रायपुर: रायपुर से 35 किलोमीटर दूर राजिम है. यहां की महिलाएं गरीब तबके की हैं. इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए इकोफ्रेंडली आर्टिस्ट रानी निषाद ने ट्रेनिंग दी. अब महिलाएं जड़ी बूटी का पाउडर, सब्जियों और फलों के रस और बेसन का उपयोग कर हर्बल रंग बना रहीं हैं.
महिलाओं ने इकोफ्रेंडली रंग तैयार किया: इकोफ्रेंडली आर्टिस्ट रानी निषाद कहती हैं ''आजकल बाजार में मिलावटी रंग मिलते हैं. यह मानव और जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होते हैं. केमिकल मिले रंगों के इस्तेमाल से आंखों में जलन और सिरदर्द होता है. होली रंगों का त्यौहार है. हम सभी मिलकर अपने परिवार, दोस्तों और सगे संबंधियों के साथ मिलकर होली खेलते हैं. ऐसे में इस होली हम सभी बहनों, मोहल्ले की 40 लड़कियां और महिलाओं ने मिलकर घर पर ही इकोफ्रेंडली रंग तैयार किया है.
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आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं: रानी निषाद कहती हैं कि "देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के तहत वोकल फोर लोकल में हमने सहयोग किया. हम सभी ने हर्बल होली के लिए अनूठा प्रयास किया है. पहले मैंने जड़ी बूटियों से राखी बनाई थी. राखी बनाने का काम तीन चार सालों से कर रही हूं. इस बीच सोचा कि क्यों न हर्बल गुलाल तैयार किया जाए. अब हमने हर्बल गुलाल तैयार किया है. इससे ना केवल चेहरे को फायदा मिलेगा, बल्कि जीव जंतु भी इसका सेवन कर सकते हैं. जीव जंतुओं को भी इससे कोई नुकसान नहीं होगा."
हर्बल गुलाल से होली खेलने की अपील: रानी निषाद ने धान, सब्जी के बीज, मूंग, चांवल, चना सहित बीस हजार से ज्यादा बीजों के साथ गाय के गोबर से इको फ्रेंडली राखियां तैयार की है. उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. रानी निषाद ने लोगों से भी अपील की है कि "हर्बल गुलाल से होली खेलें और पानी बचाएं, प्रकृति बचाएं और स्वस्थ रहें. हमारे इस प्रयास को देश विदेश तक पहुंचाएं ताकि हमारा आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सके."