रायपुर : भारत की विविधता में एकता की कहानी पर सलीम भाई जैसे लोग मुहर लगाते हैं. सलीम का परिवार तीन पीढ़ियों से राजधानी के सबसे पुराने गोल बाजार में पिछले 100 साल से रंगोली बेच रहे हैं. दिवाली में रायपुर के सलीम भाई की रंगोली की काफी डिमांड रहती है.
सलीम बताते हैं कि हिंदुओं के आंगन में उनके दुकान की रंगोलियां सजती हैं. उन्हें इस बात की खुशी है. जिस तरह तीन नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती का संगम है. ठीक उसी तरह सभी धर्म के लोगों को भाईचारे के साथ सभी त्योहार मनाना चाहिए.
तीन पीढ़ियों ने भी यही किया
सलीम कहते हैं कि उनके दादा ने रंगोली का व्यापार शुरू किया, जिसके बाद सलीम के पिता भी इसी काम में लग गए. अपने पिता के बाद खुद सलीम ने भी यही काम चुना. उन्होंने बताय कि आने वाली अगली जनरेशन यानी उनके बच्चे भी इस काम में दिलचस्पी ले रहे हैं.
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25 प्रकार की रंगोली
दुकान में अलग-अलग कलर की रंगोली मिलती है. वहीं समय और डिमांड के अनुसार अन्य कलर की भी रंगोली बनाई जाती रही हैं. नए चलन में भूसे की रंगोली, लकड़ी के चिप्स और लकड़ी के डस्ट की भी रंगोली बिक रही है.