ETV Bharat / state

राजिम पुन्नी मेले की हो चुकी है शुरुआत, पढ़ें हर दिन क्या होगा खास - raipur latest news

राजिम में 9 से 21 फरवरी तक पुन्नी मेला का आयोजन किया गया है, जिसमें अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

Rajim Punni fair will run from 9 to 21 February
आज से 21 फरवरी तक चलेगा राजिम पुन्नी मेला
author img

By

Published : Feb 10, 2020, 9:34 AM IST

रायपुर/गरियाबंद: 9 से 21 जनवरी तक राजिम में पुन्नी मेला का आयोजन किया गया है.

कार्यक्रमों का शैड्यूल कुछ इस प्रकार है:-

  • राजिम मेले के दूसरे दिन यानी 10 फरवरी को शाम 6 बजे से 7 बजे तक सेवक राम यादव की ओर से लोक मंच, रात्रि 7 बजे से 8 बजे रितु वर्मा की पंडवानी, रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक ममता चन्द्राकार की ओर से चिन्हारी की मनमोहक प्रस्तुति दी जाएगी.
  • तीसरे दिन 11 फरवरी को गोरेलाल बर्मन का लोक श्रृंगार कार्यक्रम होगा.
  • 12 फरवरी को लोक गायिका आरू साहू और भिलाई के दुष्यंत हरमुख के रंगझरोखा की प्रस्तुति होगी.
  • 13 फरवरी को बिलासपुर के अंचल शर्मा, ननकी ठाकुर के पुन्नी के चंदा की प्रस्तुति होगी.
  • 14 फरवरी को छाया चन्द्राकार का लोकछाया की प्रस्तुति होगी.
  • 15 फरवरी को जाकिर हुसैन का लोक संध्या और लोकरंग अर्जुन्दा के दीपक चन्द्राकार के कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी.
  • 16 फरवरी को लोकगायिका रमादत्त जोशी की बहन और कविता वासनिक अनुराग धारा अपनी प्रस्तुति देगें.
  • 17 फरवरी को सुनील तिवारी का रंगझाझर कार्यक्रम का मंचन होगा.
  • 18 फरवरी को सुनील सोनी नाईट कार्यक्रम का आयोजन होगा.
  • 19 फरवरी को अल्का चन्द्राकार फुलवारी की प्रस्तुति देगी.
  • 20 फरवरी को अनुज शर्मा का स्टार नाईट कार्यक्रम होगा.
  • कार्यक्रम के अंतिम दिन यानी 21 फरवरी को सुनील मानिकपुरी और भूपेन्द्र साहू के रंग सरोवर का कार्यक्रम होगा.

मुख्य मंच पर प्रतिदिन शाम 6 से 10 बजे तक छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक और लोक परंपराओं पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे. इसमें नाचा, पंडवानी, रामधुनी, सुआ नृत्य, भोजली, डंडा नृत्य, राउत नाचा, गेड़ी आकर्षण के केन्द्र होंगे. साथ ही इस बार छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलकूद भी आकर्षण के केन्द्र होंगे. भौंरा, बाटी, बिल्लस, फुगड़ी, तिरी-पासा, लंगड़ी, गोंटा, पित्तुल, फल्ली और नून जैसे खेलों की खनक गुजेंगी.

बता दें कि 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था. जिसके बाद 2005 में इसे राजिम अर्ध्य कुंभ नाम दिया गया. वहीं पिछले साल 2019 से इसे राजिम पुन्नी मेला महोत्सव नाम से मनाया जा रहा है.

पढ़े: 'राजिम पुन्नी मेले' में गाया गया राजकीय गीत 'अरपा पैरी के धार'

राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है. तीन नदियां महानदी, पैरी नदी और सोंढुर नदी का संगम स्थल है. संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है.

रायपुर/गरियाबंद: 9 से 21 जनवरी तक राजिम में पुन्नी मेला का आयोजन किया गया है.

