रायपुर: पुरुषोत्तमी एकादशी का बेहद खास होता है. इसे परिवर्तनीय एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सुबह स्नान ध्यान योग आदि से निवृत्त होने के बाद श्रीहरि विष्णु का स्मरण कर दिन का प्रारंभ करना चाहिए. दिव्य स्नान के बाद लाल पीले अथवा सनातनी वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु जी को लाल पीले अथवा केसरिया रंग के वस्त्र में श्रद्धा भाव से विभिन्न मंत्रों के साथ प्रतिस्थापित कर श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है.
पुरुषोत्तमी एकादशी पर इन मंत्रों का करें जाप: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "श्रीहरि विष्णु को गंगाजल संगम के जल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है. गोपी चंदन, अष्ट चंदन, मलयाचल चंदन, रक्त चंदन आदि चंदनों के द्वारा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. सनातन परंपरा में आज के दिन विष्णु भगवान के समक्ष बैठकर श्रीराम रक्षा स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा, आदित्य हृदय स्त्रोत विष्णु जी की कथा लक्ष्मी नारायण भगवान की कथा सुनने और जपने का विधान है.
पुरुषोत्तमी एकादशी व्रत से मिलती है विशेष कृपा: आज के दिन श्री नारायण के नाम से विष्णु सहस्रनाम द्वारा यज्ञ भी किया जाता है. यह कार्य पूरी श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए. पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत करने पर साधक की सभी समस्याएं दूर होती है. श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आज के दिन किया गया व्रत निर्जला, निराहार अथवा फलाहारी रूप में अपने शरीर धर्म को देखते हुए किया जाना चाहिए.
पुरुषोत्तमी एकादशी के दिन इन चीजों से रहें दूर:
- एकादशी के पूरे दिन सात्विकता के साथ बिताना चाहिए.
- इस दिन वाद-विवाद, कोर्ट कचहरी, झगड़े आदि से दूर रहना चाहिए.
- पूरे दिन श्रीहरि विष्णु को स्मरण कर मंत्रों का जाप करें.
- श्रीहरि विष्णु को मोदक, पीले बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, ऋतु फल आदि का भोग लगाएं.
- श्रीहरि विष्णु भगवान की आरती गाने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती है.
- आज के दिन विष्णु जी की आराधना पूरी श्रद्धा और भक्ति से करनी चाहिए.