रायपुर: लोगों को नई जिंदगी देने के लिए स्मार्ट सिटी रायपुर में ऑर्गेन डोनेशन और ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर डेवलप किया जाएगा. इसके लिए केंद्र की आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर आईआईएससी बंगलुरु एक मंच तैयार कर रहा है. ग्रीन कॉरिडोर सिस्टम आपात स्थिति में किसी जान बचाने के लिए या फिर दुर्घटना के वक्त काम आता है. रायपुर नगर निगम से जु़ड़े अफसरों का कहना है कि हर एंबुलेंस में जीपीएस सिस्टम लगाया है गया है. जीपीएस सिस्टम आईटीएमएस से जुड़ा रहेगा. जैसे ही एंबुलेंस ट्रैफिक सिग्नल के 200 मीटर के दायरे में पहुंचेगा वैसे ही ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन हो जाएगी. जीपीएस की मदद से एंबुलेंस की स्पीड और वो कहा हैं उसपर भी नजर रखी जा सकेगी. नए सिस्टम की मदद से मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा और उसका इलाज शुरु हो जाएगा.
क्या है ग्रीन कॉरिडोर परियोजना?: ग्रीन कॉरिडोर सिस्टम मरीज की जिंदगी बचाने और ट्रांसप्लांट में तेजी लाने का एक अचूक तरीका है. ग्रीन कॉरिडोर परियोजना में मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए रास्ता चुना जाता है. जो रास्ता चुना जाता है उसमें ट्रैफिक का फ्लो कैसा है कितना है और कैसे उसे क्लियर करना है ये तय किया जाता है. जीपीएस सिस्टम के जरिए मरीज की गाड़ी की लोकेशन मॉनिटरिंग की जाती है. जैसे ही एंबुलेंस ट्रैफिक सिग्नल के दायरे में पहुंचने वाला होता है ट्रैफिक सिग्नल को ग्रीन कर दिया जाता है.
निजी अस्पतालों में भी लागू होगा: पहले चरण में इस सिस्टम को सरकारी अस्पतालों में शुरु किया जाएगा. दूसरे चरण में ग्रीन कॉरिडोर सिस्टम को निजी अस्पतालों में भी लागू किया जाएगा. योजना के तहत सभी एंबुलेंस में ऑपरेटर मौजूद रहेंगे. मेडिकल टीम की कोशिश होगी कि वो मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचा सके.