रायपुर : ग्लूकोमा यानी काला मोतिया आंखों की गंभीर बीमारी है. कई बार तो यह आंखों की रोशनी तक भी छीन लेती है. आंखों पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव की वजह से यह बीमारी होती है. यह ऐसी बीमारी है, जिसमें आंखों के अंदर के पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. आंखों की नस सूखने लगती है. लोगों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण आगे जाकर उन्हें आंखों की कई बीमारियां होती हैं. इसको देखते हुए लोगों को ग्लाकोमा के बारे में जागरूक करने के लिए स्वास्थ विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ में 6 मार्च से 12 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाएगा.
इस दौरान सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक केंद्रों और जिला अस्पताल में 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की आंखों की जांच की जाएगी. वहीं चश्मा की जरूरत वाले लोगों को निःशुल्क चश्मा प्रदान किया जाएगा. लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों और सामुदायिक भवनों में संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी.
नियमित नेत्र जांच बचा सकती हैं स्थाई अंधपन से : विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 2021
ग्लूकोमा को न करें इग्नोर, समय पर कराएं इलाज
ग्लूकोमा यानी काला मोतिया आंखों की रोशनी तक छीन लेती है. कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर काम करते समय हमारी आंखों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. हम इसे गंभीरता से नहीं लेते. आंखों से संबंधित परेशानियों की अनदेखी और लापरवाही धीरे-धीरे ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है. इससे आंखों की रोशनी तक चली जाती है. इसीलिए इसका समय पर इलाज बहुत जरूरी है. यह बीमारी उम्रजनित और आनुवंशिक भी होती है.
जानिये ग्लूकोमा (काला मोतिया) के प्रकार
ग्लूकोमा (काला मोतिया) की दो प्रमुख श्रेणियां हैं. ओपन-एंगल ग्लूकोमा (OAG) और क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा (ACG). ग्लूकोमा के अधिकांश प्रकारों में आमतौर पर कोई दर्द नहीं होता है. इतना ही नहीं ध्यान देने योग्य दृष्टि हानि होने तक कोई लक्षण भी उत्पन्न नहीं होते. लेकिन क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा के साथ एक व्यक्ति अचानक लक्षणों का अनुभव करता है. जैसे धुंधली दृष्टि, रोशनी के आसपास प्रभामंडल, आंखों में तेज दर्द, मतली और उल्टी महसूस होना. अगर आपमें भी ये लक्षण हैं तो इसकी तत्काल नेत्र चिकित्सक से जांच करानी चाहिए.