रायपुर: छत्तीसगढ़ रसोईया संघ के बैनर तले प्रदेश के रसोईया संघ 12 और 13 जुलाई को प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन करने जा रहे है. प्रदर्शन के बाद रसोईया संघ मुख्यमंत्री निवास कार्यालय का घेराव भी करेंगे.
विधानसभा घेराव करने की चेतावनी: प्रदेश के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में महिला और पुरुष रसोईया स्कूली बच्चों के लिए मध्यान भोजन का खाना बनाने सहित अन्य दूसरे कामों को करते हैं. रसोइया संघ के कर्मचारियों को सरकार मानदेय के रूप में मात्र 1800 रुपए महीने देती है. पिछले कई सालों से रसोईया संघ अपना मानदेय बढ़ाने की मांग कर रही है. रसोईया संघ ने चेतावनी भी दी है कि दो दिवसीय प्रदर्शन के बाद सरकार इनकी मांगों पर अमल नहीं करेगी, तो 18 जुलाई को विधानसभा का घेराव किया जायेगा.
कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय देने की मांग: कांग्रेस ने चुनाव के पहले अपने जन घोषणा पत्र में कहा था कि हमारी सरकार आने से 10 दिनों के भीतर रसोइयों को कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय दिया जाएगा. लेकिन 4 साल बीतने के बाद भी सरकार ने रसोइयों की कोई सुध नहीं ली है. जिसके चलते रसोईया संघ बेहद नाराज है और अपनी मांगों को पूरा करने प्रदर्शन कर रही है.
"सरकार हमको कम ना समझे हमारी संख्या पूरे प्रदेश में 87 हजार है. सभी पोलिंग बूथ में रसोईया की ड्यूटी लगती है. ऐसे में सरकार को गिरा भी सकते हैं और सरकार बना भी सकते है. सरकार बनाने के लिए रसोइयों ने जी जान मेहनत की, जिसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी है. हमारी सिर्फ एक ही मांग है अंशकालीन से पूर्णकालीन किया जाए और कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाए." - नीलू ओगरे, प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ मध्यान भोजन रसोईया संघ
महीने में मिलता है 1800 रुपए मानदेय: पूरे प्रदेश के 140 विकासखंड में 45610 प्राइमरी और मिडिल स्कूल है. यहां की स्कूली छात्र-छात्राओं को लगभग 87 हजार महिला और पुरुष रसोईया मिलकर मध्यान भोजन पकाकर देते हैं. रसोईया अपने घर से स्कूल में सुबह 10 बजे से लेकर 3 बजे तक खाना बनाने के साथ स्कूल के अन्य दूसरे कामों को करते हैं. रसोइयों को महीने में महज 1800 रुपए मानदेय मिलता है. इसी साल 6 मार्च को पेश हुए बजट में सरकार ने रसोइयों के मानदेय में 300 रुपये की बढ़ोतरी कर दी थी. कलेक्ट्रेट दर अगर होता है, तो इन रसोइयों को महीने में 9180 रुपये मानदेय मिलेगा.