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होलिका दहन में जलाया जाता है क्रोध, लोभ, पाप... असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है होली

होलिका दहन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग विशकुंभकरण और सिंह राशि की चंद्रमा में किया जाएगा. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Holika Dahan
होलिका दहन
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Published : Mar 16, 2022, 6:53 PM IST

रायपुर: गुरुवार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग विशकुंभकरण और सिंह राशि की चंद्रमा में बृहस्पतिवार के दिन 17 मार्च को होलिका दहन का पावन कार्यक्रम मनाया (Raipur Holi special) जाएगा. होलिका दहन प्रेम उल्लास खुशी मैत्रीय और आनंद का पर्व आज के शुभ दिन सभी अपने द्वेष मतभेद भूलकर एक दूसरे से मिलते हैं. प्रेम को विस्तारित करते हैं.यहां मिलने मिलाने मित्रता और परिवार के बीच रहने का त्यौहार है होलिका दहन वास्तव में अपने मन की इच्छा लोभ काम क्रोध को जलाने का त्यौहार है. आज के दिन अपने अंदर की सारी नकारात्मकता भय चिंता और दूसरों को अग्नि में दग्ध करने का शुभ दिन है. सारी बुराइयां समस्त दोष अग्नि को समर्पित करने का त्योहार है. यह असत्य पर सत्य की जीत अधर्म पर धर्म की जीत और अनीति पर नीति की जीत का पर्व है.

पंडित विनित शर्मा

अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व

प्राचीन काल में भक्त प्रहलाद ने लगातार विष्णु भगवान की उपासना की. इससे उसके पिता हिरण्यकश्यप को बहुत तकलीफ और वेदना होती थी. हिरण्यकश्यप अहंकारी धूर्त और दंभी राजा था. वह अपने आप को ही भगवान घोषित कर देता है. उसका पुत्र सच्चे विष्णु भगवान का निष्ठावान भक्त रहता है. कालांतर में हिरण्यकश्यप अपने अहंकार में डूब कर अपने बेटे प्रहलाद पर अनेक अत्याचार करता था. एक समय में होलिका जिसे अग्नि में नहीं जलने का आशीर्वाद प्राप्त था. वह अपने भतीजे और नारायण के भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है. परंतु ईश्वर का न्याय नारायण की कृपा और माधव के आशीर्वाद से सत्य धर्म भक्ति और महान कर्म योग की जीत होती है. भक्त प्रल्हाद धधकती हुई ज्वाला के लौ से पूरी तरह लक्ष्मी नारायण की कृपा से सुरक्षित बाहर निकल जाता है. होलिका का संपूर्ण दहन हो जाता है. तब से लेकर यह पर्व अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है.

गोबर से बने हुए गुलाल से होली

आज के दिन एक दूसरे को औषधीय गुणों से युक्त पदार्थों को लगाने का त्यौहार है. जैसे परिमल गोबर से बने हुए गुलाल आदि एक दूसरे को प्रेम भाव से लगाए जाते हैं. होलिका दहन वास्तव में ऋतु परिवर्तन नवीन फसल का आगमन की खुशी का पर्व है. यह यज्ञ का ही एक रूप है. इसमें लकड़ियों को घी आदि की पर्याप्त मात्रा से जलाना चाहिए. गोबर के कंडे जड़ी-बूटियां वनस्पतियां तिलहन धान आदि पदार्थों के माध्यम से होलिका का दहन होना चाहिए. होलिका के में आम पीपल गूलर बरगद आदि दिव्य औषधि गुणों से युक्त लकड़ियों का यह समिधा का उपयोग किया जाना चाहिए. शुद्ध घी को डालने से ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है. वास्तव में यह एक वैज्ञानिक त्यौहार है.

यह भी पढ़ें: रायपुर पुलिस की होली गाइड लाइन : 80 चेक प्वाइंट से होगी निगरानी-नहीं बिकेंगे मुखौटे, जानिये कैसी होगी सख्ती

ये है शुभ समय

होलिका दहन में असामाजिक तत्वों से दूर रहना चाहिए. वास्तव में यह प्रेम संबंधों के नवीनीकरण पुराने मित्रों से मुलाकात और पुराने रिश्तों को नया स्वरूप देने का त्यौहार है. आज के दिन सारी गलतियां दोस्त और कमियों को भूलकर रिश्तो और संबंधों को निभाया जाना चाहिए. आज के दिन गोबर के गुलाल के माध्यम से एक दूसरे को तिलक लगाया जाता है. अग्नि के भस्म होने के पश्चात बची हुई. राख को तिलक के रूप में उपयोग में लाया जाना चाहिए. आज के दिन दोपहर में 1:29 से रात्रि 1:09 तक भद्रा का काल रहेगा. रात्रि 1:09 के बाद होलिका दहन करना सर्वोत्तम रहेगा. गोधूलि बेला शाम के समय सिंह लग्न में 5:56 के आसपास भी होलिका दहन करना शुभ रहेगा.

