रायपुर: राजधानी में जनभागीदारी शिक्षक संघ ने 5 सूत्रीय मांग को लेकर मंगलवार से पांच दिवसीय धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल शुरू कर दिया है. जनभागीदारी शिक्षक पिछले 5 सालों से स्कूलों से निकाले जाने के बाद से बेरोजगार हो गए हैं. वे अब अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर गए हैं. जनभागीदारी शिक्षकों का कहना है कि इसके बाद भी अगर सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो आने वाले समय में वो परिवार सहित आत्मदाह करने को मजबूर होंगे.
राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदेश भर के लगभग 80 जनभागीदारी शिक्षक 5 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
जनभागीदारी शिक्षक संघ की 5 सूत्रीय मांग-
- जिसमें जनभागीदारी शिक्षकों का शिक्षक संवर्ग में संविलियन किया जाए
- जनभागीदारी शिक्षकों को उन्हीं के द्वारा अध्यापक स्कूलों में फिर से नियुक्ति दी जाए
- जनभागीदारी शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया वर्तमान सत्र 2020- 2021 में ही किया जाए
- जनभागीदारी शिक्षकों को शिक्षक बनाकर इन शिक्षकों की बेरोजगारी को दूर किया जाए
- छत्तीसगढ़ के विधायकों के द्वारा जनभागीदारी शिक्षकों को दिए गए अनुशंसा पत्र की मांग सरकार जल्द पूरी करें
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जनभागीदारी शिक्षकों का कहना है कि अजीत जोगी के शासनकाल में साल 2000-2003 में लगभग 8 हजार जनभागीदारी शिक्षक नियुक्त किए गए थे. जिसके बाद लगभग 2500 जनभागीदारी शिक्षकों को साल 2015 में स्कूलों से निकाल दिया गया है. तब से जनभागीदारी शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं और अब वे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने में सक्षम नहीं है. जनभागीदारी शिक्षक के तहत काम करने वाले इन शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में राज्यपाल के आदेश के बाद इन शिक्षकों की नियुक्ति पंचायतों के माध्यम से की गई थी. लेकिन पिछले 5 सालों से ये शिक्षक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.