रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन ने छठ पूजा के मौके पर 20 नवंबर को प्रदेश के सभी शासकीय कार्यालयों और संस्थाओं के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. इस संबंध गुरुवार को महानदी भवन (मंत्रालय) से सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया है. यह अवकाश राज्य शासन की ओर से 'निगोशियेबल इंस्टूमेंट एक्ट 1881' के तहत घोषित किया गया है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन में राज्य शासन की ओर से पिछले साल से प्रदेश में तीजा, हरेली पर्व, छठ पूजा, माता कर्मा जयंती और विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जा रहा है.
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भगवान भास्कर की पूजा, आराधना और उपासना का महापर्व छठ, जो मुख्य रूप से बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. बिहार-झारखंड-उत्तर प्रदेश सहित अब यह व्रत पूरे देश में मनाया जाने लगा है. छत्तीसगढ़ राज्य का सरगुजा संभाग जो बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. संभाग के सबसे बड़े शहर अंबिकापुर में भी ज्यादातर लोग इन्हीं प्रदेशों से आकर बसे हैं. यहीं कारण है कि सरगुजा में छठ पर्व की धूम देखते ही बनती है.
गन्ने से बनाया जाता है मंडप
शाम से पहले व्रती अपने पूरे परिवार के साथ छठ घाट के लिए पैदल प्रस्थान करता है. सूर्यास्त से पहले वहां पहुंचकर पहले से चिन्हांकित स्थान पर गन्ने से मंडप बनाया जाता है और प्रसाद से सजे सूपे को मंडप के नीचे रखकर पूजा शरू की जाती है. जैसे ही सूर्य देव अस्त होने वाले होते हैं, उसी समय नदी या तालाब किनारे पर जाकर व्रती अस्ताचलगामी सूर्य (डूबते हुए सूर्य) को अर्घ्य देते हैं. व्रती बिना सिलाई किया हुआ एक वस्त्र ही धारण करते हैं और पानी में डुबकी लगाने के बाद गीले शरीर में ही अर्घ्य देना होता है. इस दौरान परिवारवाले पानी और दूध से व्रती को अर्घ्य दिलाते हैं.