रायपुर: बारिश का मौसम खुशनुमा तो होता है ही लेकिन इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां भी लेकर आता है. बरसात का मौसम आते ही हर जगह बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं. पानी और नमी में बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. जिससे बारिश में वायरल और फंगल समेत स्किन इंफेक्शन का खतरा बढ़ा जाता है.
बारिश में फंगल इन्फेक्शन का खतरा: स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ भरत सिंघानिया का कहना है कि स्किन की प्रॉब्लम, जो बरसात के दिनों में सबसे ज्यादा होती है. उसमें खासकर फंगल इन्फेक्शन, त्वचा की बीमारी है. पसीना आने के कारण शरीर में लाल लाल चक्ते जैसे बन जाते हैं. जिसे फंगल इन्फेक्शन या दाद कहा जाता है. इसमें खुजली काफी ज्यादा होती है. यदि दवा नहीं लिया जाए, तो इसका साइज बढ़ता जाता है. जिससे पेशेंट डिप्रेशन में भी जा सकता है. इसके इलाज के लिए एंटी फंगल मेडिसिन दी जाती है. जिसे रेगुलर लेने पर यह बीमारी 1 से 2 महीने में पूरी तरह ठीक हो जाती है. इसमें काफी सावधानियां भी बरतनी पड़ती है.
बारिश में त्वचा संबंधी समस्या की वजह: बारिश के मौसम में नमी बढ़ जाती है. स्किन को इससे काफी प्रभाव पड़ता है. इस मौसम में काफी ज्यादा उमस होती है. त्वचा में नमी बने रहने के कारण खुजली, जलन जैसी समस्या होती है. इसके साथ ही बारिश के मौसम में एयरबोर्न एलर्जी जैसे पोलन, फफूंद बीजाणु के संपर्क में आने से त्वचा में खुजली लालिमा या दूसरी एलर्जी जैसी समस्या हो सकती. बारिश के पानी में जलन पैदा करने वाले तत्व भी होते हैं. जिसके संपर्क में आने से स्किन में केमिकल इन्फेक्शन होता है. बरसात के मौसम में बैक्टीरिया तेजी से विकसित होते हैं. इस वजह से बैक्टीरिया कई बीमारियों का मुख्य कारण होता है.
मानसून में हो सकती है त्वचा संबंधी यह बीमारियां:
- यीस्ट इंफेक्शन,
- दाद,
- फफूंद जन्य बीमारी (फंगल इन्फेक्शन)
- लोम,
- खुजली,
- दाग धब्बे
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बारिश में बीमारियों से बचाव के उपाय:
- स्किन और शरीर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें.
- घरों के अंदर पौधे ना रखें, क्योंकि इनसे कीटाणु बढ़ते हैं. आपको तरह तरह की एलर्जी हो सकती है.
- नहाते वक्त त्वचा को साफ करने के लिए माइल्ड क्लींजर का इस्तेमाल करें.
- सामान्य पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए करें.
- अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचें.
- केमिकल प्रोडक्ट से दूरी बनाकर रखें.
- सिंथेटिक कपड़ों से परहेज करें.
- हर्बल फेस वॉश का इस्तेमाल करें.
- पत्तेदार सब्जियां, उड़द की दाल के प्रयोग से बचें.
- अपना तौलिया एक दो दिनों में या लगातार साफ करते रहें.