास कोबरा बटालियन के जवान हैं. वे जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. उनका परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहा था कि उसे सुरक्षित वापस लाया जाए. राकेश्वर की रिहाई की खबर सुनते ही घर में दिवाली जैसा माहौल हो गया. सबने एक-दूसरे मिठाई खिलाकर मुबारकबाद दी.
राकेश्वर की रिहाई की खबर सुन रो पड़ी मां और पत्नी, कहा- जिंदगी का सबसे बड़ा दिन आज
उनकी पत्नी मीनू ने कहा कि वे भगवान के बाद केंद्र और राज्य सरकार को शुक्रिया कहना चाहती हैं. मीनू ने मीडिया और फोर्स को भी धन्यवाद कहा है. उन्होंने कहा कि ये दिन उन्होंने बहुत मुश्किल से गुजारे हैं.
जानिए कौन हैं पद्मश्री धर्मपाल सैनी जिनकी मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को किया रिहा
इनकी रही अहम भूमिका-
राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करवाने में सरकार की ओर से गठित दो सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को रिहा किया था. जवान की रिहाई के लिए मध्यस्थता कराने गई दो सदस्यीय टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद थी. नक्सलियों के बुलाने पर कुल 11 सदस्यीय टीम जवान को रिहा कराने पहुंची थी. इस दौरान मुरतोंडा की सरंपच सुकमती हप्का और रिटायर्ड शिक्षक रूद्रा कारे भी मौजूद रहे.
कब क्या हुआ ?
- 3 अप्रैल को नक्सली मुठभेड़ हुई थी.
- 4 अप्रैल को 22 जवानों की शहादत की खबर आई. 31 जवानों के घायल होने की पुष्टि हुई.
- 5 अप्रैल को खबर मिली कि जवान राकेश्वर सिंह मनहास नक्सलियों के कब्जे में हैं.
- 6 अप्रैल को नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर जवान के कब्जे में होने का दावा किया.
- 7 अप्रैल को परिवार ने रिहाई की गुहार लगाई. छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों ने भी रिहाई की अपील की.
- 8 अप्रैल को नक्सलियों ने जवान को रिहा कर दिया. इसमें 11 सदस्यीय टीम ने अहम भूमिका निभाई.