रायपुर: छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ को प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी है. महासंघ का कहना है कि "कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के साथ ही तीन दिवसीय प्रदर्शन का आयोजन होना था, लेकिन प्रदेश की सरकार ने आंदोलन को कुचलने की रणनीति बनाकर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी." इससे अनियमित कर्मचारी महासंघ में नाराजगी और आक्रोश भी देखने को मिल रहा है.
बूढ़ातालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन की मांगी थी अनुमति: छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रवि गढ़पाले का कहना है कि "24 से 26 फरवरी तक तीन दिवसीय कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन होना है. इसी के साथ ही हम अपनी मांगों को लेकर 3 दिनों तक राजधानी के बूढ़ातालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन की अनुमति प्रशासन से मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी." प्रदेश की भूपेश सरकार को तानाशाह बताते हुए कहा कि "जब जब हम बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में रहते हैं, प्रदेश सरकार हमारे आंदोलन को कुचलने की तैयारी में रहती है. साल 2021 से लेकर साल 2023 तक जब भी बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई गई प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी है."
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सत्ता पक्ष के लिए अलग हो जाते हैं नियम कानून: छत्तीसगढ़ संयुक्त नियमित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रवि गढ़पाले का कहना है कि "जब प्रदेश की सरकार प्रदर्शन करती है, तो उनके लिए किसी तरह की कोई कायदे कानून या नियम लागू नहीं होते. वहीं जब हम इस तरह का कोई बड़ा प्रदर्शन करने वाले होते हैं, तो हमारे ऊपर नियम कानून और दिशा निर्देश जारी कर दिया जाता है." उन्होंने आगे कहा कि "कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा को दिल्ली के एयरपोर्ट से असम पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिसके कारण कांग्रेस की सरकार बौखलाहट में आ गई हैं."
ये है महासंघ की प्रमुख मांगें:
समस्त अनियमित कर्मचारी अधिकारियों को नियमित किया जाय.
पिछले कुछ सालों में निकाले गए और छटनी किए गए अनियमित कर्मचारियों को पुनः बहाल करने के साथ छटनी पर रोक लगाई जाए.
शासकीय सेवाओं में आउटसोर्सिंग ठेका प्रथा को पूर्णता समाप्त कर कर्मचारियों को समायोजित किया जाए.
अंशकालिक कर्मचारियों को पूर्णकालिक किया जाए.