रायपुर: छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दम पर सरकारी विभागों में मलाई काट रहे कर्मचारियों को लेकर राजनीति गरमा गई है. पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने इसे आदिवासी समाज के अधिकारों का हनन माना है.
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर इस मामले में बयानबाजी शुरू हो गई थी. रमन सिंह ने कहा कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर काम करने वाले लोगों पर कार्रवाई तो होनी चाहिए. राज्य सरकार 8 महीने पुरानी हो गई है, लेकिन अब भी सरकार को फर्जी जाति प्रमाण पत्र वालों पर कार्रवाई के लिए 1 महीने का वक्त और चाहिए. आदिवासी समाज के लिए खासतौर पर जो न्यायालय में विचाराधीन नहीं है, उन मामलों में जल्द से जल्द निर्णय होना चाहिए.
मुख्यमंत्री का निर्देश
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दम पर नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों को एक महीने के भीतर ऐसे कर्मचारियों की पहचान करें जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहे हैं. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए विधायक रामपुकार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है. कमेटी की रिपोर्ट की अनुशंसा के मुताबिक नए नियम की समीक्षा कर लागू कर दी जाएगी.