रायपुर : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से इको फ्रेंडली होलिका दहन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. पिछले साल की तरह इस साल भी 'एक पहल सेवा समिति' के सहयोग से शहरवासियों को इको फ्रेडली होलिका दहन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस काम को करने का उद्देश्य वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना है.
इको फ्रेंडली होलिका दहन हमारे वातावरण के लिए काफी लाभदायक है. एक पहल सेवा समिति के उपाध्यक्ष रितेश अग्रवाल बताते हैं कि, 'गाय के गोबर से तैयार किए गए कंडे और लकड़ी दोनों 2 से 3 घंटे में जलकर राख हो जाते हैं. साथ ही इन लकड़ी व कंडों से निकली राख कई मायनों में वातावरण के लिए लाभकारी है. उन्होंने पिछले होली दहन की जानकारी देते हुए बताया कि रायपुर में पिछले साल हजारों की संख्या में इको फ्रेंडली होलिकाएं जली थीं, लेकिन इस साल भी यही प्रयास किया जा रहा है कि अधिक से अधिक होलिकाएं इको फेंडली ही जलें.
'इको फ्रेंडली होलिका दहन से बचेंगे पेड़'
समिति के अध्यक्ष राजकुमार साहू बताते हैं कि, 'इको फ्रेंडली होलिका दहन न केवल वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में लाभदायक है, बल्कि पेड़ों की कटाई की दृष्टि से भी बेहद खास है. इको फ्रेंडली होलिका का जितनी अधिक संख्या में शहरवासी उपयोग करेंगे, उतने ही पेड़ों को कटने से बचाया जा सकेगा. क्योंकि होली के मौके पर लगभग सभी मोहल्लों में होलिका दहन किया जाता है. इसमें हजारों टन लकड़ियां जलती हैं. लकड़ियों से निकलने वाला धुआं भी पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है.
'होलिका से निकली राख भी उपयोगी'
उन्होंने कहा कि इको फ्रेंडली होलिका से निकली राख भी उपयोगी होती है. एक तो घर के गमलों में लगे पौधों में फर्टिलाइजर के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है. वहीं नदी में डालने से पानी भी साफ होता है और जहां-जहां से यह राख पानी के साथ बहती जाती है, वहां के पौधों के लिए भी फर्टिलाइजर का काम करती. सड़क सुरक्षा की दृष्टि से भी यह बेहद खास है. होलिका दहन के बाद निकली राख से होली भी खेली जा सकती है.