रायपुर : हादसे किसी भी इंसान की जिंदगी बदल देते हैं. चोट की वजह से कई अंगों को नुकसान पहुंचता है.खासकर हाथ और पैरों में.ऐसे में अंगों को दोबारा काम करने के लिए फिजियोथेरेपी की जरुरत पड़ती है. फिजियोथेरेपी की मदद से बिना ऑपरेशन के ही अंगों को सही किया जा सकता है. फिजियोथेरेपी देने के बाद शरीर के उन अंगों में मूवमेंट दोबारा शुरु हो जाती है.
इसके साथ ही शरीर के कई हिस्से जिनमें पैरालिसिस का असर हो उन्हें फिजियोथेरेपी की मदद से एक्टिव किया जाता है. फिजियोथेरेपी के माध्यम से न्यूरो, ऑर्थो, कार्डियो, गायनिक और पीडियाट्रिक्स से जुड़े केस भी सही किए जाते हैं. इसके साथ ही बुजुर्गों को होने वाली हड्डी संबंधी परेशानियों को भी दूर किया जाता है.
''पैरालिसिस के केसेस में पेशेंट को इलेक्ट्रिक से संबंधित थेरेपी दी जाती है.ऐसे बॉडी पार्ट में थेरेपी के माध्यम से अंगों को मूवमेंट कराया जाता है. जिससे पेशेंट का मूवमेंट शुरू होने के बाद पेशेंट अपनी बॉडी को बैलेंस करना सीख जाता है. ऑपरेशन के केसेस में बॉडी के ज्वाइंट वाली जगह हार्ड होने के साथ मूवमेंट नहीं हो पाता और ज्वाइंट पेन भी रहता है. शुरुआती दिनों में जॉइंट वाली जगहों पर स्वेलिंग के साथ काफी दर्द रहता है. जो फिजियोथेरेपी के माध्यम से एक निश्चित समय पर ठीक किया जा सकता है." डॉक्टर संदीप कश्यप, फिजियोथेरेपिस्ट
हर केस के लिए अलग थेरेपी : अलग-अलग तरह के केस में अलग तरह की फिजियोथेरेपी दी जाती है. न्यूरो के केस में काफी तरह की बीमारियां होती है. जिसमें स्ट्रोक या फिर पैरालिसिस इसके साथ ही स्पाइरल नर्व से संबंधित बीमारी होती है. वहीं मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जो खासतौर पर बच्चों में होती है. बुढ़ापे में होने वाली बीमारी पार्किंसन कहलाता है, जो मूवमेंट डिसऑर्डर होता है. पैरालिसिस के केस में मूवमेंट डिस्फंक्शन हो जाता है. जो न्यूरो से संबंधित बीमारी कहलाती हैं. व्यक्ति की डेली लाइफ की एक्टिविटी नहीं हो पाती.
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क्या होती है फिजियोथेरेपी : फिजियोथेरेपी एक चिकित्सा उपचार है. जो चोट की रोकथाम, रिकवरी, फिटनेस के लिए समाधान है. फिजियो ज्यादातर अंगों की गतिविधियों पर केंद्रित होता है . किसी अंग को विकलांगता की अवस्था से कैसे निकाला जाए या किसी कम काम कर रहे अंग को किस तरह से दुरुस्त किया जाए. फिजियोथेरेपी से रोगियों के अंगों को अधिकतम शक्ति देने में मदद की जाती है.
किन बीमारियों फिजियोथेरेपी से होता है इलाज :
- किसी तरह का चोट और शारीरिक अक्षमता से सुरक्षा करना.
- चोट और पुरानी बीमारी को ठीक करना.
- शारीरिक गतिविधि में सुधार लाना.
- चोट के बारे जागरूक करना.
- तीव्र और दर्द से बचाव करना.
- जोड़ों में अकड़न और मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करना
- फंक्शनल टेस्टिंग की सहायता से मरीज का आंकलन किया जाता है।