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Fake Caste Certificate In Chhattisgrah: एनएसयूआई ने कुल सचिव से की फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों को बर्खास्त करने की मांग

Fake Caste Certificate In Chhattisgrah फेक जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ एनएसयूआई ने कुल सचिव को ज्ञापन सौंपा है. साथ ही कार्रवाई न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

against getting job on the basis of fake caste certificate
फेक जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के खिलाफ
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Published : Jul 20, 2023, 6:50 PM IST

रायपुर: पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में फेक जाति प्रमाण पत्र का मामला गरमाया हुआ है. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के दम पर नौकरी कर रहे प्रोफेसर और कर्मचारियों की बर्खास्तगी की मांग एनएसयूआई की ओर से की जा रही है. एनएसयूआई ने गुरुवार को विश्विद्यालय के कुलसचिव शैलेंद्र पटेल को इसे लेकर ज्ञापन सौंपा है. विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की ओर से जानकारी दी गई कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे प्रोफ़ेसर और कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो फेम जाति प्रमाणपत्र के दम पर नौकरी कर रहे हैं.

15 सालों से नहीं हुई कोई कार्रवाई: एनएसयूआई के छात्र नेताओं की मानें तो साल 2007 और 2008 में ऐसे प्रोफेसरों और कर्मचारियों पर जांच के आदेश भी जारी किए थे. हालांकि 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन पर किसी तरह की कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई.एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों पर 15 वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. कार्रवाई न होने से कर्मचारियों का प्रमोशन हो गया है, कई कर्मचारी अधिकारी बन गए हैं.

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एनएसयूआई का आरोप: एनएसयूआई का आरोप है कि इन 15 सालों में कई हजार पन्नों की फाइलें भी तैयार हो चुकी है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की लचर व्यवस्था और अपनी शक्तियों का उपयोग ना करने के कारण दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. विश्वविद्यालय की ओर से कई कर्मचारियों से सक्षम अधिकारी से जारी प्रमाण पत्र दिखानेके बाद भर्ती कर ली गई है.

एनएसयूआई की चेतावनी: एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को चेतावनी दी है कि 5 दिनों के अंदर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आने वाले दिनों में एनएसयूआई आंदोलन करेगी.बता दें कि ज्ञापन सौंपने के दौरान एनएसयूआई के प्रदेश सचिव महताब हुसैन, जिला उपाध्यक्ष वैभव मुजेवार, विश्विद्यालय के उपाध्यक्ष आलोक सिंह सहित एनएसयूआई के अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे.

रायपुर: पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में फेक जाति प्रमाण पत्र का मामला गरमाया हुआ है. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के दम पर नौकरी कर रहे प्रोफेसर और कर्मचारियों की बर्खास्तगी की मांग एनएसयूआई की ओर से की जा रही है. एनएसयूआई ने गुरुवार को विश्विद्यालय के कुलसचिव शैलेंद्र पटेल को इसे लेकर ज्ञापन सौंपा है. विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की ओर से जानकारी दी गई कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे प्रोफ़ेसर और कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो फेम जाति प्रमाणपत्र के दम पर नौकरी कर रहे हैं.

15 सालों से नहीं हुई कोई कार्रवाई: एनएसयूआई के छात्र नेताओं की मानें तो साल 2007 और 2008 में ऐसे प्रोफेसरों और कर्मचारियों पर जांच के आदेश भी जारी किए थे. हालांकि 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन पर किसी तरह की कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई.एनएसयूआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों पर 15 वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. कार्रवाई न होने से कर्मचारियों का प्रमोशन हो गया है, कई कर्मचारी अधिकारी बन गए हैं.

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एनएसयूआई का आरोप: एनएसयूआई का आरोप है कि इन 15 सालों में कई हजार पन्नों की फाइलें भी तैयार हो चुकी है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की लचर व्यवस्था और अपनी शक्तियों का उपयोग ना करने के कारण दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. विश्वविद्यालय की ओर से कई कर्मचारियों से सक्षम अधिकारी से जारी प्रमाण पत्र दिखानेके बाद भर्ती कर ली गई है.

एनएसयूआई की चेतावनी: एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को चेतावनी दी है कि 5 दिनों के अंदर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आने वाले दिनों में एनएसयूआई आंदोलन करेगी.बता दें कि ज्ञापन सौंपने के दौरान एनएसयूआई के प्रदेश सचिव महताब हुसैन, जिला उपाध्यक्ष वैभव मुजेवार, विश्विद्यालय के उपाध्यक्ष आलोक सिंह सहित एनएसयूआई के अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे.

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