रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी एक गरीब परिवार बमुश्किल छोटा-मोटा काम कर जैसे-तैसे अपने और अपने बच्चों के लिए 2 जून की रोटी का जुगाड़ करते थे, लेकिन नियति की मार उनपर ऐसी पड़ी कि इस परिवार को भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन परिवार की किस्मत बदली और भीख मांगने की जगह आत्मनिर्भर बन गया. अब यह परिवार किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता है, बल्कि गर्व से अपने मेहनत की कमाता है.
दरअसल, रायपुर के WRS कॉलोनी के पास स्थित एक बस्ती में बालमती कुम्हार रहती है. बालमति इस बस्ती में किराये की एक झोपड़ी में अपने पति रूपधर और दो बच्चे टीना और विवेक के साथ रहती है. बालमती के पति रूपधर कुछ महीना पहले तक रिक्शा चलाता था. साथ ही अपने परिवार का भरण पोषण करता था. वहीं बालमती भी एक निजी अस्पताल में झाड़ू पोछा का काम करती थी. इन दोनों की कमाई से इनका परिवार हंसी-खुशी चल रहा था, लेकिन नियति की मार ने इनके परिवार को बीमार कर दिया.
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2 जून की रोटी के लिए हो रहे थे लालायित
परिवार ने बताया कि कुछ महीने पहले एक सड़क हादसे में रूपधर का हाथ और पैर फैक्चर हो गया, जिसके बाद से वह रिक्शा चलाने की स्थिति में नहीं है. वहीं लॉकडाउन के बीच बालमती का स्वास्थ्य खराब हो गया. गिरने के कारण उसके पैर में भी चोट आ गई, जिस वजह से वह झाड़ू पोछा का काम नहीं कर पा रही थी. उसे अस्पताल का काम छोड़ना पड़ा. इसके बाद इस परिवार को 2 जून की रोटी नसीब होना भी मुश्किल हो गया.
नरेंद्र नाम के युवक ने दान में दी वेट मशीन
ऐसे में बालमती ने मजबूरी में सड़क के किनारे अपनी बेटी के साथ बैठकर भीख मांगना शुरू कर दिया, लेकिन उतनी भीख भी नसीब नहीं हो रही थी, जिससे बालमती का परिवार भरपेट खाना खा सके. ऐसे में यह परिवार काफी बुरी स्थिति से गुजर रहा था. तभी एक युवक की नजर इन मां बेटी की दयनीय दशा पर पड़ी. उसने इन्हें आत्मनिर्भर बनाने का विचार किया. नरेंद्र ने भीख मांग कर परिवार पालने वाली इस महिला और उसकी बेटी को वेट मशीन दान में दी और एक बैनर लगा दिया. अब सुबह और शाम के टहलने आने वाले लोग इस वेट मशीन पर अपना वजन करते हैं पैसे देते हैं, जिससे अब इन्हें भीख नहीं मांगना पड़ता है.
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वजन करने पहुंचे लोगों ने महिला की सराहना की
वजन करने पहुंचे लोगों कहना है कि यदि इसी तरह से भीख मांगने वाले लोग कुछ न कुछ काम करने लगे, तो इससे उनके परिवार का भरण पोषण भी हो जाएगा. वह समाज में आत्मसम्मान के साथ जी भी सकेंगे. उन्होंने महिला के काम की सरहाना भी की.
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परिवार को मिला राशन कार्ड
जब इस परिवार की इस हालत को लेकर ETV भारत की टीम ने कांग्रेस के स्थानीय नेता सुमन चटर्जी से बात की, तो उन्होंने कहा कि हाल ही में इस परिवार के लोगों ने उनसे चावल की मदद मांगी है, उसे मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही इस परिवार का राशन कार्ड बनाने के लिए भी बालमती से कुछ दस्तावेज मांगे हैं. दस्तावेज मिलते ही जल्द से जल्द उन्हें राशन कार्ड बनाकर दे दिया जाएगा. इसके बाद उन्हें राशन कार्ड पर हर महीने निर्धारित मात्रा में अनाज मिलेगा. इस परिवार के सामने भोजन की समस्या नहीं रहेगी.
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