ETV Bharat / state

रायपुर : रंगोली व्यापारी की 3 पीढ़ियों ने भी 100 साल में नहीं बदला अपना व्यापार

author img

By

Published : Oct 26, 2019, 8:30 AM IST

राजधानी के सबसे पुराने रंगोली व्यापारी सलीम भाई बताते हैं कि हिंदुओं के आंगन में उनके दुकान की रंगोलियां सजती हैं. उन्हें इस बात की खुशी है.

सबसे पुराने रंगोली व्यापारी

रायपुर : भारत की विविधता में एकता की कहानी पर सलीम भाई जैसे लोग मुहर लगाते हैं. सलीम का परिवार तीन पीढ़ियों से राजधानी के सबसे पुराने गोल बाजार में पिछले 100 साल से रंगोली बेच रहे हैं. दिवाली में रायपुर के सलीम भाई की रंगोली की काफी डिमांड रहती है.

रंगोली व्यापारी की 3 पीढ़ियों ने भी 100 साल में नहीं बदला अपना व्यापार

सलीम बताते हैं कि हिंदुओं के आंगन में उनके दुकान की रंगोलियां सजती हैं. उन्हें इस बात की खुशी है. जिस तरह तीन नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती का संगम है. ठीक उसी तरह सभी धर्म के लोगों को भाईचारे के साथ सभी त्योहार मनाना चाहिए.

तीन पीढ़ियों ने भी यही किया
सलीम कहते हैं कि उनके दादा ने रंगोली का व्यापार शुरू किया, जिसके बाद सलीम के पिता भी इसी काम में लग गए. अपने पिता के बाद खुद सलीम ने भी यही काम चुना. उन्होंने बताय कि आने वाली अगली जनरेशन यानी उनके बच्चे भी इस काम में दिलचस्पी ले रहे हैं.

पढे़ं : SPECIAL: छत्तीसगढ़ के इस गांव में रहते हैं महिषासुर के वंशज

25 प्रकार की रंगोली
दुकान में अलग-अलग कलर की रंगोली मिलती है. वहीं समय और डिमांड के अनुसार अन्य कलर की भी रंगोली बनाई जाती रही हैं. नए चलन में भूसे की रंगोली, लकड़ी के चिप्स और लकड़ी के डस्ट की भी रंगोली बिक रही है.

रायपुर : भारत की विविधता में एकता की कहानी पर सलीम भाई जैसे लोग मुहर लगाते हैं. सलीम का परिवार तीन पीढ़ियों से राजधानी के सबसे पुराने गोल बाजार में पिछले 100 साल से रंगोली बेच रहे हैं. दिवाली में रायपुर के सलीम भाई की रंगोली की काफी डिमांड रहती है.

रंगोली व्यापारी की 3 पीढ़ियों ने भी 100 साल में नहीं बदला अपना व्यापार

सलीम बताते हैं कि हिंदुओं के आंगन में उनके दुकान की रंगोलियां सजती हैं. उन्हें इस बात की खुशी है. जिस तरह तीन नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती का संगम है. ठीक उसी तरह सभी धर्म के लोगों को भाईचारे के साथ सभी त्योहार मनाना चाहिए.

तीन पीढ़ियों ने भी यही किया
सलीम कहते हैं कि उनके दादा ने रंगोली का व्यापार शुरू किया, जिसके बाद सलीम के पिता भी इसी काम में लग गए. अपने पिता के बाद खुद सलीम ने भी यही काम चुना. उन्होंने बताय कि आने वाली अगली जनरेशन यानी उनके बच्चे भी इस काम में दिलचस्पी ले रहे हैं.

पढे़ं : SPECIAL: छत्तीसगढ़ के इस गांव में रहते हैं महिषासुर के वंशज

25 प्रकार की रंगोली
दुकान में अलग-अलग कलर की रंगोली मिलती है. वहीं समय और डिमांड के अनुसार अन्य कलर की भी रंगोली बनाई जाती रही हैं. नए चलन में भूसे की रंगोली, लकड़ी के चिप्स और लकड़ी के डस्ट की भी रंगोली बिक रही है.

Intro:भारत में अलग-अलग भाषा संस्कृति के लोग एक साथ निवास करते हैं वही भारत की संस्कृतियों में देश की एकता एस लगती हैं अलग-अलग संस्कृति के होने के बावजूद भी देश में सभी मैत्रीपूर्ण भाव से साथ रहते हैं वही दीपावली के अवसर पर शुभ अवसरों पर घरों के आंगन मे रंगोली सजाई जाती है, साथ ही घर मे माताए बहने घरों के आंगन को रंगोलियो से सजाती है।।



Body:वहीं रायपुर के सबसे पुराने गोल बाजार स्थित सलीम भाई रंगोली वाले पिछले 100 सालों से रंगोली का व्यपार कर रहे है। पिछले तीन पीढ़ियों से वे रंगोली बेच रहे है।।

दुकान के संचालक सलीम भाई बताते कि उनके दादा ने रंगोली का व्यापार शुरू किया और उनके पिताजी और वे स्वयं और उनके आने वाली पीढ़ी भी रंगोली का व्यापार करती है उनके यहां तरह-तरह की रंगोलियां बनाई जाती है साथ ही इनकी रंगोली की डिमांड रायपुर के साथ साथ अन्य प्रदशो में भी है। खासकर उड़ीसा और झारखंड में यह रंगोली को भेजते है।।

25 प्रकार की रंगोलिया
दुकान में अलग-अलग कलर में रंगोलियां मिलती है वही समय के साथ डिमांड के अनुसार अन्य कलर की रंगोलियां बनाई जाती है, नए चलन में भूसे की रंगोली, लकड़ी के चिप्स और लकड़ी के डस्ट की भी रंगोली बिक्री होती है।

वही सलीम भाई बताते हैं कि हिंदुओं के आंगन में उनके दुकान रंगोलियां सजती है उन्हें खुशी महसूस होती है, जिस तीन नदियों गंगा, जामुना, सरस्वती का संगम है, उसी तरह सभी धर्मों के लोगों को भाई चारे के साथ सभी त्यौहार मनाना चाहिए साथी हमारे पूर्वजों की जो चीजें हैं उसे लेकर हम आगे चल रहे हैं।।


Conclusion:बाईट

सलीम भाई रंगोली वाले
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.