रायपुर: गुरुवार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग विशकुंभकरण और सिंह राशि की चंद्रमा में बृहस्पतिवार के दिन 17 मार्च को होलिका दहन का पावन कार्यक्रम मनाया (Raipur Holi special) जाएगा. होलिका दहन प्रेम उल्लास खुशी मैत्रीय और आनंद का पर्व आज के शुभ दिन सभी अपने द्वेष मतभेद भूलकर एक दूसरे से मिलते हैं. प्रेम को विस्तारित करते हैं.यहां मिलने मिलाने मित्रता और परिवार के बीच रहने का त्यौहार है होलिका दहन वास्तव में अपने मन की इच्छा लोभ काम क्रोध को जलाने का त्यौहार है. आज के दिन अपने अंदर की सारी नकारात्मकता भय चिंता और दूसरों को अग्नि में दग्ध करने का शुभ दिन है. सारी बुराइयां समस्त दोष अग्नि को समर्पित करने का त्योहार है. यह असत्य पर सत्य की जीत अधर्म पर धर्म की जीत और अनीति पर नीति की जीत का पर्व है.

पंडित विनित शर्मा

अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व

प्राचीन काल में भक्त प्रहलाद ने लगातार विष्णु भगवान की उपासना की. इससे उसके पिता हिरण्यकश्यप को बहुत तकलीफ और वेदना होती थी. हिरण्यकश्यप अहंकारी धूर्त और दंभी राजा था. वह अपने आप को ही भगवान घोषित कर देता है. उसका पुत्र सच्चे विष्णु भगवान का निष्ठावान भक्त रहता है. कालांतर में हिरण्यकश्यप अपने अहंकार में डूब कर अपने बेटे प्रहलाद पर अनेक अत्याचार करता था. एक समय में होलिका जिसे अग्नि में नहीं जलने का आशीर्वाद प्राप्त था. वह अपने भतीजे और नारायण के भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है. परंतु ईश्वर का न्याय नारायण की कृपा और माधव के आशीर्वाद से सत्य धर्म भक्ति और महान कर्म योग की जीत होती है. भक्त प्रल्हाद धधकती हुई ज्वाला के लौ से पूरी तरह लक्ष्मी नारायण की कृपा से सुरक्षित बाहर निकल जाता है. होलिका का संपूर्ण दहन हो जाता है. तब से लेकर यह पर्व अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है.

गोबर से बने हुए गुलाल से होली

आज के दिन एक दूसरे को औषधीय गुणों से युक्त पदार्थों को लगाने का त्यौहार है. जैसे परिमल गोबर से बने हुए गुलाल आदि एक दूसरे को प्रेम भाव से लगाए जाते हैं. होलिका दहन वास्तव में ऋतु परिवर्तन नवीन फसल का आगमन की खुशी का पर्व है. यह यज्ञ का ही एक रूप है. इसमें लकड़ियों को घी आदि की पर्याप्त मात्रा से जलाना चाहिए. गोबर के कंडे जड़ी-बूटियां वनस्पतियां तिलहन धान आदि पदार्थों के माध्यम से होलिका का दहन होना चाहिए. होलिका के में आम पीपल गूलर बरगद आदि दिव्य औषधि गुणों से युक्त लकड़ियों का यह समिधा का उपयोग किया जाना चाहिए. शुद्ध घी को डालने से ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है. वास्तव में यह एक वैज्ञानिक त्यौहार है.

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ये है शुभ समय

होलिका दहन में असामाजिक तत्वों से दूर रहना चाहिए. वास्तव में यह प्रेम संबंधों के नवीनीकरण पुराने मित्रों से मुलाकात और पुराने रिश्तों को नया स्वरूप देने का त्यौहार है. आज के दिन सारी गलतियां दोस्त और कमियों को भूलकर रिश्तो और संबंधों को निभाया जाना चाहिए. आज के दिन गोबर के गुलाल के माध्यम से एक दूसरे को तिलक लगाया जाता है. अग्नि के भस्म होने के पश्चात बची हुई. राख को तिलक के रूप में उपयोग में लाया जाना चाहिए. आज के दिन दोपहर में 1:29 से रात्रि 1:09 तक भद्रा का काल रहेगा. रात्रि 1:09 के बाद होलिका दहन करना सर्वोत्तम रहेगा. गोधूलि बेला शाम के समय सिंह लग्न में 5:56 के आसपास भी होलिका दहन करना शुभ रहेगा.

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