कार्यक्रमों का शैड्यूल कुछ इस प्रकार है:-

  • राजिम मेले के दूसरे दिन यानी 10 फरवरी को शाम 6 बजे से 7 बजे तक सेवक राम यादव की ओर से लोक मंच, रात्रि 7 बजे से 8 बजे रितु वर्मा की पंडवानी, रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक ममता चन्द्राकार की ओर से चिन्हारी की मनमोहक प्रस्तुति दी जाएगी.
  • तीसरे दिन 11 फरवरी को गोरेलाल बर्मन का लोक श्रृंगार कार्यक्रम होगा.
  • 12 फरवरी को लोक गायिका आरू साहू और भिलाई के दुष्यंत हरमुख के रंगझरोखा की प्रस्तुति होगी.
  • 13 फरवरी को बिलासपुर के अंचल शर्मा, ननकी ठाकुर के पुन्नी के चंदा की प्रस्तुति होगी.
  • 14 फरवरी को छाया चन्द्राकार का लोकछाया की प्रस्तुति होगी.
  • 15 फरवरी को जाकिर हुसैन का लोक संध्या और लोकरंग अर्जुन्दा के दीपक चन्द्राकार के कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी.
  • 16 फरवरी को लोकगायिका रमादत्त जोशी की बहन और कविता वासनिक अनुराग धारा अपनी प्रस्तुति देगें.
  • 17 फरवरी को सुनील तिवारी का रंगझाझर कार्यक्रम का मंचन होगा.
  • 18 फरवरी को सुनील सोनी नाईट कार्यक्रम का आयोजन होगा.
  • 19 फरवरी को अल्का चन्द्राकार फुलवारी की प्रस्तुति देगी.
  • 20 फरवरी को अनुज शर्मा का स्टार नाईट कार्यक्रम होगा.
  • कार्यक्रम के अंतिम दिन यानी 21 फरवरी को सुनील मानिकपुरी और भूपेन्द्र साहू के रंग सरोवर का कार्यक्रम होगा.

मुख्य मंच पर प्रतिदिन शाम 6 से 10 बजे तक छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक और लोक परंपराओं पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे. इसमें नाचा, पंडवानी, रामधुनी, सुआ नृत्य, भोजली, डंडा नृत्य, राउत नाचा, गेड़ी आकर्षण के केन्द्र होंगे. साथ ही इस बार छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलकूद भी आकर्षण के केन्द्र होंगे. भौंरा, बाटी, बिल्लस, फुगड़ी, तिरी-पासा, लंगड़ी, गोंटा, पित्तुल, फल्ली और नून जैसे खेलों की खनक गुजेंगी.

बता दें कि 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था. जिसके बाद 2005 में इसे राजिम अर्ध्य कुंभ नाम दिया गया. वहीं पिछले साल 2019 से इसे राजिम पुन्नी मेला महोत्सव नाम से मनाया जा रहा है.

पढ़े: 'राजिम पुन्नी मेले' में गाया गया राजकीय गीत 'अरपा पैरी के धार'

राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है. तीन नदियां महानदी, पैरी नदी और सोंढुर नदी का संगम स्थल है. संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है.

Intro:रायपुर/गरियाबंद: राजिम मेले के दूसरे दिन शाम 6 बजे से 7 बजे तक सेवक राम यादव द्वारा लोक मंच, रात्रि 7 बजे से 8 बजे रितु वर्मा द्वारा पंडवानी, रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक ममता चन्द्राकार द्वारा चिन्हारी की मनमोहक प्रस्तुति। तीसरे दिन 11 फरवरी को गोरेलाल बर्मन का लोक श्रृंगार, 12 को लोकगायिका कुमारी आरू साहू व भिलाई के दुष्यंत हरमुख के रंगझरोखा, 13 को बिलासपुर के अंचल शर्मा, ननकी ठाकुर के पुन्नी के चंदा, 14 को छाया चन्द्राकार का लोकछाया, 15 को जाकिर हुसैन का लोक संध्या व लोकरंग अर्जुन्दा के दीपक चन्द्राकार, 16 को लोकगायिका रमादत्त जोशी बहन व कविता वासनिक अनुराग धारा, 17 को सुनील तिवारी का रंगझाझर, 18 को सुनील सोनी नाईट, 19 को अल्का चन्द्राकार की फुलवारी, 20 को अनुज शर्मा स्टार नाईट एवं कार्यक्रम के अंतिम दिन 21 फरवरी को सुनील मानिकपुरी एवं भूपेन्द्र साहू के रंग सरोवर का कार्यक्रम होगा।Body: मेला महाशिवरात्रि 21 फरवरी तक चलेगा. नदी पर रेत की अस्थायी सड़कों का निर्माण, स्नान के लिए कुण्ड बनाया गया है। पेयजल, अस्थायी शौचालय, स्वास्थ्य सुविधाएं, 50 दाल-भात सेंटरों की व्यवस्था भी की गई है। खासकर मेला क्षेत्र में कपड़ा एवं कागज के थैलों का ही उपयोग किया जा रहा है. Conclusion:मुख्य मंच पर प्रतिदिन शाम 6 से 10 बजे तक छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक एवं लोक परंपराओं पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें नाचा, पंडवानी, रामधुनी, सुआ नृत्य, भोजली, डंडा नृत्य, राउत नाचा, गेड़ी आकर्षण के केन्द्र होंगे। साथ ही इस बार छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलकूद भी आकर्षण के केन्द्र होंगे। भौंरा, बाटी, बिल्लस, फुगड़ी, तिरी-पासा, लंगड़ी, गोंटा, पित्तुल, फल्ली और नून जैसे खेलों की खनक गुजेंगी.

2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था, 2005 में इसे राजिम अर्ध्य कुंभ नाम दिया गया। पिछले साल 2019 से राजिम पुन्न्ी मेला महोत्सव नाम से मनाया जा रहा है।



राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। तीन नदियां महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम स्थल है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.