रायपुर: जिस व्यक्ति की राशि में चंद्रमा है, उस राशि पर से यदि शनि गुजरता है. तो माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती उस व्यक्ति पर है. शनि जिस घर में होता है, उसकी अगली और पिछली राशि को भी वह प्रभावित करता है. इसलिए माना जाता है कि उन राशियों में भी साढ़ेसाती चल रही है. चंद्र राशि से पिछले घर में अगर शनि हो तो शनि का साढ़ेसाती का आखिरी चरण जिस राशि में चंद्रमा है. वही दूसरा चरण और उसके अगले घर में शनि का पहला चरण माना जाता है. इसका समय साढ़े सात साल का माना जाता है.
शनि के साढ़ेसाती का प्रभाव: यह जरूरी नहीं कि शनि की साढ़ेसाती हर एक जातक के लिए खराब हो. तुला, वृषभ, मकर और कुंभ लग्न के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती अपनी स्थिति के अनुसार, जिस घर में वह स्थित है, राजयोग देती है. कई जातक शनि की साढ़ेसाती की अवस्था में ही प्रधानमंत्री का पद प्राप्त करते हुए देखे गए हैं. साढ़ेसाती इन लग्न के जातकों को राजयोग देती है. शेष राशि के लिए राजयोग नहीं देती, लेकिन तनाव अधिक देती है. बहुत कष्ट होता है. शनि की साढ़ेसाती कई बार तो व्यक्ति को पूरी तरह तोड़कर रख देती है.
"साढ़ेसाती में यह भी देखा जाना है कि जिस राशि में शनि का गोचर हो रहा है, उस राशि में अलग अलग अष्टक वर्ग में शनि के कितने बिंदु हैं. यदि शून्य बिंदु है, तो भले ही वह तुला राशि क्यों ना हो, जो कि शनि की उच्च राशि है. उसे भी शनि की त्रिकोण राशि में भी बहुत कठिनाई हो सकती है. यदि अष्टक वर्ग में शनि के 4 या 5 बिंदु हैं, तो मेष या वृश्चिक राशि में भी शनि की साढ़ेसाती बहुत लाभदायक होती है." - डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष एवं वास्तुविद
साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय: शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने के लिए श्रीमद् भागवत का पाठ, शिव पुराण, विष्णु पुराण, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, पीपल पेड़ में तिल्ली तेल का दीया हर शनिवार को जलाना चाहिए. इसके साथ ही काल भैरव की उपासना, धूमावती की उपासना, कृष्ण की उपासना, शिव की उपासना, विष्णु की उपासना और भगवान शंकर की उपासना करनी चाहिए.