रायपुर: छत्तीसगढ़ में करीब 5 महीने से बसों के पहिए थमे हुए हैं. 25 मार्च से पूरे देश में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन किया गया था. लॉकडाउन का असर बस संचालकों पर भी देखने को मिला. छत्तीसगढ़ में अब तक बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है. बस बंद होने से बस संचालकों के साथ-साथ ड्राइवर और कंडक्टर को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं सब समस्या को देखते हुए शुक्रवार को प्रदेश भर में सभी बस संचालकों ने अपने-अपने जिले में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. बस संचालकों की 8 सूत्रीय मांग है, जिसे लेकर बस संचालकों ने शांतिपूर्ण तरीके प्रदर्शन किया.
छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के उपाध्यक्ष अनवर अली का कहना है कि 10 तारीख को उन्होंने परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से 8 सूत्रीय मांग को लेकर मुलाकात की थी. बैठक के बाद मंत्री ने पड़ोसी राज्यों के डॉक्यूमेंट मंगाए थे, कि वहां क्या उपाय किए जा रहे हैं. अनवर ने बताया कि उन्होंने सारे डॉक्यूमेंट्स दूसरे दिन दे दिए थे. लेकिन किसी वजह से अब तक उस पर विचार नहीं किया गया है.
बड़े आंदोलन की चेतावनी
अनवर ने बताया कि मंत्री ने 2 महीने का टैक्स माफ करने की बात कही. लेकिन उसमें शर्त रखी गई है कि यह टैक्स तभी माफ होगा, जब संचालक ड्राइवर और कंडक्टर को पिछले तीन महीने की सैलेरी देने का प्रमाण पत्र पेश करेंगे. अनवर ने कहा कि सरकार ने यदि हमारी मांगे नहीं मांगी तो, हम अगले महीने की 5 तारीख को विशाल धरना प्रदर्शन करेंगे. साथ ही अपनी सारी बसों को आरटीओ ऑफिस के अंदर खड़ा कर देंगे.
धमतरी: 8 सूत्रीय मांगों को लेकर एकदिवसीय धरने पर बैठे बस ऑपरेटर
बस संचालकों की 8 सूत्रीय मांगें:
सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक टैक्स्ट में छूट दी जाए.
डीजल के टैक्स में 50% तक कटौती की जाए.
फॉर्म के और फॉर्म एम की सील में दो महीने की बाध्यता खत्म की जाए.
यात्री किराए में वृद्धि की स्थाई नीति बनाई जाए. टोल टैक्स में भी छूट दी जाए.
एक प्राधिकरण बनाने से पहले जो काम आरटीओ द्वारा किया जाता था उसे दोबारा लागू किया जाए.
स्लीपर कोच में लगने वाले डबल टैक्स को खत्म किया जाए.
व्हीलबेस के आधार पर बैठक क्षमता को निर्धारित करना खत्म किया जाए.
भौतिक परीक्षण के आधार पर वाहन को पंजीकृत किया जाए.